भारत की सीमा में घुसे 200 चीनी सिपाही, फिर भारतीय सेना ने उन्हें पकड़ा और बाहर घसीट दिया

भारतीय सेना ने PLA के गुंडों को घंटो तक अपने कब्ज़े में रखा....

PLA सैनिक

हाल ही में भारतीय सैनिकों ने चीन द्वारा भारत पर आक्रमण करने के एक प्रयास को सफलतापूर्वक ध्वस्त भी किया और उन्हे दमदार प्रत्युत्तर भी दिया।अरुणाचाल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में उत्तराखंड की ही भांति चीनी PLA के सैनिक उत्पात मचाने की मंशा से आक्रमण हेतु आए थे, परंतु भारतीयों ने ना केवल उनके इस प्रयास को विफल किया, अपितु उन्हे हिरासत में भी लिया और उन्हे ‘वास्तविकता से परिचित’ कराकर ही छोड़ा।

वो कैसे? असल में चीन के 200 से अधिक PLA सैनिक अरुणाचल प्रदेश के भारत-तिब्बत बॉर्डर में सीमा रेखा को लांघते हुए तवांग क्षेत्र के Yangtse और Bum La बॉर्डर दर्रे के बीच स्थित क्षेत्र में खाली बँकरों को ध्वस्त करने का प्रयास किया। लेकिन भारतीय सेना इस मोर्चे के निकट पहले से ही तैनात थी, और उसने न केवल PLA के सैनिकों की योजना को ध्वस्त किया, अपितु अप्रत्याशित कदम उठाते हुए उन्हे हिरासत में भी लिया। कहा जा रहा है कि भारतीयों ने 200 PLA के सैनिक को वहीं रोककर खदेड़ दिया, और उसके पश्चात उन्हे जाने दिया। इस पूरे प्रकरण में भारतीय सैनिकों को कोई नुकसान नहीं हुआ।

जिस मोर्चे पर चीन ने भारत को चुनौती देने का प्रयास किया था, वो रणनीतिक रूप से भी काफी अहम है। Yangtse एवं Bum La दर्रे के बीच का जो क्षेत्र है, इसके ज़रिए पहले भी चीन ने अनेकों बार आक्रमण का प्रयास किया है। 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान Bum La मोर्चे पर चीनी सेना इसी जगह से आई थी, जहां उनसे 1 Sikh Regiment के जवानों ने लोहा लिया था।

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इन दिनों चीन की आक्रामक गतिविधियां काफी अधिक बढ़ चुकी है, और अरुणाचल इस दृष्टि में अकेला नहीं है। हाल ही में 50 से अधिक फाइटर जेट्स ने ताइवान के एयरस्पेस का उल्लंघन करते हुए आक्रमण करने का प्रयास किया था, जिसे ताइवान ने विफल किया। इसके अलावा भारत में भी सितंबर माह में चीन की PLA ने उत्तराखंड में दो बार सीमारेखा पार करते हुए भारतीय सुरक्षाबलों को उकसाने का प्रयास किया। बाराहोती में तो उन्होंने एक पैदल पुल तक को ध्वस्त कर दिया था

पिछले एक वर्ष से कोरोना वायरस की आड़ में चीन अपनी औपनिवेशिक आकांक्षाओं को बल दे रहा है, और भारत इससे अछूता नहीं है। चीन न इतिहास से कोई सीख लेता है, और न ही पिछले वर्ष की गतिविधियों से, जब वो एक बार नहीं, तीन बार भारतीयों द्वारा अनेक मोर्चों पर कूटा गया है। जब सिक्किम में चीन ने गुंडागर्दी करने का प्रयास किया, तो वहाँ एक भारतीय अफसर ने PLA अफसर द्वारा आचरण की सीमा लांघने पर उसे खूब मारा। गलवान घाटी में जिस भांति चीन के ‘नन्हे मुन्हे’ सैनिकों की भारतीयों ने कुटाई की, उसके बारे में उल्लेख करने में आज भी चीनी प्रशासन के लोग बगलें झाँकने लगते हैं। इसके अलावा पैनगोंग त्सो में जब चीनियों ने आक्रमण करने के लिए योजना बनाई, तो भारत ने उनके योजना को ध्वस्त करते हुए वर्षों बाद ‘रेकिन घाटी’ अथवा ‘ब्लैक टॉप’ पर तिब्बतियों के सहयोग से गठित स्पेशल फ़्रंटियर फोर्स की सहायता से अपना अधिकार पुनर्स्थापित किया।

अब जिस प्रकार से चीनियों के आक्रमण को ध्वस्त कर और उन्हें उनकी औकात बताकर भारतीय सेना ने वापिस भेजा है, उससे स्पष्ट है कि चीन के हर हमले के लिए भारत पूरी तरह से तैयार है। यदि चीन ने कोई भी गड़बड़ी की, तो शायद इस बार 1971 की विजय भी चीन के ऊपर भारत की प्रचंड विजय के आगे फीकी पड़ जाएगी।

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