अली बाबर, एक आतंकी ने बताया कैसे पाकिस्तानी सेना जिहाद के लिए युवाओं का ब्रेनवॉश करती है

अली बाबर

PC: WION

जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में 18 सितंबर से शुरू हुए ऑपरेशन उरी के तहत 26 सितंबर को एक आतंकवादी को भारतीय सेना द्वारा गिरफ्तार किया गया है। 19 वर्षीय पाकिस्तानी आतंकवादी का नाम अली बाबर है। भारतीय सेना ने उसे मीडिया के सामने लाया जिसके बाद अली बाबर ने ऐसे ऐसे खुलासे किए हैं, जिससे पाकिस्तान और भारत में आतंवादियों को पनाह देने वालों की पोल खुल गई है। उसने मीडिया के सामने स्वीकार किया कि उसे भारत में आकर हथियारों की आपूर्ति के लिए उसके पाकिस्तानी आकाओं द्वारा 20,000 रुपये का भुगतान किया गया था। वीडियो में, किशोर आतंकवादी अपने पाकिस्तानी आकाओं से उसे उसकी माँ के पास वापस ले जाने के लिए विनती भी करता है।

इसके द्वारा बताए गई बातों से जो चीजें बाहर निकलकर आई, वह हर एक जागरूक नागरिक को जानने की आवश्यकता है।

पाकिस्तान सेना के कैम्प में सैन्य अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण और ISI के तरफ से प्रोत्साहन- अली बाबर

गिरफ्तार आतंकी अली बाबर ने सबको यह बताया कि पाकिस्तान सेना के एक सूबेदार ने उसे मिलिट्री ट्रेनिंग दी है। वहीं, लश्कर ए तैयबा में शामिल होने के लिए आईएसआई ने बीस हजार रुपये दिए थे। अली बाबर के अनुसार, उसे पाकिस्तानी सेना के मुज्जफराबाद स्थित सैन्य कैंप में फरवरी 2019 में तीन हफ्ते की ट्रेनिंग दी गई थी जहां पर कुल 9 पाकिस्तानी लड़कों को उसके साथ ट्रेनिंग दी गई थी। ट्रेंनिग के दौरान सभी लड़कों को कश्मीर में जिहाद के लिए तैयार किया गया था। गौर करने वाली बात यह है कि सैन्य संगठनों में सूबेदार का पद बड़ा होता है इस पद का इस्तेमाल कर पाकिस्तान में जिहाद करने की प्रशिक्षण सूबेदार ने दी थी।

अली बाबर के अनुसार,  भारत में सक्रिय आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा में शामिल होने के लिए आईएसआई ने 20 हजार रुपये दिए थे और बाकी 20 हजार कश्मीर में दाखिल होने के बाद देने की बात कही थी।

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मजबूर एवं अनाथ बच्चों को आतंकवादी गतिविधियों के लिए चुना जाता है

आतंकवाद जितना वैचारिक कारणों से प्रेरित होता है, उतना ही वह मजबूरियों की वजह से भी मजबूत होता है। अली बाबर ने बताया कि  सियालकोट में एक फैक्ट्री में काम करते हुए उसकी मुलाकात आईएसआई और लश्कर के लिए काम करने वाले एक लड़के से हुई‌ थी। लाजिमी है कि उसकी मजबूरी को समझ लिया गया होगा।

इसके अलावा ISI को यह भी मालूम चल गया कि उसके पिता नहीं है। अली बाबर ने बताया कि ‘यतीम और जरूरतमंद लड़कों को ही लश्कर में शामिल किया जाता है। मेरे पिता का इंतकाल हो चुका था और मैं घर में अकेला कमाने वाला था। 40 हजार रुपए बड़ी रक़म है और एक साथ पैसों के लिए वह कश्मीर में जिहाद के लिए तैयार हो गया’।

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पाकिस्तान सेना नहीं बताती है कि भारत एक सम्पन्न धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है – अली बाबर

अली बाबर ने यह भी बताया कि पाकिस्तान में ट्रेनिंग देने के दौरान यह बताया जाता है कि भारत एक हिन्दू बाहुल्य राष्ट्र है जहां अल्पसंख्यक मुसलमानों की कोई बात नहीं होती है। उनके अधिकारों को ताख पर रखकर उन्हें नमाज पढ़ने से, उन्हें उनकी धार्मिक अभिव्यक्ति से दूर रखा जाता है।

अली बाबर ने बताया कि ‘भारतीय सेना जब उरी से लेकर आई तब देखा कि बाजार में सभी कश्मीरी खुश हैं, जबकि हमें ये कहकर जिहाद के लिए तैयार किया गया था कि भारतीय सेना कश्मीरियों पर जुल्म करती है, उन्हें नमाज भी नहीं पढ़ने देती है। उरी में भारतीय सेना के कैंप में पिछले दो दिनों से लगातार पांच समय की नमाज की अवाज सुनाई देती है’।

पाकिस्तान यह समझता है कि जैसा व्यवहार वो अपने अल्पसंख्यक समुदाय के साथ करता है, वैसा ही व्यवहार भारत में भी किया जाता होगा लेकिन शायद वह नहीं जानते हैं कि भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक समुदाय को बहुसंख्यक समुदाय से ज्यादा अधिकार प्राप्त है

भारतीय सेना एक जिम्मेदार सेना है और पाकिस्तान सेना आतंकवाद परस्त सेना है

अली बाबर ने बताया कि वह 18 सितम्बर को पांच लड़ाकों के साथ भारत में घुसने की कोशिश किये थे और भारतीय सेना द्वारा देखे जाने के बाद और फायरिंग के बाद 4 वापस पाकिस्तान भाग गए। पाकिस्तान की सेना द्वारा भी भारतीय चौकियों पर फायरिंग की गई। बीच में फंसे रहे दो लड़के नाले में कूद गए जहां एक को भारतीय सेना द्वारा मार दिया गया और अली बाबर ने 26 सितंबर को भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया।

अली बाबर ने यह भी बताया कि पकड़े जाने के बाद भारतीय सेना ने उसके साथ कोई गलत व्यवहार या फिर जुल्म नहीं किया है। अली बाबर ने पाकिस्तान से ऐसे जिहादी आंदोलनों को समाप्त करने की अपील भी की है। उसने लश्कर ए तैयबा और ISI से वापस ले जाने की भी बात कही है।

भारत के लोगों के लिए इसमें एक बड़ा सन्देश छिपा हुआ है। यहां से यह बात समझना आवश्यक है कि जबतक पाकिस्तान की सेना भारतीय सेना से कमजोर है, तभी तक वो पीठ पीछे से वार करना चाह रहे हैं। अभी तक वो दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चला रहे हैं और ऐसा वो मजबूरी में कर रहे हैं। पाकिस्तान में भारतीय सेना के लिए बहुत नफरत है। यह बात अब साबित हो चुका है।

दूसरी बात यह आवश्यक है कि जिहाद के नाम पर लड़को को गलत चीजें बताई जा रही हैं और यह काम पाकिस्तान की सेना और ISI बहुत बढ़िया से कर रहे है। जरूरत यह भी है कि भारत ऐसे एजेंडों के खिलाफ सक्रिय रूप से हमला करे। भारत को अंतरराष्ट्रीय पटल पर पाकिस्तानी सेना की नीयत के बारे में बताया जाना चाहिए, क्योंकि यह सिर्फ एक सेना नहीं है, यह एक वैचारिक प्रेरित आतंकी सेना है।

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