केरल के ईसाई अपने राज्य के मुसलमानों से अचानक क्यों डरने लगे हैं?

धीरे-धीरे ही सही, परंतु केरल के ईसाई लव-जिहाद की सच्चाई स्वीकार रहे हैं!

केरल लव और नारकोटिक जिहाद

लगता है कि केरल में सब कुछ ठीक नहीं है। कहने को केरल वामपंथियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। यहाँ पर सेक्युलरिज्म अपने चरमोत्कर्ष पर है। यहाँ पर हिन्दुत्व को ‘पाँव नहीं पसारने’ दिए गए। यहाँ पर हर चीज वामपंथियों के कहे अनुसार ही होती है, और यहाँ सब ‘मिल जुलके’ रहते हैं। लेकिन क्या यही सत्य है? ऐसा बिल्कुल प्रतीत नहीं होता, क्योंकि केरल के ईसाई अब कट्टरपंथी मुसलमानों के बढ़ते आतंक के प्रति धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलने लग गए हैं। केरल के कोट्टयम में सायरो मालाबार चर्च पाला धर्मप्रांत के बिशप जोसेफ कल्लारंगट ने लव जिहाद और नारकोटिक जिहाद के प्रति गैर मुस्लिमों को सचेत करते हुए कहा कि केरल में कट्टरपंथी मुस्लिम गैर मुस्लिम लड़कियाँ, विशेषकर कैथोलिक लड़कियों को  ‘लव और नारकोटिक जिहाद’ का शिकार बना रहे हैं। ये बात उन्होंने कोट्टायम जिले के कुरुविलंगाडु में एक चर्च समारोह में बोली।

इस चर्च के यूट्यूब चैनल पर प्रकाशित वीडियो के अनुसार,

“कट्टरपंथी संगठन और उनके अनुयाई ऐसे तरीकों का इस्तेमाल उन जगहों पर कर रहे हैं,जहाँ हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है और कैथोलिक परिवारों को इस संबंध में सावधान रहना चाहिए। केरल में एक खास ग्रुप है जो विभिन्न इलाकों में कैथोलिक और हिंदू युवाओं को ड्रग व अन्य नशों का आदी बना रहे हैं। ऐसे लोगों का मकसद दूसरे धर्म को भ्रष्ट करने का है। लव जिहाद और नारकोटिक जिहाद दो चीजें हैं जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। पूर्व डीजीपी ने भी कहा था कि केरल आतंकियों का भर्ती केंद्र बनता जा रहा है। इधर आतंकियों के स्लीपिंग सेल्स हैं।”

 

परंतु बिशप इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “केरल में ‘लव जिहाद’ होने से इनकार करने का कोई भी प्रयास सच्चाई से मुँह मोड़ लेने जैसा है। बिशप ने कहा कि मुस्लिम विचारों को जबरदस्ती लाने की योजना चल रही है। सभी कैथोलिकों को इसके बारे में पता होना चाहिए और सतर्क रहना चाहिए”।

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इससे पहले केरल के कई ईसाइयों ने लव जिहाद के बढ़ते खतरे के प्रति अपने समुदाय को चेतावनी देने का प्रयास किया था। उदाहरण के लिए जून माह में दरअसल, केरल के ईसाई समुदाय के युवकों ने क्लब हाउस चैट के माध्यम से लव जिहाद जैसे अहम मुद्दे को चर्चा का विषय बनाया। इससे आहत होकर केरल के मुस्लिम समुदाय के गुरुओं ने राज्य के ईसाई समुदाय से संवाद करने का प्रयास किया, ताकि ईसाई – मुस्लिम एकता का प्रदर्शन किया जा सके, लेकिन हुआ ठीक उल्टा।

उक्त चर्चा में भाग लेने वाले फादर नोबल थॉमस परक्कल ने कहा कि ‘लव जिहाद’ के मुद्दे को पूरी तरह से निराधार नहीं कहा जा सकता है। फादर नोबल ने कहा कि “लव जिहाद एक ऐसा पैटर्न है जो पूरे राज्य में देखा जा सकता है जो हमें इसके पीछे के आधार पर संदेह करने के लिए मजबूर  करता है।” फादर ने आगे कहा कि, “इसके अलावा, एम. एम अकबर जैसे उपदेशक पिछले दो दशकों से हमारे धर्म का अपमान कर रहे हैं।“

फादर नोबल ने कहा कि “बातचीत तभी संभव है जब मुस्लिम संगठन लोगों को भड़काना बंद करेंगे। हादिया (शादी) मामले में पूरे मुस्लिम समुदाय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का समर्थन किया था। पनक्कड़ सादिक अली थंगल का अखबार में हागिया सोफिया को मस्जिद में बदलने का लेख भी भड़काऊ था।”

इसी परिप्रेक्ष्य में बिशप जोसेफ कल्लारंगट ने अपने वीडियो आगे ये भी कहा कि कुछ लोग ये कहकर चरमपंथ को बढ़ावा दे रहे हैं कि न्याय, शांति और इस्लाम के लिए युद्ध और संघर्ष जरूरी है। कुछ जिहादी चरमपंथी विश्व भर में हैं जो नस्लवाद, नफरत और घृणा को बढ़ावा दे रहे हैं। इसमें उनका स्वार्थ है। कई प्रयास हुए हैं कि मुस्लिम विचारधारा को लागू किया जा सके। हलाल विवाद इसका  ताज़ा उदाहरण है।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि धीरे-धीरे ही सही, परंतु केरल के ईसाई अब कट्टरपंथी मुसलमानों और उनके अत्याचारों के प्रति सचेत हो रहे हैं। जिस प्रकार से कोट्टायम के बिशप अब खुलेआम अपने समुदाय को लव जिहाद और ड्रग्स / लव और नारकोटिक जिहाद के प्रति सचेत कर रहे हैं, उससे स्पष्ट हैं कि जब तक खुद पे नहीं बीतती, तब तक लोगों को एहसास नहीं होता कि दूसरों को क्या तकलीफ होती है।

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