चाय सुट्टा बार, MBA चायवाला और कई अन्य: अब चाय वाला होना देश में cool है

चाय बेचकर करोड़ों कमा रहे हैं पढ़े-लिखे चाय वाले

चाय

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चाय, चाय, चाय!!! यह आवाज़ तो आपने बहुत बार और अनेकों स्थान पर सुनी होगी। रेलवे स्टेशन से लेकर सरकारी कार्यालयों तक। कभी छोटे बच्चे की मधुर ध्वनि में तो कभी किसी बुजुर्ग की गंभीर आवाज़ में। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है और वैश्विक चाय की 70 प्रतिशत खपत भी यही है। अर्थात यह हमारे खान-पान की संस्कृति में रचा बसा है। सुबह के “bed tea” से लेकर शाम के “refreshing tea” तक, मसाला चाय से लेकर मीठी चाय तक हम चाय पीने के दीवाने है।

परंतु, एक पेशे के तौर पर हम इसे ओछी नज़रों से देखते है। वैसे तो महाभारत में यज्ञोंपरांत आगंतुकों का जूठन साफ करते हुए भगवान कृष्ण ने किसी भी कर्म को छोटे बड़े से परे बताते हुए उद्देश्य, नियत और प्रक्रिया को प्रधानता दी थी। पर हमें क्या? हम तो आज भी अपनी पुरानी पूर्वाग्रहों पर डटें हुए है। हम इसे एक छोटे पेशे के तौर पर ही देखते है और इसके संचालक को ओछी नज़रों से।

खैर, जब हमने देश के प्रधानमंत्री को चायवाला होने के कारण अपमानित किया तो इनकी क्या ही बिसात? पर, अब ऐसा नहीं है, इन रूढ़िवादी और पूर्वाग्रह जनित मानसिकताओं को तोड़ते हुए आज हमारे नव उद्यमियों ने हमें भी starbucks, cafeamazon, costacoffee जैसे बहुराष्ट्रीय उद्यमों के समक्ष खड़ा होने का अवसर दिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था एक के बाद एक यूनिकॉर्न के साथ फलफूल रही है। इसी क्रम में असंख्य Tea Startups भारत के बाजार में गुप्त रूप से उभरे हैं। आज हम आपको भारत के ऐसे चार नावाचारों के बारे में बताएंगे जिन्होंने चाय बेचने के पूर्व मिथ्याओं और वर्जनाओं को ध्वस्त करते हुए एक सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बनाई है।

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Chai-Sutta bar 

22 साल के अनुभव दुबे “कलक्टर” बनने की तैयारी कर रहे थे। मां-बाप श्रमिक थे, अतः अपने बेटे को बड़ा अधिकारी बनाना चाहतें थे। यह परिवार इंदौर से लगभग 670 किमी दूर स्थित लगभग 3 लाख लोगों की आबादी वाले छोटे से शहर रीवा में रहता था। दिल्ली की वाजीराम संस्थान से यूपीएससी की कोचिंग कर रहे अनुभव ने अपने साथी आनंद नायक के साथ चाय सुट्टा बार चालू करने का जीवन बदल देने वाला निर्णय लिया। यह एक साहसिक फैसला था। एक यूपीएससी की तैयारी करनेवाले छात्र द्वारा चाय की दुकान खोलने का निर्णय साहस को पागलपन ओर मूर्खता के स्तर तक पहुंचाता है। बाद में उनके दोस्त राहुल पाटीदार भी इसमें शामिल हो गए। देखते-देखते यह 100 करोड़ के एक विशाल उद्यम के रूप में परिवर्तित हो गया, जिसनें 5 साल में पूरे भारत में 145 से 5 लाख स्टोर स्थापित कर लिए। 2016 के बाद से, चाय सुट्टा बार ने तेजी से फ्रेंचाइज़ी आउटलेट खोलने का विस्तार किया है। वे एक आउटलेट के लिए फ्रेंचाइज़ी शुल्क के रूप में 6 लाख रुपये लेते हैं। अनुभव और उनके दोस्तों की कहानी बताती है कि कोई भी व्यापार छोटा बड़ा नहीं होता बस तरीका अलग और बेहतर होना चाहिए।

