हेमंत सोरेन की सरकार में झारखंड विधानसभा में ‘नमाज’ के लिए होगा एक विशेष कक्ष

तुष्टिकरण की ऐसी बीमारी है कि ठीक होती ही नहीं!

अल्पसंख्यक तुष्टीकरण में कोई कितना नीचे गिर सकता है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण आप झारखंड में देख सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हेमंत सोरेन की सरकार प्रशासन पर कम और मुसलमानों एवं ईसाइयों के तलवे चाटने पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है। लेकिन ये अंधभक्ति इस स्तर तक पहुँच चुकी है कि अब झारखंड विधानसभा में नमाज़ के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी।

जी हाँ, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा। झारखंड के विधानसभा में ‘शांतिप्रिय’ समुदाय के नमाज अदा करने के लिए विशेष कमरा आवंटित किया गया है। विधानसभा के उप सचिव नवीन कुमार के हस्ताक्षर से जारी आदेश में कहा गया है, “नए विधानसभा भवन में नमाज अदा करने के लिए नमाज कक्ष के रूप में कमरा संख्या TW-348 आवंटित किया जाता है।”

बता दें कि, झारखंड में इस समय झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हेमंत सोरेन का शासन व्याप्त है, जिन्हे काँग्रेस पार्टी बाहरी तौर पर समर्थन दे रही है। ये उन राज्यों में शामिल है, जहां पर वुहान वायरस से निपटने के परिप्रेक्ष्य में प्रशासन बेहद फिसड्डी रहा है। हो भी क्यों न, जब आधे से अधिक ध्यान तुष्टिकरण पर केंद्रित रहेगा, तो शासन प्रशासन के लिए कहाँ तक समय रहेगा? –

लेकिन झारखंड विधानसभा के इस तुगलकी फरमान के पीछे राज्य में भारी विरोध का सामना करना पड़ा है। भाजपा विधायक अनंत ओझा ने ट्वीट किया, “ये क्या स्पीकर साहब, अब राज्य की सबसे बड़ी पंचायत भी तुष्टिकरण को पोषित करने की राह पर? झारखंड विधानसभा में नमाज़ अदा करने के लिए कक्ष। झारखंड की जनता सब देख रही है। सर्वधर्म समभाव की मूल आत्मा को कलंकित करने वाला निर्णय।” –

 

दूसरी ओर झारखंड के भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाह देव लिखते हैं, “जब चौतरफा असफलताओं से घिर जाओ तो ध्यान भटकाने की कोशिश करो। झारखंड के इतिहास में पहली बार विधानसभा भवन में नमाज अदा करने के लिए नमाज भवन बनाया गया। तुष्टीकरण की सारी सीमाएँ पार हो गईं। क्या विधानसभा में बहुसंख्यक समाज के लिए मंदिर या प्रार्थना कक्ष की व्यवस्था है?”

योगेंद्र प्रताप का मानना है कि यदि नमाज़ की व्यवस्था हो सकती है, तो हिंदुओं के लिए प्रार्थना कक्ष की व्यवस्था क्यों नहीं? उनके ट्वीट के अनुसार, “जेएमएम और कांग्रेस को सिर्फ हिंदुओं से परेशानी है? जब झारखंड विधानसभा में नमाज कक्ष हो सकता है तो फिर हिंदुओं के लिए पूजा कक्ष क्यों नहीं? राज्य के मन्दिरों को लेकर भी सरकार का उदासीन रवैया किसी से छिपा नहीं है। यह तुष्टिकरण की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या है मुख्यमंत्री साहब?” –

 

आयुष झा नामक यूजर ने झारखंड सरकार पर तंज कसते हुए लिखा, “केवल नमाज कक्ष ही क्यूँ? मेरी तो झारखंड सरकार से आग्रह है कि विधानसभा परिसर में एक कब्रिस्तान का निर्माण भी किया जाए, ताकि एक दिन उसी कब्र में इस तुष्टीकरण राजनीति करने वाली सरकार को भी दफनाया जा सके।” –

 

सच कहें तो नमाज़ प्रेमी झारखंड सरकार ने अपने वर्तमान कदम से यह सिद्ध कर दिया कि वह चंद लोगों को प्रसन्न करने के लिए समाज, राज्य और यहाँ तक कि देश की सुरक्षा और प्रतिष्ठा की भी बलि चढ़ाने को तैयार है। आज जो यूरोप में हो रहा है, जो अफगानिस्तान आज झेल रहा है, वो इसी तुष्टीकरण की नीति का दुष्परिणाम है, लेकिन जब तक हेमंत सोरेन जैसे निरंकुश शासक रहेंगे, तब तक झारखंड की व्यवस्था भगवान भरोसे ही रहेगी।

Exit mobile version