विजयन के लिए भले मजाक हो पर केरल के कम्युनिस्टों के लिए डेमोग्राफिक झुकाव चिंता का विषय है

कट्टरपंथ को ग्रीन कार्ड देने वाली विजयन सरकार के लिए अब मुश्किलें बढ़ सकती हैं

केरल कम्युनिस्ट

कोई व्यक्ति चाहे जितना भी दावा करे कि कोई गड़बड़ नहीं, लेकिन जब मुसीबत वास्तव में घर पर दस्तक दे रही हो, तो उससे अधिक दिन तक मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। केरल की कम्युनिस्ट सरकार के मुखिया, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भले दावा करें कि केरल में कुछ भी गड़बड़ी नहीं है और सब अच्छा है, परंतु अब उनकी पार्टी के कार्यकर्ता तक समझने लगे हैं कि केरल में सब कुछ ठीक नहीं है।

हाल ही में केरल में सत्तासीन कम्युनिस्ट पार्टी [मार्क्सवादी] ने कट्टरपंथी मुसलमान संगठन, विशेषकर तालिबान समर्थक संगठनों के प्रादुर्भाव पर चिंता जताई है। इंडिया टुडे द्वारा प्राप्त दस्तावेज़ों के अनुसार सीपीआई [एम] के आंतरिक मेमोरेंडम के अनुसार स्पष्ट तौर पर जमात ए इस्लामी जैसे संगठनों पर राज्य में कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। एक दस्तावेज़ के अंश अनुसार, “जमात ए इस्लामी, जिसका प्रमुख उद्देश्य एक इस्लामिक शासन की स्थापना करना है, अब इस्लामिक समाज के साथ-साथ केरल के समाज में भी अपने विचारों का प्रचार कर रहा है। वे प्रकाशन के साथ-साथ सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि अपने विचारों का आदान प्रदान अधिक से अधिक कर सके”।

ईसाइयों और मुसलमानों में गहरी खाई बढ़ती ही जा रही है

इस दस्तावेज़ से स्पष्ट होता है कि किस प्रकार से अब वामपंथियो, विशेषकर ईसाइयों और मुसलमानों के बीच केरल में खाई बढ़ती ही जा रही है। इसी दस्तावेज़ में ये भी दर्ज था, “ये हमारे लिए ये बेहद गंभीर विषय है कि जहां दुनिया भर में लोकतान्त्रिक एवं इस्लामिक बाहुल्य देश तालिबान की निंदा कर रहे हैं, तो वहीं हमारे केरल में उसे समर्थन दिया जा रहा है”। इसके संबंध में केरल ने अपने छात्र संगठन, सांस्कृतिक संगठन एवं मंचों से अपील की कि इस कट्टरता के विरुद्ध वे अपना नारा बुलंद करें।

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केरल कट्टरता का गढ़

इसमें कोई दो राय नहीं है कि केरल प्रारंभ से ही कट्टरता का गढ़ रहा है, चाहे सीएम विजयन जितना इससे मुंह मोड़ने का प्रयास करें। इसी को लेकर अभी हाल ही में केरल के कोट्टायम जिले में स्थित पाला चर्च के पादरी जोसेफ कल्लारंगट ने जब लव जिहाद और नारकोटिक्स जिहाद को लेकर ईसाइयों को चेतावनी देने का प्रयास किया था, तो कई लोगों ने उनका उपहास उड़ाने का प्रयास किया था। स्वयं सीएम विजयन ने भी अप्रत्यक्ष रूप से उनके बयानों की खिंचाई की थी।

परंतु सच्चाई तो यह है कि केरल के कम्युनिस्ट तक अपने पार्टी प्रमुख की बातों पर विश्वास नहीं करते। हाल ही में सोशल मीडिया पर केरल में सत्ताधारी सीपीआई [एम] सरकार से जुड़ा एक इंटरनल नोट लीक हुआ है, जो काफी वायरल हुआ है। इस इंटरनल नोट में सत्ताधारी सीपीआई [एम] ने पहली बार ‘लव जिहाद’ के मुद्दे पर आंतरिक चर्चा की है। मलयाली में लिखे इस नोट का शीर्षक है ‘अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता या Minority Communalism’, जिसमें इन्होंने केरल में चरमपंथी इस्लामी संगठनों द्वारा गैर मुस्लिम लड़कियों पर हो रहे अत्याचारों को स्वीकार किया है और इसके प्रति चिंता भी जताई है।

सीपीआई (एम) के आंतरिक दस्तावेज हुए लीक 

इसके अलावा 16 सितंबर को कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने कैडरों में पर्चे भी बँटवाए थे, जिसमें स्पष्ट चेतावनी दी गई थी कि कैसे कट्टरपंथी मुसलमान कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों को आतंकवाद की ओर आकर्षित कर रहे हैं, और कैसे वे राज्य में अराजकता फैलाना चाहते हैं।

कम्युनिस्ट पार्टी के अनुसार, “ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि युवाओं को सांप्रदायिक गतिविधियों और चरमपंथी विचारधाराओं की ओर आकर्षित किया जा सके। इसके लिए विशेष तौर पर शिक्षित युवा लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है। दोनों स्टूडेंट यूनियन और सीपीआई के युवा संगठन को इस बात का स्पष्ट ध्यान रखना चाहिए।

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इससे पूर्व केरल के ईसाइयों ने भी इसी ओर सत्ताधारी कम्युनिस्ट सरकार का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया था। कोट्टायम के पाला चर्च के पादरी जोसेफ कलारंगट ने लव जिहाद और नारकोटिक्स जिहाद के प्रति जनता को चेताते हुए कहा था, “कट्टरपंथी संगठन और उनके अनुयायी ऐसे तरीकों का इस्तेमाल उन जगहों पर कर रहे हैं,जहाँ हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है और कैथोलिक परिवारों को इस संबंध में सावधान रहना चाहिए। केरल में एक खास ग्रुप है जो विभिन्न इलाकों में कैथोलिक और हिंदू युवाओं को ड्रग व अन्य नशों का आदी बना रहे हैं। ऐसे लोगों का मकसद दूसरे धर्म को भ्रष्ट करने का है। लव जिहाद और नारकोटिक जिहाद दो चीजें हैं जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। पूर्व डीजीपी ने भी कहा था कि केरल आतंकियों का भर्ती केंद्र बनता जा रहा है। इधर आतंकियों के स्लीपिंग सेल्स हैं

ऐसे में केरल के मुख्यमंत्री चाहे जितना दावा करे कि केरल में सब कुछ बढ़िया, लेकिन स्वास्थ्य से लेकर सुरक्षा तक हर मोर्चे पर उनकी सरकार फिसड्डी सिद्ध हुई है। अब तो स्थिति यह है कि उनकी खुद की पार्टी के लोग तक उनकी बात पर विश्वास करने को तैयार नहीं है, और वे किसी भी तरह से केरल को कट्टरपंथी इस्लाम के प्रकोप से बाहर निकालना चाहते हैं।

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