चीन ने भारत को पहले धमकाया, फिर उसकी सैन्य और आर्थिक शक्ति की सराहना भी की

चीन भारत से खौफ खाता है पर कहने से डरता है

लद्दाख सीमा विवाद

चीन एक ऐसा देश है जो अपने आगे अन्य सभी राष्ट्रों को कमतर मानता है, कुछ ऐसा ही रवैया चीन भारत के खिलाफ भी अपना रहा है। एक तरफ चीनी पीएलए सैन्य स्तर पर भारतीय कमांडरों के साथ बातचीत का ढोंग कर रहा है, तो दूसरी ओर हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में करीब 200 चीनी सैनिकों ने घुसपैठ करने की कोशिश की थी जिसे भारतीय जवानों ने अपने शौर्य के दम पर नाकाम कर दिया है। वहीं लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर 12 दौर की बातचीत के बाद 13वें दौर की बातचीत बेनतीजा साबित हुई है। इसके बाद भारत ने एक बार फिर बातचीत से लेकर युद्ध के सभी मोर्चों पर सक्षम होने का ऐलान क्या किया, चीन ने पुनः भारत को युद्ध की गीदड़भ भकियां देना शुरु कर दिया है। इसके विपरीत चीन जानता है कि भारत से सैन्य स्तर पर जीत पाना अत्यंत मुश्किल है, जिसके चलते चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स जिस लेख में भारत को धमकी दे  रहा है, उसी लेख के दूसरे पहलू में चीन भारत की सैन्य और आर्थिक महाशक्ति की सराहना भी कर रहा है। ये चीन का डर भी दिखाता है।

डर भी और धमकी भी

डर के अंदाज में धमकी… जीं हां, सुन के अजीब लग सकता है, लेकिन ये सत्य है। एक तरफ चीन मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स  भारत को युद्ध छेड़ने और उसमें परास्त करने की  धमकी दे रहा है,  तो दूसरी ओर वो भारत के सैन्य और आर्थिक महाशक्ति होने की तारीफ भी कर रहा है। लद्दाख में 13 वें दौर की बातचीत विफल होने के बाद  ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि, “भारत को एक बात स्पष्ट रूप से समझ लेनी चाहिए कि उसे उसकी इच्छानुसार सीमाएं नहीं मिलेंगी। अगर दोनों देशों के बीच युद्ध होता है तो निश्चित रूप से उसे (भारत) को हार हीं मिलेगी, किसी भी तरह का राजनीतिक दबाव चीन बर्दाश्त नहीं करेगा।” 

चीनी सरकार को संबोधित करते हुए चीनी मुखपत्र ने लिखा, “सीमा विवाद सुलझाने में चीन को दो बातों को सबसे ऊपर तरजीह देनी चाहिए। पहली, भारत चाहे कितनी भी परेशानी पैदा करे, हमें अपने सिद्धांत से अलग नहीं हटना चाहिए; यानी चीन का क्षेत्र सिर्फ चीन का है। दूसरी, सीमा के मामले में भारत अब भी ‘नींद में चल’ रहा है। हम उसके जागने का इंतजार कर सकते हैं।”

भारत से खौफ में है चीनी

स्पष्ट है कि ग्लोबल टाइम्स भारत को डराने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसी लेख के अगले ही हिस्से में चीन की गीदड़भभकी उसके डर में परिवर्तित होती दिखाई दी। इस लेख में ग्लोबल टाइम्स भारत को एक आर्थिक और सैन्य महाशक्ति भी बता रहा है।  भारत को अपने बराबर देखते हुए ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, “चीनी लोग ये जानते हैं कि भारत और चीन दोनों ही महान शक्तियां है। दोनों के पास पर्याप्त क्षमता है जिसकी वजह से लद्दाख सीमा विवाद लंबे समय तक बना रह सकता है। इस तरह का विवाद दुखद है लेकिन अगर भारत ऐसा करना चाहता है तो चीन इसे अंत तक कायम रखेगा।” चीन कभी भी भारत से खुद की बराबरी नहीं करता, और यदि वो लेख में ऐसा कर रहा है तो निश्चित ही वो भारत से खौफ में है। यही कारण है कि हमने इसे भारत को दी गई डर के अंदाज वाली धमकी करार दिया है।

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प्रत्येक स्थिति के लिए तैयार भारत

चीन का ये रूख तब सामने आया है जब भारत के वर्तमान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने एक साक्षात्कार में स्पष्ट किया कि अंडमान निकोबार कमांड किसी भी प्रकार के खतरे से निपटने हेतु पूर्णतया सक्षम है। जनरल रावत ने साफ किया कि यदि चीन ने ज़रा भी गड़बड़ करने का प्रयास किया, तो भारत न सिर्फ उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार के लिए तैयार है, अपितु अंडमान निकोबार के ‘कमांड’ से चीन को पटक पटक के धो सकता है। ये रणनीतिक रूप से भी और ऐतिहासिक रूप से भी भारत के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण रहा है।

बता दें कि लद्दाख में पिछले साल हुई हिंसा के बाद एक तरफ जहां भारत सैन्य स्तर पर बातचीत कर रहा है तो दूसरी ओर अपनी शक्ति को जल, थल नभ समेत दसो दिशाओं में मजबूत करने के प्रयास भी कर रहा है।ध्यान देने वाली बात ये है कि ये सब कुछ ऐसे समय में हुआ है जब चीनी पीएलए के सैनिक अरुणाचल प्रदेश के इलाके में घुसने के प्रयास कर रहे थे, और लद्दाख में सीमा विवाद के संबंध में कमांडर स्तर की 13वें दौर की बातचीत बेनतीजा हो गई थी। इसके बाद भारत ने स्पष्ट किया कि चीन को वह कहीं भी, कभी भी, और किसी भी मोर्चे से परास्त करने में सक्षम है, क्योंकि 1962 एक अपवाद था, नियति नहीं। बस इसी से चीन भड़का हुआ है और धमकी तक दे रहा और भारत की सराहना भी कर रहा।

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खैर, धमकियां वही देता है जो कि डरा हुआ होता है। 13 वें दौर की लद्दाख-तिब्बत सीमा विवाद से संबंधित बातचीत बेनतीजा केवल इसलिए रही, क्योंकि भारत ने चीन की मांगों को तनिक भी तवज्जो नहीं दी। भारत का बातचीत में अडिग रूख चीन के पसीने छुड़ा रहा है, क्योंकि पिछले लगभग 17 महीनों से चल रहा विवाद अभी तक किसी हल की ओर नहीं पहुंचा है, जिसके चलते हताश चीन अपने मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के जरिए भारत को धमकी देने पर उतारू हो गया है, किन्तु हास्यासपद बात ये भी है कि चीन की धमकी में भी भारत से उसका डर प्रतिबिंबित हो रहा है।

 

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