‘बिच्छू कहीं भी होगा तो डसेगा’, योगी ने खुलकर सपा की कट्टरता पर किया वार

सपा तुष्टिकरण

PC: Patrika

जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव निकट आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने विरोधियों को अपने कटाक्षों से धोने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। रविवार को कुछ इसी अंदाज़ में सीएम योगी ने अपने निजी ट्विटर अकाउंट से राम मंदिर आंदोलन में तुष्टीकरण की राजनीती के चलते कारसेवकों पर गोली चलवाने वाले सपा के हाई कमान पर तंज़ कसते हुए परोक्ष रूप से उन्हें बिच्छू की उपाधि दे डाली।

दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्विटर अकाउंट से लिखा कि, “राम भक्तों पर गोली चलाने वाली तालिबान समर्थक जातिवादी-वंशवादी मानसिकता को प्रदेश की जनता कत्तई बर्दाश्त न करे। याद रखिएगा! बिच्छू कहीं भी होगा तो डंसेगा।”

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इसका सीधा अर्थ उस दो मुंहे चरित्र को उजागर करना है जिसकी आड़ में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव मुस्लिम तुष्टीकरण करते करते अब मंदिर के अनुयायी बनने लगे हैं। यह वही समाजवादी पार्टी है जो राम मंदिर आंदोलन के दौरान खुलकर विवादित बाबरी ढांचे के पक्ष में खड़ी हुई थी। सपा शासन में पहले 30 अक्टूबर 1990 को कारसेवकों गोली चलवाईं थीं जिसमें 5 कारसेवकों की मृत्यु हुई। पुनः यह कुकृत्य तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की शह पर दोहराया गया। 2 नवंबर 1990 को प्रातः अयोध्या के हनुमान गढ़ी के सामने लाल कोठी के सकरी गली में करीबन ढेड़ दर्जन कारसेवक मौत के घाट उतार दिया गया था। इस घटना और गोलीकांड के बाद से ही मुलायम सिंह को मुल्ला जैसी उपाधि भी दी जाने लगी थी।

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समय के साथ परिस्थितियाँ अवश्य बदलीं पर सपा का तुष्टीकरण और मुस्लिम समुदाय से प्रेम वही रहा। हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान द्वारा सत्ता के कबजाने पर सपा सांसद, विवादित नेता शफीकुर्रहमान बर्क ने इसे सही ठहराते हुए कहा था कि ‘तालिबान वहां की ताकत है। तालिबान की अगुवाई में अफगान आजादी चाहते हैं, भारत में भी अंग्रेजों से पूरे देश ने लड़ाई लड़ी थी।’

इन सभी बयानों से निस्संदेह सपा की तुष्टीकरण और हिन्दू आस्था और देवी देवताओं के प्रति उनकी खीझ स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस प्रकार अपने ट्वीट में सपा समेत अन्य सभी परिवारवादी दलों को आड़े हाथों लिया है वो कहीं न कहीं इन सभी के मन में गहरे भय का संचार करने के लिए काफी है।

इन दिनों ब्राह्मणों को साथ लाने की बातें और मंदिर परिक्रमा जैसी घटनाएँ आम सी हो गई हैं। यह सब करने वाले सपा-बसपा वही दल हैं जिनके शासन में एक समुदाय विशेष अर्थात मुस्लिम समुदाय के अतिरिक्त और किसी भी वर्ग का जीना सुलभ हुआ है तो वो इनके मूल वोट बैंक ही रहे होंगे। अन्य किसी भी प्रकार का उत्थान न तो ब्राह्मण वर्ग का हुआ न ही क्षत्रिय या वैश्य का हुआ।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो टूक में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को चेताने का प्रयास किया है कि जो स्वांग चुनाव से कुछ महीने पूर्व रचने के प्रयास चल रहे हैं, राज्य की जनता उसे नकार देगी। ऐसे में यह बिच्छू डसेगा तो सही पर बिच्छू से घात खाने वाली न राज्य की जनता होगी और न ही योगी सरकार।

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