1983 के असम आंदोलन के जननायकों का अपमान करने वाला कांग्रेसी MLA शर्मन अली गिरफ्तार

स्वयं असम कांग्रेस ने शर्मन अली को कारण बताओ नोटिस भेजा है!

इन दिनों असम में राजनीतिक परिदृश्य काफी गरमाया हुआ है। हाल ही में दरराँग के निकट ज़मीन के पट्टे को अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के कब्ज़े से छुड़ाने के लिए जो हिंसक उपद्रव हुआ, उससे असम का राजनीतिक वातावरण उग्र बना हुआ है। इसी बीच इसी प्रकार के एक आंदोलन के जननायकों का अपमान करने के लिए कांग्रेस विधायक शर्मन अली अहमद को गुवाहाटी पुलिस ने हाल ही में हिरासत में लिया है

आखिर शर्मन अली अहमद हैं कौन, और उसने ऐसा भी क्या बोल दिया जिसके पीछे उन्हें अब हवालात की हवा खानी पड़ेगी? शर्मन अली अहमद बाघबर क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक रहे हैं, और अपने अनर्गल प्रलाप के लिए जाने जाते हैं। परंतु शर्मन अली अहमद ने असम आंदोलन के इन्ही जननायकों का अपमान करते हुए इन्हें हत्यारों की संज्ञा दी, और कहा कि इनका महिमामंडन नहीं करना चाहिए। इसके कारण जबरदस्त हंगामा हुआ, और स्वयं असम कांग्रेस ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

बता दें कि 1983 में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के विरुद्ध असम विद्यार्थी परिषद एवं असम गण परिषद द्वारा प्रारंभ किये गए जन आंदोलन में 8 असम विद्यार्थी परिषद के सदस्यों की उसी दरराँग क्षेत्र में हत्या की गई थी, जहां हाल ही में हिंसक उपद्रव हुए थे, जिसके कारण नेली में हिंसक उपद्रव भड़क गया। उन आठों विद्यार्थियों को स्थानीय असम निवासियों द्वारा ‘हुतात्मा’ का दर्जा दिया जाता है।

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हालांकि, जब शर्मन अली अहमद ने कारण बताओ नोटिस का संतोषजनक उत्तर नहीं दिया, तो उनके हिरासत में लिए जाने का मार्ग साफ हो गया। इसमें असम सरकार ने एक ही तीर से दो निशाने साध दिए हैं। एक ओर उन्होंने सिद्ध किया है कि उनके जननायकों का अपमान कदापि स्वीकार नहीं होगा, और दूसरी बात राज्य में चरमपंथियों को बढ़ावा देने वाले काँग्रेस को भी उन्होंने करारा तमाचा जड़ा है।

अकेले शर्मन अली अहमद ही नहीं हैं, जिन्हें उनके अनर्गल प्रलाप के लिए हिरासत में लिया गया है। कुछ ही महीनों पहले तालिबान ने पुनः अफगानिस्तान पर आधिपत्य स्थापित किया था, और भारत के कई क्षेत्रों में इसके समर्थक भी देखने को मिले थे। पहले से ही सतर्क हिमन्ता बिस्वा सरमा की सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए ऐसे लोगों के विरुद्ध ताबड़तोड़ एक्शन भी लिया।

TFI Post के ही एक विश्लेषणात्मक पोस्ट के अनुसार, “असम पुलिस द्वारा तालिबान का समर्थन करने के आरोप में 14 लोगों को गिरफ्तार किए जाने के बाद, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि राज्य के विभिन्न इलाकों में कई और तालिबान समर्थक उनकी निगरानी सूची में हैं। सीएम ने असम को एक संवेदनशील राज्य बताते हुए कहा कि राज्य सरकार ने पहले भी सभी से संवेदनशील चीजों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से बचने करने की अपील की थी। अपनी बात में उन्होंने आगे कहा कि, “हमने सभी को गिरफ्तार नहीं किया,  कुछ को सलाह देकर वापस भेज दिया गया, लेकिन हम नजर रख रहे हैं।”

अर्थात एक मुख्यमंत्री का यह कहना कि वे उन सभी देश विरोधी तत्वों को अपने रडार में ले चुके हैं, एक बड़ी बात है। 21 अगस्त को, असम पुलिस ने अफगानिस्तान में तालिबान के शासन का समर्थन करने पर राज्यभर में 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। आरोपियों को कथित तौर पर सोशल मीडिया पोस्ट अपलोड करने के लिए गिरफ्तार किया गया था, जो तालिबान और उसके अफगानिस्तान के अधिग्रहण पर खुशियाँ मना रहे थे। असम पुलिस ने इस पर संज्ञान लिया और लोगों को आश्वासन दिया कि वे इस तरह की गतिविधियों पर आगे निगरानी रखेंगे और ऐसे उपद्रवियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करेंगे।”

ऐसे में असम सरकार द्वारा कांग्रेस विधायक को तुष्टीकरण के पीछे राज्य के जननायकों का अपमान करने हेतु हिरासत अपने आप में एक स्पष्ट संदेश दे सकता है – यदि असम को तोड़ने का सोचा भी तो चाहे जहां भी छुप जाओ, ढूंढ के निकालेंगे और उचित दंड देंगे!

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