आज देश में चर्चा के तमाम विषयों में सबसे बड़ा विषय एक आईएफएस अधिकारी रही। उनका नाम है स्नेहा दुबे। संयुक्त राष्ट्र में भारत की ओर से बतौर प्रथम सचिव पद पर नियुक्त स्नेहा ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को जैसा जवाब दिया है, उससे इमरान खान की हालत खराब हो गई और इमरान द्वारा माहौल बनाने की कोशिश ध्वस्त हो गई।
संयुक्त राष्ट्र जनरल असेम्बली चल रही है। दुनिया भर के राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्षों को मौका मिला कि वह भी आकर अपनी बात रख सकें लेकिन कुछ राष्ट्र ऐसे है जिनके पास एक ही घिसापिटा मुद्दा होता है। जैसे तुर्की के पास इजरायल और सीरिया है, ईरान के पास इराक का मुद्दा है और वैसे ही पाकिस्तान के पास, नरेंद्र मोदी, हिंदुत्व और कश्मीर, यहीं मुद्दा बचा हुआ है।
अपने आदत के अनुसार इमरान खान ने सभा में अपने भाषण के दौरान इस्लामोफोबिया, हिंदुत्व का मुद्दा उठाया। खान ने अपने संबोधन में 2019 के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भारत के फैसले के साथ-साथ पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की मौत के बारे में बात की। खान ने एक संबोधन में कहा, “इस्लामोफोबिया का सबसे खराब और सबसे व्यापक रूप इस समय भारत पर राज कर रहा है।”
इमरान खान ने आगे यह भी कहा, “फासीवादी आरएसएस-भाजपा शासन द्वारा प्रचारित नफरत से भरी हिंदुत्व विचारधारा ने भारत के 20 करोड़ मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भय और हिंसा का राज फैला दिया है।”
आमतौर पर भारत ऐसे बड़े मंचो से पाकिस्तान को नजरअंदाज कर देता है। हाथी चले बाजार तो कुत्ते भौंके हजार जैसे लोकोक्ति को मानने वाले देश द्वारा एक कौड़ी का भाव नहीं दिया जाता है लेकिन आज भारत ने जवाब दिया। इस्लामोफोबिया का जो माहौल इमरान खान बनाना चाहते थे, वह भारत के जवाब से तुंरत ध्वस्त हो गया।
भारत की ओर से प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने तीखा जवाब देते हुए कहा कि पाकिस्तान की नीतियों का खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ा है क्योंकि पाकिस्तान अपने देश में आतंकवादियों को पालता है। विश्व स्तर पर प्रशंसा पाने वाले युवा राजनयिक ने यह भी दोहराया कि, “जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के पूरे केंद्र शासित प्रदेश “भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा थे, हैं और रहेंगे।”
स्नेहा दुबे ने कहा, “यह वह देश है जो एक फायर फाइटर के रूप में आगजनी करता है। पाकिस्तान अपने देश में आतंकवादियों को इस उम्मीद में पोषित करता है कि वे केवल अपने पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाएंगे। हमारा क्षेत्र, और वास्तव में पूरी दुनिया, उनकी नीतियों के कारण पीड़ित है दूसरी ओर, वे अपने देश में सांप्रदायिक हिंसा को आतंकवादी कृत्यों के रूप में छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।”
स्नेहा ने आगे कहा, “जम्मू और कश्मीर और लद्दाख का पूरे केंद्र शासित प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। इसमें वे इलाके भी शामिल हैं जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं। हम पाकिस्तान से उसके अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली करने का आह्वान करते हैं।”
2012 बैच की IFS अधिकारी स्नेहा ने अपनी स्कूली शिक्षा गोवा से पूरी की। इसके बाद उन्होंने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की और अंत में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली से एमफिल किया।
