जैसा कि हेनरी किसिंजर ने बिस्मार्क के बारे में कहा है कि वास्तविक राजनीति, विचारधारा की बाधाओं के बिना हर संभव विकल्प का दोहन करने की क्षमता और लचीलापन का नाम है, और ऐसा प्रतीत होता है कि कूटनीति का वह रूप पाकिस्तान के समझ में नहीं आता। कदम दर कदम पाकिस्तान ने साबित किया है कि उसका राजनयिक और विदेशी संबंध पूरी तरह से उसकी विचारधारा पर निर्भर है। अब कट्टरपंथी और आतंकवाद को जन्म देने वाले पाकिस्तान की विचारधारा क्या है, यह आपको अच्छे से पता है। एक समय था जब पाकिस्तान, म्यांमार और तुर्की ने एक गुट बनाने की कोशिश की, जो वास्तविक इस्लाम पर आधारित था। तब इस्लामी विचारधारा के साथ पाकिस्तान, सऊदी अरब के नेतृत्व वाले इस्लामी संगठन के विरोध में था, लेकिन अब स्थिति वैसी नहीं रही। दिवालिया होने की कगार पर खड़ा हुआ पाकिस्तान अब अपनी क्षतिपूर्ति करने के लिए सऊदी अरब के पैरों में गिर गया है!
सऊदी को मनाने पहुंचे इमरान
खबर है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान आज सऊदी अरब पहुंच गए हैं, जहां वह “ग्रीन मिडिल ईस्ट इनिशिएटिव” (GMI) में भाग लेंगे। पाकिस्तान की मानें तो सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इमरान खान को आमंत्रित किया है और रियाद -इस्लामाबाद के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के संकेत दिए हैं।
इस वर्ष मई में खान की यात्रा के बाद, यह नवीनतम यात्रा तब आती है जब दोनों देश कथित तौर पर अपने संबंधों को सुधारने पर काम कर रहे हैं। पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर भारत का मुकाबला करने के लिए सऊदी अरब पर दबाव बनाने की कोशिश के बाद 2019 में इन दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। जिसके बाद सऊदी अरब ने पाकिस्तान को दंडित करते हुए 3.4 बिलियन डॉलर का ऋण वापस ले लिया और सऊदी में काम करने वाले पाकिस्तानियों पर कार्रवाई भी की थी।
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हालांकि, डांवाडोल अर्थव्यवस्था वाला पाकिस्तान अब ईरान पर अंकुश लगाने के लिए सऊदी क्षेत्रीय प्रयासों का समर्थन कर, सऊदी अरब के साथ अपनी स्थिति सुधारने की कोशिश कर रहा है। सऊदी-पाकिस्तान संबंधों के सुधार की दिशा में काम करने के बावजूद दोनों देशों के बीच हो रही यह द्विपक्षीय वार्ता केवल पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा करने तक ही सीमित रहेगा।
दरअसल, आतंक को पनाह देने वाले पाकिस्तान की हालात दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। पाकिस्तान पर वर्ल्ड बैंक समेत कई बड़े देशों का कर्ज है। दूसरी ओर सऊदी अरब पेट्रोलियम का सबसे बड़ा स्रोत है और खबरों की मानें तो यह देश पाकिस्तान को हर साल वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है। लेकिन 2019 में हुए तनाव के बाद स्थिति दयनीय हो गई थी। ऐसे में पाकिस्तान एक बार फिर से जीभ लपलपाते हुए सऊदी अरब की ओर उम्मीद की दृष्टि से देख रहा है।
तुर्की गरीब तो सऊदी दोस्त!
एक समय पाकिस्तान और तुर्की अन्य इस्लामी संगठनों के इतने खिलाफ थे कि वो स्वयं के एजेंडे के साथ अपने संबंधों का प्रदर्शन करते थे और खुलेआम द्विपक्षीय संबंधों की मीटिंग रखते थे। लेकिन समय के साथ तुर्की अपनी विचारधारा और अपने ही लचीले फैसलों के जाल में फंस गया।
आज की तारीख में तुर्की का वित्तीय व्यवहार्य मजबूत नहीं है और ऐसा लगता है कि पाकिस्तान का एक प्रमुख वित्तपोषक अब चला गया है। वहीं, हम पहले से ही जानते हैं कि पाकिस्तान की स्थिति काफी दयनीय है, वो वित्तीय सहायता के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है। अब जब ऐसा लगने लगा है कि तुर्की हाथ से निकल गया है, तो उस पर पर्दा डालने के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान, सऊदी अरब के राजा मोहम्मद बिन सलमान से मिलने सऊदी पहुंच गए हैं।
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पाकिस्तान को नहीं मिलेगी फूटी कौड़ी
मोहम्मद बिन सलमान के साथ इमरान खान की मुलाकात का मतलब वहीं है जो आप और हम दोनों अच्छी तरह से समझ रहे हैं। जी हां! पाकिस्तान को सऊदी अरब से पैसा चाहिए। लेकिन उम्मीद इस बात की भी जताई जा रही है कि पाकिस्तान को सऊदी अरब से फूटी कौड़ी भी नहीं मिलने वाली है। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, भारत समेत दुनिया के कई बड़े देशों के साथ सऊदी अरब काफी अच्छे राजनयिक और द्विपक्षीय संबंध है, जिसे सऊदी किसी भी कीमत पर तार-तार करना नहीं चाहगेा। दूसरी ओर विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान का नाम सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले टॉप-10 देशों में शामिल हो गया है। जून के आंकड़ों के अनुसार अब तक इमरान सरकार 442 मिलियन डॉलर का कर्ज ले चुकी है। ऐसे में सऊदी अरब, पाकिस्तान को कर्ज देकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम बिल्कुल नहीं करेगा।