अमिताभ, यूथ की आवाज और BYJU’S- कैसे सोशल मीडिया पर जागरुक जनता ने इनकी नींद उड़ा रखी है

इतिहास विकृत करने का, हिंदुओं के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने का और हिंदुओं को कुछ भी बोल कर निकल जाने का बदला लेगा ये सोशल मीडिया

यूथ की आवाज

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गैंग ऑफ वासेपुर में एक डायलॉग है बाप का, भाई का, दादा का, सबका बदला लेगा रे तेरा फैज़ल। आज यही काम सोशल मीडिया कर रही है। इतिहास विकृत करने का, हिंदुओं के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने का और हिंदुओं को कुछ भी बोल कर निकल जाने का बदला लेगा ये सोशल मीडिया। सोशल मीडिया ने आम जनता को इतना सामाजिक रूप से जागरूक बना दिया है कि शहंशाह और बादशाह को भी पानी मांगना पड़ रहा है। किसी ने सही ही कहा था, ‘प्रॉफ़िट दिखता है तो हर कोई झुकता है’।

पहले की हस्तियों और अब की हस्तियों में आकाश पाताल का अंतर आ चुका है। पहले नाम के लिए ही सही लेकिन हमारे तथाकथित सेलिब्रिटी आदर्शवाद की बाँसुरी अवश्य बजाते थे। परंतु अब पैसा कमाने की अंधी दौड़ में हमारे हस्तियों ने आदर्शवाद तो बहुत दूर की बात, हमारी संस्कृति तक को अपमानित करना फैशन बना लिया है। हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया भी होती है, और सोशल मीडिया पर जनता अब इतनी जागरूक हो चुकी है कि कोई भी हस्ती अपने दोहरे मापदंडों के साथ अधिक समय तक टिक नहीं सकता। चाहे वह ‘सदी के महानायक’ हो, ‘क्रांति की मशाल’ हो या फिर ‘रोमांस के बादशाह’…

दरअसल, पिछले कुछ हफ्तों में सोशल मीडिया पर जनता की जागरूकता और एकजुटता ने बड़े-बड़े हस्तियों की हेकड़ी निकाल दी है। कल तक जो अपने क्षेत्र के ‘फ़न्ने खां’ हुआ करते थे, आज उन्हें कोई पूछता भी नहीं और यह बात एनडीटीवी और स्वरा भास्कर जैसों से बेहतर कौन जानता है। पर इस बार सोशल मीडिया पर लोगों ने तो ‘यूथ की आवाज’, शाहरुख खान और यहां तक कि अमिताभ बच्चन की भी क्लास लगा दी है।

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बैकफुट पर आया ‘यूथ की आवाज’

उदाहरण के लिए ‘यूथ की आवाज़’ से प्रारंभ करते हैं। जब सोशल मीडिया 2016 में युवावस्था में था, तो ‘यूथ की आवाज’ को एक प्रभावशाली वेबसाइट माना जाता था, जो ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के ‘टक्कर की पत्रकारिता’ करता था। तब रिफ़त जावेद इसका प्रमुख चेहरा थे, जिनका प्रचार प्रसार स्वयं आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा एवं दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल करते थे। परंतु जैसे-जैसे जनता की जागरूकता बढ़ती गई, ‘यूथ की आवाज’ का वास्तविक स्वरूप उजागर होने लगा। यह पोर्टल पत्रकारिता के नाम पर पहले नरेंद्र मोदी का विरोध करता था, और फिर धीरे-धीरे भारतीय संस्कृति के विरुद्ध विष उगलने लगा।

तो इसका सोशल मीडिया की जागरूकता से क्या नाता है? असल में कुछ दिनों पहले ‘यूथ की आवाज’ को अपना 2 वर्ष पुराना लेख हटाने पर विवश होना पड़ा, जिसमें उसने बिना किसी ठोस प्रमाण के प्रभु श्रीराम पर व्यभिचारी होने और उनपर माता सीता के विरुद्ध ‘अत्याचार’ करने के खोखले और ऊटपटांग आरोप लगाए थे। इस पर हिन्दू आईटी सेल नामक ट्विटर अकाउंट ने ‘यूथ की आवाज’ को तुरंत इस विवादास्पद लेख को डिलीट करने को कहा, और ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की बात भी कही। फलस्वरूप ‘यूथ की आवाज’ ने न केवल वह लेख हटाया, अपितु क्षमा याचना भी की–

