भवानीपुर में गंवाया सुनहरा मौका: ममता को हराने में नाकाम रही  BJP, लड़ने से पहले ही BJP ने सरेंडर कर दिया था 

TMC

पश्चिम बंगाल की भवानीपुर विधानसभा सीट से ममता बनर्जी उपचुनाव जीत गई हैं। मुख्यमंत्री ममता ने BJP उम्मीदवार प्रियंका टिबरेवाल को 58,832 वोटों से हरा दिया है। बंगाल TMC कार्यकर्ता CM ममता की जीत का जमकर जश्न मना रहे हैं, इसके साथ ही ममता की कुर्सी भी अब सेफ है। भाजपा की हार से किसी को कोई हैरानी भी नहीं है क्योंकि भाजपा ने तो चुनाव से पहले ही सरेंडर कर दिया था।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता ममता ने अपनी जीत पर कहा, ‘मैंने भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव 58,832 वोटों के अंतर से जीता है और निर्वाचन क्षेत्र के हर वार्ड में जीत दर्ज की है’।

बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी ने बेहतरीन जीत हासिल की थी। उस चुनाव में ममता बनर्जी को बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी के हाथों करारी हार मिली थी, लेकिन इसके बावजूद टीएमसी चीफ ने सीएम पद की शपथ ले ली, जिसे लेकर बवाल भी मचा था। बंगाल चुनाव में टीएमसी को बीजेपी से करारी टक्कर मिली थी, बीजेपी भले ही चुनाव हार गई, लेकिन पार्टी राज्य में पहली बार 77 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इस बड़ी कामयाबी से बीजेपी के हौसले बुलंद थे।

इसके बाद चुनाव आयोग ने राज्य में तीन विधानसभा सीटों पर उप चुनाव कराए, उम्मीद जताई जा रही थी कि विधानसभा चुनाव की भांति इस चुनाव में भी बीजेपी तीनों सीटों पर करारी टक्कर देगी। उम्मीद के विपरीत बीजेपी ने इन सीटों पर ऐसे प्रत्याशियों को चुनावी दंगल में उतारा, जिनका रिकार्ड पहले से ही कुछ खास नहीं रहा है। नतीजतन बीजेपी को खामियाजा भुगतना पड़ा, अब भवानीपुर से ममता बनर्जी ने बीजेपी प्रत्याशी प्रियंका टिबरेवाल को हराकर जीत हासिल कर ली है।

अनुभवी नेताओं को चुनावी दंगल में उतार सकती थी बीजेपी

बीजेपी के पास भवानीपुर से ममता बनर्जी को मात देने के कई तरीके थे, लेकिन बीजेपी ने पहले ही हाथ खड़े कर दिए थे। बीजेपी के पास बंगाल में ऐसे नेताओं की कोई कमी नहीं थी, जो ममता को चुनौती न दे सके। इसके बावजूद बीजेपी ने कमजोर प्रत्याशी को उतारा, जिसके कारण ममता की मुश्किलें आसान हो गई। उपचुनाव में ममता को हराकर बीजेपी ममता समेत टीएमसी का राजनीतिक भविष्य अंधकारमय कर सकती थी, क्योंकि ममता बनर्जी नंदीग्राम चुनाव हार गई थीं पर पार्टी को जीत मिली थी। इसके बाद वह सीएम बनीं, भाजपा के पास उपचुनाव में ममता को भवानीपुर से हराने का सुनहरा अवसर था परंतु बीजेपी इस सुनहरे मौके को भुनाने में नाकाम रही।

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उपचुनाव में बीजेपी ने प्रियंका टिबरेवाल को ममता बनर्जी के सामने उतारा, जो अभी तक एक भी चुनाव नहीं जीत पाई हैं। पिछले 2 चुनावों में उन्हें जबरदस्त हार मिली थी। ऐसे में उनके ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए बीजेपी उनकी जगह पर पार्टी के दिग्गज नेता और बंगाल की राजनीति में अच्छी पकड़ रखने वाले तथागत रॉय को चुनावी दंगल में उतार सकती थी, क्योंकि ममता को टक्कर देने के लिए वह सबसे अनुभवी बीजेपी नेता थे। ममता के हर दांव को काउंटर करने के लिए जिस तरह से सुवेंदु अधिकारी को बीजेपी अपना शस्त्र बना कर प्रयोग करती आई है, ठीक उसी तरह पार्टी तथागत रॉय का इस्तेमाल भी बखूबी कर सकती थी लेकिन बीजेपी ऐसा करने में नाकाम रही।

ममता के आत्मविश्वास को झंकझोर सकती थी बीजेपी

इससे इतर उपचुनाव में ममता बनर्जी को मात देने के लिए बीजेपी अपने बड़े नेताओं को चुनाव प्रचार में लगा सकती थी। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपनी जमीन तलाश रही ममता बनर्जी को मात देने के लिए केंद्रीय मंत्रियों की फौज को भवानीपुर में उतारा जा सकता था, जोर-शोर से चुनाव प्रचार किया जा सकता था। तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली बनर्जी को हराकर उनके आत्मविश्वास को झंकझोरा जा सकता था लेकिन बीजेपी ऐसा करने में नाकाम रही। ऐसे में कहा जा सकता है कि बीजेपी के पास शानदार मौका था, अगर पार्टी कोशिश करती तो भवानीपुर से ममता बनर्जी को आसानी से मात दे देती।

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ममता को टक्कर देने के मूड में नही थी बीजेपी

बताते चले कि भवानीपुर सीट पर हिंदुओं की आबादी सबसे ज्यादा है। यहां 65 फीसदी से अधिक हिंदू आबादी है। इस विधानसभा सीट को मिनी इंडिया भी कहा जाता है क्योंकि यहां प्रवासियों की एक बड़ी आबादी भी काम करती है। भवानीपुर के इस उपचुनाव में प्रवासी गुजरातियों की स्थिति भी महत्वपूर्ण रह सकती थी क्योंकि यहां गुजरात से आए लोगों एवं मारवाड़ियों की एक बड़ी तादाद है। हिंदुत्व की विचारधारा पर विश्वास करने वाली बीजेपी भवानीपुर से हिंदुओं और गुजरातियों के वोट बैंक को टारगेट कर, ममता के प्लानिंग की बैंड बजा सकती थी। लेकिन इसके विपरीत उपचुनाव के लिए बीजेपी के उदासीन रवैए को देखकर कहा जा सकता है कि बीजेपी ममता को टक्कर देने के मूड में नहीं थी। ऐसे में बंगाल में मिली यह हार बीजेपी की रणनीतियों पर कुछ खास प्रभाव नहीं डाल पाएगी।

 

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