चीन अब कराची में करेगा CPEC परियोजना को विकसित क्योंकि ग्वादर में BLA ने चीनियों के नाक में दम कर रखा है

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के सामने झुक गए हैं चीन और पाकिस्तान

ग्वादर CPEC

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दुनिया के बड़े-बड़े देशों को आंख दिखाने वाला चीन अपने मुंहबोले भाई पाकिस्तान के साथ आये दिन धोखा कर रहा है। वो पाकिस्तान को हर रोज एक नया सपना दिखाता है, पाकिस्तान के फायदे की बात करता है और मजे में पाकिस्तानी भूमि का इस्तेमाल करता है। लेकिन बेचारे पाकिस्तान ने चीन से इतना कर्ज ले रखा है कि उसके बारे में एक शब्द भी बोल नहीं सकता, अगर गलती से भी चीन के विरोध में पाकिस्तान का मुंह खुल गया, तो ऐसा भी हो सकता है कि अगले ही दिन पाकिस्तान पर चीन का आधिपत्य हो जाए।

हाल ही में चीन ने पाकिस्तान में CPEC योजना पर काम शुरू किया था तो इसे दक्षिण एशिया के भूराजनीतिक और आर्थिक समीकरण बदलने वाले इंफ्रास्ट्रक्चरप्रोजेक्ट के रूप में देखा जा रहा था। चीन की योजना ग्वादर पोर्ट के जरिए अरब सागर में अपनी सीधी पहुंच सुनिश्चित करने की थी। चीन का उद्देश्य ग्वादर का प्रयोग करके खाड़ी देशों से आयातित होने वाले तेल की आपूर्ति को सुनिश्चित करना था। वहीं, पाकिस्तान ने भी ग्वादर पोर्ट प्रोजेक्ट को अपने लिए वरदान माना था। लेकिन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के लड़ाकों के डर से चीन ने अपने इस प्लान को ग्वादर से कराची स्थानांतरित करने का फैसला किया है। अब पाकिस्तान की स्थिति ऐसी हो गई है कि वो करे तो करे क्या और बोले तो बोले क्या….लेकिन पाकिस्तानी पीएम चीन के इस कदम की वाहवाही कर रहे है।

कराची पर चीन की टेढ़ी नजर

दरअसल, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन अब कराची बंदरगाह के विकास के लिए $3500 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा, पहले वह ग्वादर पोर्ट के विकास के लिए ऐसा करने वाला था। इस परियोजना के तहत कराची पोर्ट का विस्‍तार, मछली पकड़ने के लिए एक अन्‍य बंदरगाह का निर्माण और 640 हेक्‍टेयर के इलाके में व्‍यापारिक जोन की स्‍थापना करना शामिल है। इसमें एक पुल भी बनाया जाएगा जो कराची बंदरगाह को मनोरा द्वीप समूह से जोड़ेगा।

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पाकिस्तान इस नई परियोजना को लेकर बहुत उत्साहित है और इस परियोजना को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा ‛गेमचेंजर’ कहा जा रहा है। लेकिन इमरान खान को ये समझ में नहीं आ रहा कि ग्वादर पोर्ट पहले से ही चीन के कब्जे में है, अब अगर चीन कराची पोर्ट के विकास के लिए निवेश करेगा तो आने वाले समय में वो कराची पोर्ट पर भी आसानी से कब्जा जमा लेगा। हालांकि, इमरान खान ने चीन की तारीफ में ट्वीट करते हुए कहा है कि, ‘इस परियोजना से हमारे मछली पकड़ने वाले लोगों के लिए समुद्री इलाका साफ करने में मदद मिलेगी। कम आय वाले लोगों के लिए 20 हजार घर बनाए जाएंगे। साथ ही निवेशकों के लिए अवसर मिलेंगे। इससे कराची विकसित बंदरगाह शहरों में शामिल हो जाएगा।’

बलूच लोगों का भय

इमरान खान भले ही इस परियोजना को लेकर बहुत उत्साहित हैं किंतु सत्य है कि ग्वादर को छोड़कर कराची को विकसित करने का निर्णय बताता है कि चीन और पाकिस्तान बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के सामने झुक गए हैं। बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत क्रांतिकारियों द्वारा चीनी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में शामिल चीन के इंजीनियरों और पाकिस्तानी सेना के लोगों पर लगातार हमले हो रहे थे। यहाँ तक कि चीन की ओर से CPEC की फंडिंग भी बन्द कर दी गई थी। अब अंततः चीन ने आधिकारिक रूप से इस परियोजना को स्थानांतरित करने का फैसला लिया है।

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लगातार हो रहे हैं हमले

मई 2019 में ग्वादर शहर में पांच सितारा पर्लकॉन्टिनेंटल होटल पर तीन बंदूकधारियों ने हमला कर दिया जिसमें चार लोग और तीन सुरक्षाकर्मियों की हत्या हो गई। इस हमले की जिम्मेदारी BLA ने ली थी। उनका उद्देश्य सीपीईसी (चीन पाक इकॉनमिक कॉरिडोर) योजना के शीर्ष अधिकारियों और होटल में रहने वाले अन्य बड़े व्यापारी और राजनीतिक अधिकारियों के बीच भय पैदा करना था।

अक्टूबर 2020 में बलूच स्वतंत्रता सेनानियों ने अलग-अलग हमले में 21 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। जुलाई 2021 में चीनी इंजीनियरों को ले जा रही एक बस में धमाका होने के कारण 9 चीनी नागरिकों की मृत्यु हो गई थी। अगस्त 2021 में पाकिस्तान के पूर्वी बहावलनगर जिले में शिया मुसलमानों के जुलूस के पास हुए बम विस्फोट में 9 चीनी नागरिकों की मौत हो गई थे, जबकि 30 घायल हो गए थे।

लगातार हो रहे हमलों के कारण चीन ने CPEC की फंडिंग बन्द कर दी थी। चीन के बैंकों ने स्पष्ट किया था कि लगातार हो रहे विद्रोह के कारण उन्हें ऐसा लगता है कि पाकिस्तान सरकार चीनी ऋण चुकाने में असफल हो जाएगी। यहां तक की सऊदी अरब ने भी ग्वादर में ऑयल रिफाइनरी की स्थापना के लिए होने वाले 10 अरब डॉलर के निवेश पर रोक लगा दी।

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हालांकि, चीन कराची को ग्वादर का विकल्प बनाना चाहता है लेकिन यहाँ भी उसे असफलता ही मिलेगी। इसका सबसे बड़ा कारण स्थानीय लोगों का विरोध ही होगा। ऐसा विरोध अब तक हर प्रोजेक्ट पर देखने को मिला है, फिर वह बलूचिस्तान में हो या POK में। कराची में चीनी नौकाएं मछली पकड़ने के लिए तैरती दिखेंगी या चीनी इंजीनियर और मजदूर सड़कों पर टहलते दिखेंगे, तो यहाँ भी विद्रोह की आग भड़क सकती है।

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