एलन मस्क का उतरा नकाब : क्या Elon Musk वास्तव में PayPal के कोफाउंडर थे?

एलन मस्क पेपैल

Source- Google

विविधतों के प्रति आकर्षण मनुष्य का नैसर्गिक गुण है। विविधता चाहे किसी क्षेत्र या किसी के व्यक्तित्व  में हो, हमें आकर्षित करती है। विविधता जिज्ञासा और विकल्प दोनों की जननी है। इसकी यही खूबियाँ हमें नायक और कार्यक्षेत्र चुननें में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसी कार्यक्षेत्रीय-विविधता के कारण दुनिया एक व्यक्ति को नायक के रूप में देखती है। एलन मस्क का नाम भी उन्हीं में से एक है। अधिकांश लोगों को शायद ही उनकी जन कल्याणकारी सोंच, उद्यमों, परियोजनाओं, सफलताओं, असफलताओं और जीवन के काले अध्यायों के बारे में पता हों पर हमें क्या हम तो “सनीमा” देखते हैं। और जब तक इस देश में “सनीमा” रहेगा, हम तो भैया उसी को नायक चुनेंगे जो हमे मंगल पर भेजेगा।

वैसे “सनीमा” देखने वालों को इस लेख के माध्यम से समझा दें कि मंगल पर जीवन के प्रमाण अत्यंत विवादास्पद है। उससे भी ज्यादा विवादास्पद है वहां जीवन बसाने की योजना। अगर आपके जीवनकाल में वहां मानव बस्ती अर्थात् मंगल पर्यटन आरंभ हो भी गया तो सबसे पहले मस्क के भैया बेजोस जाएंगे। लेख लिखनेवाले की बात पर भरोसा न हों तो अपनी जेब टटोलिए, क्योंकि आपके जेब टटोलने की क्रिया आपको प्रबोधित करेगी, पुनर्जागृत करेगी, आपको वास्तविकता से अवगत कराएगी। खैर, प्रमाण हेतु एलन मस्क से जुड़े PayPal पेपैल गाथा सुना कर हम आपको प्रबोधित करतें है।

और पढ़ें: अंबानी की अमेजन से कोर्ट में जंग जारी है, लेकिन टाटा तो बेजोस के बिजनेस की कमर तोड़ने को पहले ही तैयार है

PayPal की वास्तविकता

जब (PayPal) पेपैल की बात आती है, तो एलन मस्क को अक्सर इस नवाचार के सह-संस्थापक के रूप में वर्णित किया जाता है। लोगों को लगता है कि मस्क डिजिटल भुगतान उद्योग के तारणहार है। (PayPal) पेपैल इस प्रश्न का मानद उदाहरण है कि आखिर एलन मस्क को PR नामक प्रेयसी से इतना प्रेम क्यों है?

आइए हम आपको एक छोटा सा मजेदार तथ्य बताते हैं- (PayPal) पेपैल की मूल कंपनी कॉन्फिनिटी है जो 1998 में अस्तित्व में आई थी। दिलचस्प बात यह है कि कॉन्फिनिटी की स्थापना एलन मस्क ने नहीं की थी, बल्कि यह ल्यूक नोसेक, मैक्स लेविचिन और पीटर थिएल के दिमाग की उपज थी। कॉन्फिनिटी का पहला डिजिटल भुगतान संस्करण 1999 में लॉन्च किया गया था। उस समय तक x.com नामक एक उल्लेखनीय समरूप प्लेटफॉर्म अस्तित्व में आया था। X.com की स्थापना मस्क, हैरिस फ्रिकर, क्रिस्टोफर पायने और एड हो ने की थी। मस्क ने x.com के सीईओ के रूप में कार्य किया।

साल 2000 में दो डिजिटल भुगतान फर्मों का एक दूसरे के साथ विलय हो गया। हालांकि, दोनों फर्मों का संयोजन बहुत सफल नहीं रहा। मस्क ने अप्रैल 2000 में सीईओ के रूप में पदभार संभाला और अक्टूबर 2000 में उन्हें निकाल फेंका गया।

और पढ़ें: जकरबर्ग की राह पर एलन मस्क, चाटुकारिता के बावजूद कभी भी चीन से निकाले जा सकते हैं

जिसके बाद पीटर थिएल ने विलय की गई कंपनी के सीईओ के रूप में पदभार संभाला और कंपनी को वर्ष जून 2001 में (PayPal) पेपैल के रूप में पुनः नामित किया गया। PayPal ने फरवरी 2002 में अपना पहला आईपीओ लॉन्च किया और बाद में ebay ने इसे 1.5 बिलियन डॉलर में खरीदा। एलन मस्क जो अभी भी (PayPal) पेपैल में हिस्सेदार थे, उन्होंने सिर्फ हिस्सेदारी और निवेश की बदौलत 180 मिलियन डॉलर का अप्रत्याशित लाभ कमाया और अचानक सुपर अमीर बन गए। मस्क ने इस पैसे को स्पेसएक्स, टेस्ला और सोलरसिटी जैसे अन्य उपक्रमों में निवेश किया।

तो मस्क कॉन्फिनिटी के संस्थापक नहीं थे जो आगे चलकर (PayPal) पेपैल बना। जब कॉन्फिनिटी का नाम PayPal रखा गया, तो वह कॉन्फिनिटी और x.com के विलय से बनी इकाई के सीईओ तक नहीं थे। न ही एलन मस्क तब (PayPal) पेपैल के सीईओ थे जब कंपनी ने अपना पहला आईपीओ जारी किया था और न ही तब, जब उन्होंने बाद में ebay के साथ बिक्री समझौते पर हस्ताक्षर किया। फिर भी एलन मस्क को (PayPal) पेपैल के संस्थापक और डिजिटल भुगतान उद्योग के अग्रणी के रूप में जाना जाता है।

निष्कर्ष

एलन मस्क कोई तारक या उद्धारक नहीं बल्कि सिर्फ एक salesman है। एक ऐसा salesman जो आपको वॉटर प्यूरिफाइर नहीं बल्कि सपनें बेचता है। आपके इन्हीं सपनों पर चढ़कर वो नायक बनते है। फिर आप ही के सपनों के आधार पर ये उद्यमी दुनिया भर के धनाढ्यो को जो बनाते है वो तो आप समझते ही है। बनते तो आप भी हैं क्योंकि “सनीमा” तो आप भी देखते है। हमारे पाठकों को सिर्फ ये समझने की जरूरत है कि एलन मस्क कोई वैज्ञानिक, मसीहा, शोधकर्ता या प्रयोगकर्ता नहीं है, वो सिर्फ एक चालक निवेशक और salesman है जो आपके ख्वाब और रसूखदारों के बड़े शौक का व्यापार करतें है जैसे मंगल पर्यटन। लेख लिखने और पढ़नेवालों नें एलन मस्क के महिमामंडन का एक (PayPal) पेपैल जैसा प्रत्यक्ष प्रमाण देख लिया। “सनीमा” देखने वालों से अपेक्षित है की उनका एक शोध पत्र प्रस्तुत कर दें। अगर नहीं तो “सनीमा” देखते रहिये, बनते रहिए। अज्ञानता का भी अपना ही आनंद है।

और पढ़ें: आकाश प्राइम का परीक्षण सफल, स्वदेशी Iron Dome की ओर भारत का पहला कदम

Exit mobile version