पीएम नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा एक बार फिर सफलता का नया पर्याय ही बनी है, क्योंकि सत्ता बदलने और डॉनल्ड ट्रंप के जाने के बाद मोदी का ये पहला अमेरिकी दौरा था। पीएम मोदी के संबंध निजी तौर पर ट्रंप से बहुत अच्छे थे, इसके विपरीत नए राष्ट्रपति जो बाइडन की कार्यशैली को देखें, तो उन्होंने इजरायल के पीएम से लेकर यूएई, सउदी अरब तक के क्राउन प्रिंस की सांकेतिक तौर पर आलोचना की थी। इसके विपरीत अब पीएम मोदी के सामने उनकी कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं हुई। ये दिखाता है कि अमेरिकी डीप स्टेट पॉलिसी के प्रभाव के कारण मोदी विरोधी होने के बावजूद बाइडन को गले लगाने के लिए आतुर होना पड़ रहा है।
पीएम मोदी की करिश्माई छवि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता अमेरिका में कितनी अधिक है, ये सर्वविदित है। ऐसा नहीं है कि ये डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल के कारण था, बल्कि पहली बार जब पीएम मोदी ओबामा के कार्यकाल में अमेरिका गए थे, तो उनका ऐतिहासिक स्वागत हुआ था। इसके विपरीत डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल में पीएम मोदी के ट्रंप के साथ अच्छे संबंध थे, और इसीलिए भारत अमेरिका के कूटनीतिक संबंध उच्च स्तर पर थे। वहीं, ट्रंप के जाने के बाद ये माना जा रहा था कि दोनों देशों के बीच दूरी आएगी, परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ। जो बाइडन ने ट्रंप के साथ अच्छी दोस्ती रखने वाले सभी राष्ट्र प्रमुखों के खिलाफ अपनी विरोधी नीतियां दिखाईं, लेकिन वो मोदी के साथ ऐसा कुछ भी नहीं कर सके।
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ट्रंप विरोधी बाइडन की मानसिकता
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन हमेशा ही उन लोगों के लिए आलोचनात्मक बयान देते रहे हैं, जिन्होंने ट्रंप के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए थे। इसको लेकर टीएफआई के संस्थापक अतुल मिश्रा ने बताया है कि कैसे ट्रंप से अच्छे सबंध रखने वाले इजरायली पीएम से लेकर सउदी और यूएई के क्राउन प्रिंस के खिलाफ उन्होंने न केवल बयान दिए, बल्कि नीतियां भी बदल डालीं। बाइडन नीत डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनावी प्रचारों के देखें तो ये कहा जा सकता है कि उन्होंने इजरायल के विरोध में एक एजेंडा चलाकर रखा था। सत्ता संभालते ही उन्होंने JCPOA को पुनर्जीवित करने के मुद्दे पर काम करना शुरु कर दिया।
बाइडन ने अपना अगला निशाना अब्राहम अकॉर्ड को बनाया। ट्रंप ने यूएई और इजरायल के बीच संबंधों को सुधारने के लिए पहल की थी, जिसके परिणाम स्वरूप अब्राहम अकॉर्ड सामने आया, बाद में सउदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी इसमें शामिल हुए। ऐसे में ट्रंप द्वारा किए गए मुस्लिम यहूदी संबंधों को मधुर बनाने के प्रयासों को बाइडन ने विफल किया। से में उन्होंने 9/11 और जमाल खशोगी के मुद्दे पर मोहम्मद बिन सलमान पर ही हमला बोल दिया। बाइडन ने यूएई के प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ होने वाली 23 बिलियन डॉलर की जे-35 की डील को भी रद्द कर दिया।
When Biden came to power, he began cracking down on Trump’s friends almost immediately. Netanyahu was the first casualty as Biden took no time to revive the JCPOA. During the time of elections, Biden almost campaigned against Netanyahu.
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) September 29, 2021
इसके अलावा रूस के साथ एस 400 की डील कर रहे तुर्की के पीएम एर्दोगन को बाइडन न कैंसिल करने का आदेश दिया और वो मान गए। महत्वपूर्ण बात ये भी है कि भारत को भी ये निर्देश था कि वो भी ऐसा ही करे। अमेरिका के इस संदेश को पीएम मोदी ने सिरे से खारिज कर दिया, और भारत रूस से ही एस-400 खरीदने वाला है। ट्रंप ने खूब प्रयास किए थे, कि रूस और अमेरिका के संबंध सामान्य हों किन्तु बाइडन ने पुनः उन्हें खराब करने की नीतियां अपनाईं हैं। भारत की छवि एक रूस समर्थक देश की रही है, ये जानते हुए भी बाइडन को पीएम मोदी से मुस्कुरा कर ही मिलना पड़ा।
Additionally, India is the best friend of Russia and Democrats loath Putin. When Biden told Erdogan to cancel s400 deal with Russia, Turkey immediately complied. The same message was sent to India. India immediately denied.
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) September 29, 2021
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वैश्विक नेता की छवि
विरोधी मानसिकता होने के बावजूद जब बाइडन पीएम मोदी से मिले, तो वो आर्थिक स्तर पर मजबूत हो रहे भारतीय पीएम से मिल रहे थे, जिनकी एक वैश्विक पहचान है। ऐसे में यदि वो पीएम मोदी या भारत के प्रति नकारात्मक बात करते, तो दोनों के बीच रिश्तों में बड़ी कड़वाहट आ सकती थी। पीएम मोदी के संबंध केवल रूस के साथ ही नहीं, बल्कि जापान, इटली, ऑस्ट्रेलिया ताइवान के साथ भी सकारात्मक हैं। ये सारी बातें बाइडन अच्छी तरह जानते हैं। इसके चलते न चाहते हुए भी उन्हें भारत से शालीनता से ही झुककर मिलना पड़ा।
So there, Biden may hate PM Modi on a personal level, on a professional level, he will always be the one trying to hug Prime Minister Modi. That’s PM Modi’s biggest victory.
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) September 29, 2021
अमेरिका में पीएम मोदी के अन्य सभी वक्तव्यों पर तो चर्चा हो रही है, किन्तु ये एक यथार्थ सत्य है कि जिस तरह से ट्रंप के करीबी वैश्विक नेताओं पर बाइडन ने हमला किया है, वैसा कोई हमला वो पीएम मोदी पर नहीं कर सके, और ये पीएम मोदी समेत भारत की एक कूटनीतिक जीत का पर्याय है।