विदेश सेवा के लिए चुने जाने के बाद स्नेहा दुबे की पहली नियुक्ति विदेश मंत्रालय में हुई थी। फिर अगस्त 2014 में उन्हें मैड्रिड स्थित भारतीय दूतावास भेज दिया गया।
वर्ष 2011 में अपने पहले प्रयास में ही सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली स्नेहा वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में भारत की पहली सचिव हैं।
ऐसे तीखे हमलें के बाद ट्विटर पर स्नेहा दुबे ट्रेंड करने लगीं। लोगों ने भारतीय पक्ष को मजबूती से रखने के लिए उनको धन्यवाद किया। खैर ये पहला मौका नहीं है जब इमरान खान अपनी मिट्टी पलीद करवा रहें है। वो प्रधानमंत्री रहे हो या पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री रहा हो, उन सबको हर बार इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुंह की खानी पड़ी है।
2016 और 2017 में संयुक्त राष्ट्र में भारतीय सचिव ईनम गम्भीर ने पाकिस्तान को इसी प्रकार से धोया था। 2017 में पाकिस्तान के मौजूदा पीएम शाहिद खाकन अब्बासी के भाषण के जवाब में ईनम ने पाकिस्तान को टेररिस्तान करार किया था। इससे पहले 2016 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में, ईनम ने नवाज शरीफ के भाषण के जवाब में पाकिस्तान को एक आतंकवादी देश कहा था। दोनों बार ईनम ने UNGA में “जवाब देने के अधिकार” के तहत पाकिस्तान को जवाब दिया था।
ईनम ने कहा था, “पाकिस्तान एक आतंकवादी है, यह आतंकवाद का कुटीर उद्योग चलाता है और दुनिया को निर्यात करता है। पाकिस्तान को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। हैरान करने वाली बात है कि ओसामा बिन लादेन और मुल्ला उमर जैसे आतंकियों को बचाने वाला देश अब खुद को विक्टिम बता रहा है।”
2019 में भी भारत ने ऐसा ही जवाब दिया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस समय इमरान खान यह बोल गए थे कि कश्मीर से कर्फ्यू हटाने पर खून की बारिश होगी। उन्होंने यह भी कहा था कि दो न्यूक्लियर ताकतें आपस में लड़ेंगे तो हश्र बुरा होगा। भारत की ओर से तब की सचिव विदिशा मैत्र ने कहा था, “इमरान खान की परमाणु तबाही की धमकी, ना ही कूटनीति के योग्य है और ना ही राजनेता के रूप में शोभा देता है।” सबसे दिलचस्प बिंदुओं में से एक था जब विदिशा ने पाकिस्तानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए. खान नियाज़ी का उल्लेख किया, जिन्होंने 1971 के युद्ध के दौरान हजारों लोगों को मार डाला था और यह बताया कि ए.ए खान नियाजी और इमरान खान ‘नियाज़ी’ संबंधित हैं। विदिशा मैत्रा ने इमरान खान द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली घृणित बयानबाजी की निंदा की, जो एक प्रधान मंत्री के लिए अशोभनीय है, और पाकिस्तान को अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और आतंकवादियों के संरक्षण की भी याद दिलाई।
भारत ऐसे मंच से पर्यावरण और सतत विकास लक्ष्यों के लिए अपने प्रयासों पर बात करता है। वह बात करता है कि बेहतर भविष्य के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए लेकिन ऐसा लगता है कि इमरान खान या पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों के पास भारत को छोड़कर कोई और मुद्दा नही है। खैर, वह जब भी ऐसे मुद्दे उठाता है तो खुद ही मुंह की खाता है। भारत एक लोकतांत्रिक और जिम्मेदार देश है, वह अपने ऊपर लगने वाले आरोपों का खंडन कर सकता है लेकिन पाकिस्तान का इतिहास हिंसा के अक्षरों में लिपटा हुआ है जिसे मिटा पाना मुश्किल है। ऐसा लगता है कि अपने काले इतिहास के बावजूद भी वह महासभा जैसे मंचो पर इसलिए आता है ताकि भारत का पक्ष और मजबूती से रखा जा सके।