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सोशल मीडिया की एकता के कारण जहां ‘यूथ की आवाज’ को अपने हिन्दू विरोधी लेख हटाने पड़े, तो वहीं बॉलीवुड को अपने हिन्दू विरोधी फिल्मों के नाम बदलने पर विवश होना पड़ा। उदाहरण के लिए ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ का नाम ‘लक्ष्मी’ हो गया और ‘रावण लीला’ का नाम ‘भवाई’ हो गया। ये कोई बहुत बड़ी विजय नहीं, परंतु सही दिशा में छोटे-छोटे कदम अवश्य है।

परंतु असली खेल तो तीन उदाहरणों से स्पष्ट होता है। प्रथम उदाहरण केरल से निकला, जहां सोशल मीडिया पर जागरूकता और लोगों की एकजुटता के कारण एक घोर हिन्दू विरोधी और भारत विरोधी फिल्म को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। मोपला के दंगे यदि स्मरण हो, तो उसमें मालाबार हिंदुओं का नरसंहार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले केके हाजी का महिमामंडन करने के लिए आशिक अबू एक विशेष फिल्म बना रहे थे, जिसमें चर्चित मलयाली अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन मुख्य भूमिका निभाने वाले थे। परंतु भारी विरोध के पश्चात इस फिल्म को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है, और यदि सब कुछ सही रहा, तो ये फिल्म अब शायद ही कभी बने।

लपेटे में बिग-बी और शाहरुख

लेकिन यही एकमात्र उदाहरण नहीं है। अभी हाल ही में जब प्रसिद्ध सुपरस्टार और ‘सदी के महानायक’ कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन ने कमला पसंद जैसे तंबाकू संबंधित उत्पाद का विज्ञापन किया, तो उन्हें सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया गया। अमिताभ बच्चन ने पहले ‘सरोगेट एडवरटाइजिंग’ का बहाना करने का प्रयास किया, पर उनकी दाल नहीं गली। ऐसे में उन्हें अपना अनुबंध रद्द करने पर विवश होना पड़ा–

ठीक इसी प्रकार से हाल ही में शाहरुख खान से BYJU’S नामक एजुकेशनल स्टार्टअप ने भी अपना चार साल का नाता तोड़ लिया, क्योंकि जब उनका खुद का बेटा ड्रग्स के सेवन के आरोप में NCB द्वारा हिरासत में लिया गया हो, तो ऐसे में उनके साथ ऐसे समय में बने रहना न केवल व्यापार के लिए, अपितु बच्चों के विकास के लिए भी हानिकारक होगा। वैसे भी, जो अपने बेटे को नहीं संभाल सकता, वो किस प्रकार से दूसरे अभिभावकों को ज्ञान देने का अधिकार रखता है? सोशल मीडिया पर जनता के दबाव के कारण ही BYJU’S को शाहरुख खान से फिलहाल के लिए नाता तोड़ने के लिए विवश होना पड़ा है –

बताते चले कि उपर्युक्त मामलों को देखकर ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया पर जनता की ये जागरूकता एक व्यापक अभियान का रूप ले सकती है। जिस प्रकार से अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान जैसे प्रभावशाली हस्तियों तक को जनता के समक्ष झुकना पड़ा है, उससे स्पष्ट होता है कि अब जनता, समाज या संस्कृति का अपमान कतई स्वीकार नहीं करेगी। हो सकता है एक दिन ऐसा भी होगा जब सोशल मीडिया के इसी प्रभाव के कारण आमिर खान हिन्दू विरोध में यदि एक शब्द भी बोलेंगे, तो सोशल मीडिया के प्रभाव के कारण उन्हें एक भी विज्ञापन या प्रचार प्रसार का अवसर प्राप्त नहीं होगा, और उनकी सारी स्टारडम धरी की धरी रह जाएगी।

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