पुरखों के सत्कर्मों को मिटाने एवं झुठलाने के प्रयास पुरानी सरकारों एवं वामपंथी एजेंडा वादियों ने खूब किए हैं। सर्वविदित है कि देश के इतिहासकारों ने इतिहास भी कल्पना के आधार पर लिखा, किंतु मोदी सरकार के आने के बाद सत्य की परतें लगातार खुल रही हैं। ठीक उसी तरह उत्तर प्रदेश में योगी सरकार भी देश के उत्थान में योगदान देने वाले पुरखों का खोया हुआ सम्मान वापस दिलाने के लिए काम कर रही है, जिसका ताज़ा उदाहरण अलीगढ़ में बनने वाली राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी है। इस यूनिवर्सिटी का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। योगी सरकार का ये कदम न केवल महेंद्र प्रताप सिंह के भुला दिए गए सम्मान को बहाल करेगा, अपितु अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वामपंथी एजेंडे की काट भी करेगा।
देश में मोदी एवं उत्तर प्रदेश में योगी… दोनों ही सरकारों को पता है कि पुरखों को सम्मान देने से उनका आशीर्वाद भी मिलेगा, और राजनीतिक फायदा भी। कुछ ऐसा ही राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी को लेकर सामने आया है, जो कि एक प्रतिष्ठित जाट नेता भी थे। योगी सरकार ने अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर यूनिवर्सिटी खोलने की योजना बनाई है, जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को करने वाले हैं। इस राज्य स्तरीय यूनिवर्सिटी की स्थापना को लेकर सारा काम-काज मुख्यमंत्री योगी स्वयं मॉनिटर कर रहे हैं, जो स्पष्ट करता है कि ये यूनिवर्सिटी न केवल ऐतिहासिक या चुनावी दृष्टि से महत्वपूर्ण होने वाली है, अपितु ये एक सकारात्मक एजेंडा भी सेट करने वाली हो सकती है।
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दरअसल, पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अलीगढ़ गए थे, तो मांग उठी थी, कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर रखा जाए, क्योंकि उनके सत्कर्मों को भुलाया गया। ये सच है कि, महेंद्र प्रताप सिंह ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के गठन के लिए अपने खजाने खोले थे, किंतु यूनिवर्सिटी के इतिहास में उनका कोई उल्लेख नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने अलग-अलग शिक्षा क्षेत्रों में प्रगति के लिए विशेष योगदान दिया था, किन्तु उन्हें जो सम्मान मिलना चाहिए था, वो नहीं दिया गया। इसके विपरीत योगी सरकार को लेकर सर्वविदित है कि सत्कर्म करने वाले विरोधियों को भी सीएम योगी सम्मान देते हैं।
ऐसे में अपने दौरे में सीएम योगी ने ऐलान किया था, कि राज्य सरकार अलीगढ़ में एक राज्य स्तरीय राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी की स्थापना करेगी। एक कार्यक्रम के दौरान ही सीएम योगी ने राजा की प्रतिष्ठा का बखान करते हुए बताया था कि कैसे साल 1915 में राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अफगानिस्तान में आज़ाद हिंद फौज के दम पर भारत की अंतरिम सरकार बनाई थी, और वो शिक्षण संस्थानों एवं किसानों के लिए जमीन यूं ही दान दे देते थे, इसीलिए राजा महेंद्र प्रताप सिंह के सम्मान यूनिवर्सिटी की स्थापना होना सकारात्मक है।
बात करें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास की, तो इसकी स्थापना सर सैयद अहमद खान ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर की थी , किन्तु इसमें मुख्यता इस्लामिक कट्टरता को गढ़ बनाया था। इसमें स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले केवल मुस्लिमों को ही शिक्षा का अधिकार था, जिसे 1951 में नियमों में संशोधन करने के बाद में गैर मुस्लिमों के लिए भी खोला गया। यहां कट्टरपंथ की बुनियाद अभी भी मजबूत हैं, संभवतः यही कारण है कि देश विरोध से लेकर वैक्सीन के मुद्दे पर यहां से एक दुष्प्रचार चलाया जाता रहा है।
महेंद्र प्रताप सिंह को देश का बंटवारा करवाने वाले मोहम्मद जिन्ना का विरोधी माना जाता था। उन्होंने 1930 में कांग्रेस नेता जवाहर लाल नेहरू को एक चिट्ठी लिखकर कहा था कि मोहम्मद अली जिन्ना एक जहरीला सांप है, उसे गले मत लगाइए। स्पष्ट है कि महेंद्र प्रताप एक दूरदर्शिता वाले व्यक्ति थे, एवं उन्होंने जिन्ना की बदनीयती को पहचान लिया था। इसके विपरीत आज की स्थिति अजीबो-गरीब है क्योंकि जिन महेंद्र प्रताप सिंह ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए सर्वाधिक मदद की थी, उनका विश्वविद्यालय के इतिहास से लेकर दीवाऱों में कोई उल्लेख नहीं है, अपितु वो जिससे नफरत करते थे उस जिन्ना की तस्वीर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सेन्ट्रल हॉल में लगाई गई है।
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ऐसे में ये माना जा रहा है कि जिन्ना विरोधी महाराजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर यूनिवर्सिटी का गठन योगी सरकार का एक सराहनीय कदम है, क्योंकि ये जिन्ना के विचार का प्रचार-प्रसार करने वाले एएमयू के एजेंडों की काट करने में सहायक होगा। इतना ही नहीं राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी के गठन के बाद संभावनाएं हैं कि धीरे-धीरे एएमयू का अस्तित्व भी कम हो जाएगा।
वहीं महत्वपूर्ण बात ये भी है कि महेंद्र प्रताप सिंह एक बड़े जाट नेता थे, ऐसे में किसान आंदोलन के नाम पर राकेश टिकैत जैसे जो नेता मुजफ्फरनगर के जाट विरोधी दंगों को भूलकर अल्ला-हू-अकबर का नारा लगा रहे हैं। उनका प्रयास भाजपा के जाट वोट बैंक को नुक़सान पहुंचाने का है किन्तु योगी सरकार का जाट नेता महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर यूनिवर्सिटी बनाने का ये फ़ैसला जाट वोट बैंक को भाजपा के लिए मजबूत कर सकता है l