आखिर क्यों भारत में कोरोना के बाद हुए आर्थिक सुधारों को बिजनस स्कूल में पढ़ाया जाना चाहिए

भारत की जीडीपी

PC: Business Standard

वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के कारण भारत की जीडीपी -24 प्रतिशत तक गिर गई थी, किन्तु अब भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक ऐतिहासिक छलांग लगाई है। वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी ने 20.1 फीसदी तक बढ़त प्राप्त की है। वहीं, अगर इस अभूतपूर्व बढ़ोतरी को देखा जाए तो ये कहा जा सकता है कि तमाम नकारात्मक परिस्थितियों के बावजूद मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिस तरह से आर्थिक स्थिति को संभाला है, उसे बिजनेस स्कूल के पाठ्यक्रमों में शामिल करने की आवश्यकता है, जिससे लोग भविष्य में मोदी सरकार के इन कदमों से बड़ी आर्थिक सीख प्राप्त कर सकें।

कोरोना के कारण पिछले 15 महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था नकारात्मक रही। लॉकडाउन के कारण ठप हुए कारोबार एवं आर्थिक गतिविधियों के कारण भारत की जीडीपी -24 प्रतिशत तक गिर गई; किन्तु अब सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। अप्रैल से जून तक… जब कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर थी, उसी दौरान देश में आर्थिक गतिविधियों को धीरे-धीरे छूट दी गई थी, इसके चलते वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही अर्थात अप्रैल 2021 से जून 2021 में भारत की जीडीपी की ग्रोथ में 20.1 प्रतिशत की बढ़त रही है।

2020-21 की पहली तिमाही में जो आर्थिक विकास 26 लाख करोड़ का था, वो 2021-2022 की पहली तिमाही में 32 लाख करोड़ से भी अधिक का हो गया है। कृषि क्षेत्र से लेकर रियल इस्टेट एवं ऑटोमोबाइल सभी सेक्टर्स में बढ़ोतरी देखी गई है। इसमें कोई शक नहीं है कि देश के इस अभूतपूर्व आर्थिक विकास का सारा श्रेय मोदी सरकार एवं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दिया जाना चाहिए।

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कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी का भारत में खतरा सर्वाधिक था जिसकी वजह विशाल जनसंख्या थी।  भले ही प्रतिशत में आंकड़ा 1 2 या 3 तीन दिखे, किन्तु वही आंकड़ां जब अंको में परिवर्तित होता है, तो प्रतिदिन तीन से चार लाख केस सामने आने की खबरें देश के लिए नकारात्मक थीं। जिस देश में नियमों का उल्लंघन करना एक अपराध माना जाता हो, वहां नियमों की भी खूब धज्जियां उड़ाई गईं, जिसके चलते देश में कोरोना के केस तेजी से बढ़े, लेकिन सरकार ने अपनी कार्यकुशलता के दम पर इसपर लगाम लगाई है।

पहली लहर के बाद भारत ने स्वदेशी दो वैक्सीनों के जरिए जल्द-से-जल्द वैक्सीनेशन करने की ठानी तो वैक्सीन पर भी दुष्प्रचार किया गया। धर्म गुरु से लेकर विपक्षी राजनेता तक वैक्सीन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने लगे। जिसका नतीजा ये हुआ कि भारत में दूसरी लहर का प्रकोप पहली लहर से भी कहीं अधिक खतरनाक रहा, क्योंकि लोग वैक्सीन लगवाने से हिचक रहे थे। नतीजा ये हुआ कि राज्यों को लॉकडाउन लगाना पड़ा।

इसके बावजूद मोदी सरकार ने आर्थिक गतिविधियों का संचालन पूर्णतः बंद नहीं किया। इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर प्रोडक्शन तक को संचालन की पूरी छूट दी गई, किन्तु जमीना स्तर पर बाजारों के संचालन एवं सर्विस सेक्टर का कामकाज ठप ही रहा। लोगों की जरूरत के अनुसार ही आर्थिक स्थितियां बहाल की गईं। मोदी सरकार पहले ही कह चुकी थी, कि सरकार का ध्यान जान एवं माल दोनों पर था। जिसके परिणाम अब सकारात्मक दिख रहे हैं, क्योंकि दूसरी लहर के दौरान मोदी सरकार ने आर्थिक गतिविधियों का संचालन अपनी सूझ-बूझ के आधार पर किया है, और अब परिणाम सकारात्मक दिख रहे हैं।

कोविड के बावजूद मोदी सरकार का जबरदस्त आर्थिक मैनेजमेंट ही था, जिसने साल भर बाद भारत की जीडीपी को 20.1 प्रतिशत तक पहुंचाया है। ऐसे में विश्लेषकों ने तो ये तक कहना शुरु कर दिया है कि मोदी सरकार की सफलता को बिजनेस स्कूल के छात्रों में पाठ्य क्रम मे भी इसे शामिल किया जाए, जिससे भविष्य की पीढ़ियां बदतर हो चुकी अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान का सबक सीख सकें।

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