आरएसएस पर एक वाहियात टिप्पणी करके जावेद अख्तर ने पूरे खानदान का बैंड बजा दिया

आरएसएस जावेद अख्तर

जावेद अख्तर अपने बड़बोले बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहते हैं, और इस बार भी मामला कुछ भिन्न नहीं है। हाल ही में जावेद अख्तर महोदय ने आरएसएस की तुलना तालिबान से की है। जनाब को लगा कि अपने पहले की बयानों की भांति इस बार भी वे पाक साफ बच जाएंगे, परंतु इस बार उनका बड़बोलापन उनके साथ साथ उनके परिवार को भी भारी पड़ सकता है।

एक साक्षात्कार के दौरान बॉलीवुड के इस विवादित गीतकार ने आरएसएस की तुलना तालिबान से करते हुए कहा, “आरएसएस का समर्थन करने वालों की मानसिकता भी तालिबानियों जैसी ही है।  आरएसएस का समर्थन करने वालों को आत्म परीक्षण करना चाहिए। आप जिनका समर्थन कर रहे हैं, उनमें और तालिबान में क्या अंतर है? उनकी जमीन मजबूत हो रही है और वे अपने टारगेट की तरफ बढ़ रहे हैं। दोनों की मानसिकता एक ही है।”

ये बयान न सिर्फ हास्यास्पद है, अपितु सच्चाई से भी कोसों दूर है। महिलाओं का शोषण करने वाले, निर्दोषों की हत्या करने वाले और उनकी तुलना में भारत की अखंडता का पक्ष लेने वाले एवं हर आपदा में निस्वार्थ सेवा करने वालों की सोच एक कैसे हो सकती है?

परंतु जावेद अख्तर यूं ही बदनाम नहीं है। इससे पहले भी वह अपने विवादित बोल के लिए सोशल मीडिया पर जनता के कोपभाजन का शिकार बन चुके हैं। जब रामजस कॉलेज को लेकर 2017 में उपजे विवाद पर लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले योगेश्वर दत्त एवं बबीता फोगाट ने राष्ट्रवादियों का पक्ष लिया, तो जावेद अख्तर ने इनके ग्रामीण परिवेश का उपहास उड़ाते हुए इन्हें ‘अनपढ़ गंवार’ की संज्ञा दी। इसपर बहुत विवाद भी उत्पन्न हुआ।

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हर बार की भांति जावेद अख्तर को प्रतीत हुआ कि कोई उनके बड़बोलेपन पर ध्यान नहीं देगा और वे पाक साफ बच जाएंगे। लेकिन इस बार ऐसा कुछ लगता है होने वाला नहीं। संघ से जुड़े लोग इस तुलना से बेहद विक्षुब्ध हैं और उन्होंने जावेद के घर के बाहर प्रदर्शन भी किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा, “जावेद अख्तर कैसे तालिबान की तुलना आरएसएस से कर सकते हैं? उन्हें माफी मांगनी होगी।  यह बहुत ही शर्मनाक है कि इतना पढ़ा लिखा आदमी इस प्रकार की बात करता है। इस प्रकार के बयान से उन्हें बचना चाहिए”।

लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा अब प्रदर्शन तक ही सीमित नहीं रहने वाली। भाजपा विधायक राम कदम ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए ट्विटर के माध्यम से सूचित किया है कि जावेद अख्तर ने आरएसएस की तुलना तालिबान से करके अक्षम्य अपराध किया है। जब तक जावेद अख्तर हाथ जोड़कर पूरे देश से इस अपराध के लिए क्षमा नहीं मांगते, वे किसी भी फिल्म में यदि योगदान देंगे, तो हम उसे माँ भारती में कहीं भी प्रदर्शित नहीं होने देंगे। लेकिन मुसीबत केवल जावेद पर नहीं आएगी। एबीपी न्यूज के रिपोर्ट के अनुसार भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करते समय मांग की कि या तो जावेद अख्तर बिना शर्त माफी मांगे, नहीं तो उनके क्या, उनके खानदान के किसी सदस्य की फिल्म नहीं प्रदर्शित होने दी जाएगी। ऐसे में जावेद अख्तर ही नहीं, शबाना आजमी, फरहान अख्तर, एवं जोया अख्तर का करियर भी खतरे में आ सकता है।

जी हाँ, आपने ठीक सुना। जब तक जावेद अख्तर अपने ओछे बयान के लिए क्षमा नहीं मांगते, तब तक उनकी और उनसे जुड़े लोगों की फिल्मों को सार्वजनिक बॉयकॉट का सामना करना पड़ेगा। अब जिन लोगों को लग रहा है कि यह तो हवाई तीर है, उन्होंने शायद ‘फ़ना’ और ‘परज़ानिया’ का नाम नहीं सुना। इन दोनों ही फिल्मों को गुजरात में भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शित तक नहीं होने दिया था, क्योंकि ‘फ़ना’ के मुख्य अभिनेता आमिर खान नर्मदा बचाओ आंदोलन के नाम पर सरदार सरोवर बांध परियोजना का विरोध कर रहे थे, और ‘परज़ानिया’ गोधरा दंगों पर वामपंथियों के प्रोपगैंडा को बढ़ावा दे रही थी, जिसमें हिंदुओं को जानबूझकर नकारात्मक तौर पर चित्रित किया जा रहा था।

ऐसे में जावेद अख्तर ने आरएसएस की तुलना तालिबान से करके इस बार न केवल अपनी, बल्कि संभवत: अपनी खानदान की भी शामत बुलाई है। यदि भाजपा विधायक राम कदम अपने वादे के अनुरूप उनकी फिल्मों का पूरे भारत में नहीं तो कम से कम महाराष्ट्र में ही सफल बहिष्कार करवाते हैं, तो जावेद अख्तर की मुश्किलें बढ़ जायेंगी।

 

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