लगता है अब जॉर्ज सोरोस की शामत आने वाली है। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने वामपंथियों के प्रिय एक्टिविस्ट और CAA में अग्रणी आंदोलनकारी रहे हर्ष मंदर के घर पर छापा मारा है। कभी कांग्रेस की ‘सुपर पीएम’ सोनिया गांधी के NAC के सदस्य रहे हर्ष मंदर पर प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लौंडरिंग के संबंध में छापा मारा है।
लेकिन ये जॉर्ज सोरोस कौन है, और हर्ष मंदर पर कार्रवाई से जॉर्ज सोरोस को क्या नुकसान होगा ? असल में जॉर्ज सोरोस एक वामपंथी उद्योगपति है, जो स्पष्ट तौर पर राष्ट्रवाद का विरोधी है, और राष्ट्रवादी सरकारों को अपदस्थ करने के लिए खुलेआम वामपंथियों की सहायता भी करता है। इसी के विवादास्पद एनजीओ, Open Society Foundations के ही एक सदस्य हैं हर्ष मंदर, जो किसी समय आईएएस को अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं। हर्ष मंदर Centre for Equity Studies नाम से संगठन चलाते हैं, जो जॉर्ज सोरोस के पैसों से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देता है। इसी एनजीओ ने CAA के विरोध के नाम पर भारत विरोधी गतिविधियों को जमकर बढ़ावा दिया था।
लेकिन अब जॉर्ज सोरोस की और नहीं चलेगी। राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा कमीशन के आह्वान पर दिल्ली पुलिस ने हाल ही में हर्ष मंदर के इसी एनजीओ के अंतर्गत जो चाइल्ड होम – उम्मीद अमन घर [लड़कों के लिए] और खुशी रेनबो होम [लड़कियों के लिए] से संबंधित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर FIR दर्ज की गई है।
इसी फिर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय, जो अक्सर बड़े वित्तीय अपराधों की जांच करता है, अब हर्ष मंदर के विरुद्ध जांच बिठाने को तैयार है, और संभवत: हर्ष के विरुद्ध धोखाधड़ी, भरोसा तोड़ना और आपराधिक साजिश जैसे आरोपों के अंतर्गत मुकदमा दर्ज होगा।
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हर्ष मंदर आज से नहीं, अपितु कई वर्षों से भारत विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं। जब ये केंद्र सरकार के ‘सलाहकार’ थे, तभी इन्होंने अरुणा रॉय और निखिल डे के साथ मिलकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से 26/11 के आतंकी घटना को अंजाम देने वाले आतंकी मुहम्मद अजमल कसाब के दया याचिका के लिए गुहार लगाई थी। NAC का सदस्य होने के नाते इन्होंने संसद पर हमले के दोषी मोहम्मद अफजल गुरु को भी फांसी से बचाने के लिए निरंतर दया याचिका पर दया याचिका कोर्ट में डाली थी।
NAC को अपनी सेवाएँ देने के पश्चात इन्होंने उन्ही संगठनों को चुना, जिनका उद्देश्य कभी भी नेक न रहा हो।यूं ही नहीं ये जॉर्ज सोरोस के संगठन में सम्मिलित हुए, आखिर अपने एजेंडा को साधना भी तो अति आवश्यक था। TFI पोस्ट के ही एक विश्लेषणात्मक पोस्ट के अनुसार,
“विश्व के अनेक देशों की सरकारों को NGOs की मदद से उथल पुथल कर देने वाले Deep State Kingpin सोरोस के भारत में भी कई लिंक और NGO हैं। उनमें से हर्ष मंदर प्रमुख हैं। हर्ष मंदर कई ऐसे Organization से जुड़े हैं जिनकी फंडिंग के ऊपर FCRA लग चुका है। यही नहीं हर्ष मंदर Open Society Foundation के Human Rights Initiative Advisory Board में भी हैं। यह फ़ाउंडेशन जॉर्ज सोरोस द्वारा संचालित किया जाता है जिसने भारत की मोदी सरकार जैसी राष्ट्रवादी सरकार के खिलाफ कदम उठाने के लिए 1 बिलियन डॉलर लगाने का ऐलान किया था।”
ऐसे में हर्ष मंदर पर हाथ डालना माने सोरोस को खुली चुनौती देना, और मोदी सरकार ने वर्तमान कदम से यही किया है। ये वही मोदी सरकार है, जिनके प्रशासन में ग्रीनपीस और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे वामपंथी एनजीओ तक को अपना बोरिया बिस्तर समेटना पड़ा था। ऐसे में यदि जॉर्ज सोरोस या हर्ष मंदर ये सोचे हों कि वे अपनी गीदड़ भभकियों से नरेंद्र मोदी को झुक देंगे, तो वे बहुत बड़ी गलतफहमी में थे, और शायद इसी का परिणाम हर्ष मंदर आज भुगत रहे हैं।