भारत और जापान के साथ मिलकर ऑटोमोबाइल क्रांति लायेंगे Apple और Foxconn

चीन का इसमें दूर-दूर तक कोई ज़िक्र नहीं है!

बढ़ते प्रदूषण के स्तर और ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण अब दुनिया के सभी देश बिजली से चलने वाले वाहनों की ओर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। आज के इस युग में विश्व की फैक्ट्री बन कर बैठा चीन इस दौड़ में शामिल होना चाहता है। हालांकि, चीन पर निर्भरता विश्व के लिए कितनी घातक साबित हो सकती है यह सभी ने कोरोना के समय में देखा। अब इसी का नतीजा है कि Electric Vehicle के क्षेत्र में उतरने जा रही दिग्गज कंपनी Apple और Foxconn ने चीन के ऊपर भारत और जापान को जगह दी है।

दरअसल, स्मार्टफोन निर्माता Apple और प्रमुख ताइवानी कंपनी Foxconn भी इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करना चाह रही है। इसी क्रम में इन कंपनियों द्वारा उत्पादन के लिए विकल्पों की तलाश जारी है। अभी तक ऐसे क्षेत्र में उत्पादन के लिए किसी भी कंपनी के लिए चीन सबसे आसान विकल्प होता था। यही नहीं पिछले कुछ वर्षों से चीन अपने EV उद्योग को विस्तार देकर निवेशकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, अब Apple और Foxconn ने चीन में EVs के निर्माण से इनकार कर दिया है। अब इन कंपनियों ने चीन को झटका देते हुए अपने मैनुफेक्चुरिंग के लिए भारत और जापान को चुना है।

Apple ने चीन को छोड़ जापान को चुना

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, Apple Inc चीन की CATL और BYD के साथ EVs के लिए बैटरी आपूर्ति पर बातचीत ठप हो गई है। मामले की जानकारी रखने वाले तीन लोगों ने बताया कि इसका कारण चीनी फर्मों केवल Apple के लिए संयंत्र बनाने से इनकार करना है।

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चीनी फर्मों के साथ ऐप्पल का सौदा रद्द होने के बाद इस अमेरिकी दिग्गज ने अन्य विकल्प के अवसर तलाशने के लिए एक टीम भेजी जापान भेजी। रिपोर्ट के अनुसार पैनासोनिक कॉर्प उन कंपनियों में से एक है जो ऐप्पल के ईवी बैटरी के सप्लायर के रूप में काम कर सकती है। रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि Apple जल्द ही के जापान की कंपनी से EV बैटरी के लिए सौदे को अंतिम रूप दे सकता है।

Apple सहित कोई भी कंपनी EVs के रोलआउट में देरी नहीं करना चाहती, क्योंकि यह समय EV मार्केट के उदय का है और सभी इसका फायदा उठाना चाहते हैं।

Foxconn भारत, यूरोप और लैटिन अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन करेगी

वहीं ताइवानी टेक दिग्गज Foxconn के अध्यक्ष लियू यंग-वे ने चीन के बजाए यूरोप, भारत और लैटिन अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) के मैनुफेक्चुरिंग की योजना का खुलासा किया है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि Foxconn की योजनाएं प्रधानमंत्री मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप हैं। यंग-वे ने कहा कि उनकी कंपनी BOL(Build, Operate, and Localise) मॉडल  पर अमल करेगी। अर्थात Foxconn मेजबान देश में स्थानीय कारखानों के निर्माण और संचालन के लिए घरेलू भागीदारों के साथ निवेश करेगी और फिर स्थानीय उपभोक्ताओं को उत्पादन बेचेगी।‘मेक इन इंडिया’ का आधार भी लगभग कुछ इसी तरह का है।

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Foxconn EV क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो कंपनी पहले ही अमेरिकी स्टार्टअप Fisker Inc और थाईलैंड के ऊर्जा समूह PTT PCL के साथ सौदों को अंतिम रूप दे चुकी है। 2025 और 2027 के बीच, Foxconn ने दुनिया के 10 प्रतिशत इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल के लिए पार्ट्स या सर्विस प्रदान करने की योजना बनाई है।

Apple और Foxconn की चीन में दिलचस्पी क्यों नहीं है?

Apple और Foxconn का Electric Vehicle के क्षेत्र में उतरना एक बड़ी क्रांति का संकेत देता है। हालांकि, खास बात यह है कि इन दोनों ही कंपनियों ने चीन में निवेश न करने का संदेश दिया है। इससे चीन की EV Sector में बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को बड़ा झटका लगा है। पिछले कुछ समय से चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने टेक दिग्गजों के खिलाफ जिस तरह से एक्शन लिया है उसे देखते हुए कोई भी कंपनी चीन में निवेश से पहले 10 बार सोचेगी। यही नहीं चीन इस वक्त गंभीर बिजली संकट का सामना कर रहा है जिसके कारण कई क्षेत्र ठप हो चुके हैं। यानी देखा जाए तो चीन के लिए एक बाद एक समस्याएँ बढ़ती ही जा रही हैं परंतु समाधान नहीं दिखाई दे रहा है।

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