MBA CHAIWALA

चार साल पहले मध्य प्रदेश के एक गांव से 20 वर्षीय बी.कॉम स्नातक प्रफुल्ल बिलोर एक व्यवसाय शुरू करने की योजना के साथ अहमदाबाद पहुंचे। इस निर्णय के पीछे उन्हें किसी भी प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूल में एमबीए की सीट न मिलना था। उन्होंने अपने पिता से 8,000 रुपये उधार लेकर सड़क के किनारे एक चाय की दुकान खोली और दुकान का नाम एमबीए चायवाला रखा, एमबीए का अर्थ मिस्टर बिलोर अहमदाबाद है। पहले दिन उन्होने 150 रुपये की चाय बेची। उन्होंने कई नई चीजों की कोशिश की जैसे राजनीतिक रैलियों में चाय बेचना, पार्टियों द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रमों के नाम पर चाय का नामकरण आदि, वित्त वर्ष 2019-20 तक उनका कारोबार 3 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। प्रफुल्ल के बिजनेस मॉडल ने मीडिया का ध्यान खींचा और उन्हें आईआईएम अहमदाबाद में छात्रों को संबोधित करने का निमंत्रण मिल गया, जहां उन्होंने एक बार पढ़ाई करने का सपना देखा था। इस तरह के नवाचारों में दो स्थापित outlets उल्लेखनीय है।

CHAIPATTY 

बैंगलोर स्थित चाय कैफे Chaipatty की स्थापना 2010 में चिराग यादव ने की थी। यह कुल्लड चाय के साथ-साथ मैगी, सैंडविच, मोमोज और पास्ता जैसे अन्य स्नैक्स भी प्रदान करता है। अब तक Chaipatty ने अपने पांच आउटलेट्स के माध्यम से 4,00,000 से अधिक ग्राहकों को सेवा प्रदान की है।

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Chai Point

अप्रैल 2010 में बैंगलोर में स्थापित किए गए पहले पायलट स्टोर के साथ शुरुआत करते हुए, चाय प्वाइंट तेजी से एक पूरी तरह से पीसा हुआ कप चाय के लिए जाना-पहचाना ब्रांड बन गया है, जिसमें हर दिन 300,000 से अधिक कप बेचे जाते हैं। पैरागॉन पार्टनर्स, डीएसजी, आठ रोड्स वेंचर्स और सामा कैपिटल के सहयोग से चाय प्वाइंट का सालाना कारोबार 190 करोड़ रुपये है। चाय प्वाइंट ने सीरीज-सी में 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए थे। कंपनी ने अब तक 34 मिलियन अमेरिकी डॉलर का फंड जुटाया है।

निष्कर्ष

चाय और कॉफी भारत के सबसे पुराने रचित व्यवसायों में से एक है। अब तक चाय दुनिया भर में उत्पादन में, जो 4 बिलियन किलोग्राम का आंकड़ा पार कर चुका है, भारत ने उत्पादन की इस विशाल मात्रा में 1 बिलियन किलोग्राम चाय का योगदान दिया है। डार्क या ब्लैक-टी के उत्पादन में 1.6% का सीएजीआर और 2.3% पर इसका उपयोग दिखाया गया है। विश्वव्यापी प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि और भारतीय चाय उद्योग की दुर्बल प्रकृति को देखते हुए भारतीय चाय उद्यम में बहुत प्रगति नहीं हुई है। परंतु, हमारे नौजवानों द्वारा इस उद्यम को सफलतापूर्वक स्थापित करना उम्मीद प्रदान करता है। व्यवसाय छोटा बड़ा नहीं होता बस जरूरत है तो सही तरीके से करने की और अपने लक्ष्य पर डटे रहने की, बाकी सब सार्थक है। भारतीयों की एक के बाद एक कुल्हड़ चाय पीने की आदत से यह अनुमान लगाना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इनमें से एक स्टार्टअप जल्द ही यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो जाएगा।

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