डार्टमाउथ की एक मुस्लिम छात्रा ने हिंदू प्रोफेसरों पर लगाया छेड़छाड़ का आरोप, जांच में निकला झूठ

आखिर हिंदू प्रोफेसरों का अपराध क्या था? हिन्दू होना?

अमेरिकी कांग्रेस की पूर्व सदस्य तुलसी गबार्ड ने पिछले वर्ष ट्वीट किया था, “दुर्भाग्य से, हिंदूफोबिया एक वास्तविकता है। मैंने कांग्रेस के लिए अपने प्रत्येक अभियान और इस राष्ट्रपति पद की दौड़ में इसका प्रत्यक्ष अनुभव किया है।” अमेरिका के Rutgers University और Indiana University में हिन्दू छात्रों को प्रताड़ित करने की खबरें आने के बाद अब अमेरिका के बड़े कॉलेजों में से एक डार्टमाउथ में हिंदूफोबिया का एक नया मामला देखने को मिला। इस मामले को देखने के बाद तुलसी गबार्ड का विचार का शाश्वत सत्य प्रतीत होता है।

इस आइवी लीग कॉलेज की एक मुस्लिम छात्रा ने झूठी शिकायत कर कॉलेज के तीन प्रोफेसरों और एक छात्र पर अस्पष्ट आरोप लगाया जिसका कोई आधार ही नहीं था। यह एक नया तरह का जिहाद प्रतीत होता है जिसका मुख्य हथियार है निराधार आरोप।

आखिर हिंदू प्रोफेसरों का अपराध क्या था? हिन्दू होना?

इस वर्ष की शुरुआत में, डार्टमाउथ में एक भयंकर किस्म के हिंदूफोबिया का मामला देखने को मिला। डार्टमाउथ कॉलेज की पूर्व कंप्यूटर साइंस पीएचडी छात्रा महा हसन अलशवी ने कॉलेज के 3 हिंदू प्रोफेसरों- दीपर्णब चक्रवर्ती, अमित चक्रवर्ती और प्रसाद जयंती पर  ‘प्रतिशोध’ और ‘धर्म के आधार पर भेदभाव’ का झूठा आरोप लगाया।

क्या था पूरा मामला?

पूरे विवाद के ऊपर एक जांच रिपोर्ट के अनुसार, अलशवी ने आरोप लगाया कि, “प्रोफेसर Quattrini Li, उनके पर्यवेक्षक / अनुसंधान सलाहकार, ने उनकी उपस्थिति में दो बार उनके “प्राइवेट पार्ट्स” को छुआ और बिना अनुमति के शिकायतकर्ता के कार्यालय में प्रवेश किया। उसने मामले की जानकारी Deputy Title IX Coordinator, Gary Sund को दी। हालांकि, बाहरी जांच रिपोर्ट में कहा गया है, “प्रतिवादी Sund ने रिपोर्ट का आकलन किया और पाया कि Title IX Policy के अंतर्गत नहीं आता क्योंकि, जैसा कि वर्णित है, वह आचरण यौन प्रकृति का आचरण नहीं था।”

Sund द्वारा प्रोफेसर ली के खिलाफ शिकायत को खारिज करने के बाद, अलशवी ने बाहरी जांच रिपोर्ट में प्रतिवादी जयंती, प्रोफेसर दीपर्णब चक्रवर्ती और “छात्र 3” के रूप में पहचाने गए एक हिंदू छात्र के खिलाफ कुछ शिकायतें दर्ज की। शिकायतों को Institutional Diversity and Equity के पूर्व निदेशक Antonio Ferrantino के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।

बाद में, अलशवी ने Ferrantino के खिलाफ इस आरोप में शिकायत दर्ज की कि उन्होंने हिंदुओं प्रोफेसरों द्वारा उसके खिलाफ ‘प्रतिशोध’ की उसकी रिपोर्ट को संबोधित नहीं किया।

हिंदू प्रोफेसरों के खिलाफ शिकायत में चौंकाने वाला हिंदूफोबिया

बाहरी जांच रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवादी Ferrantino ने बताया कि शिकायतकर्ता ने उसके बारे में कभी कोई रिपोर्ट नहीं की।प्रतिवादी Ferrantino ने नोट किया कि शिकायतकर्ता द्वारा 16 जून, 2020 को भरे गए ऑनलाइन सबमिशन फॉर्म पर, उसने प्रोफेसर Alberto Quattrini Li तथा प्रतिवादी जयंती और उनके साथ भेदभाव करने वाले व्यक्तियों के रूप में प्रतिवादी अमित चक्रवर्ती की पहचान की।”

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Ferrantino ने बताया कि दीपर्णब चक्रवर्ती के खिलाफ शिकायत में कोई विशेष बात नहीं थी और अलशवी ने यह शिकायत की थी कि उसके साथ दुर्व्यवहार और उत्पीड़न किया गया क्योंकि वह मुस्लिम है और वे हिंदू।

30 जून, 2020 को ईमेल में, अलशवी ने लिखा, “जैसा कि मैंने पहले कहा, [प्रतिवादी] जयंती, [प्रतिवादी] अमित [चक्रवर्ती], प्रोफेसर दीपर्णब [चक्रवर्ती], और [छात्र 3] सभी एक ही धर्म के हैं, और वे सभी दोस्त और सहकर्मी हैं।”

Ferrantino ने कहा, “मैंने शिकायतकर्ता से विशेष जानकारी मांगी और उसने मुझे देने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि वह मानती है कि हिंदुओं को मुसलमानों को प्रताड़ित होते देखना अच्छा लगता है लेकिन कोई विशेष बात नहीं थी। यह सिर्फ उसका विश्वास था।”

शिकायत के कंटेंट से पता चलता है कि कैसे हिंदू प्रोफेसरों के खिलाफ आरोप सिर्फ इसलिए लगाये गए क्योंकि वे हिंदू थे। यह कहना कि प्रतिवादी “एक ही धर्म” के हैं, हिंदू प्रोफेसरों के खिलाफ उनके धर्म के आधार पर सरासर पूर्वाग्रह का सुझाव देते हैं। विशेष रूप से हिंदूफोबिया की जो बात है, वह इस व्यापक टिप्पणी से और स्पष्ट होती है कि “हिंदू मुसलमानों को प्रताड़ित होते देखना पसंद करते हैं।” ऐसा लगता है कि ऐसी घृणित भावनाओं ने हिंदू प्रोफेसरों के खिलाफ झूठी शिकायतों के लिए प्रेरित किया है।

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वास्तव में, शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि जयंती राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबंधित थी और गलत तरीके से दावा किया कि RSS एक “मुस्लिम विरोधी संगठन” है।

हिंदू समेत सभी प्रोफेसर दोषमुक्त

बाहरी जांच रिपोर्ट में प्रोफेसर जयंती और प्रोफेसर चक्रवर्ती के खिलाफ शिकायतों की जांच की गई।  शिकायत में आरोप लगाया गया कि जयंती ने “शिकायतकर्ता की समस्या का समाधान नहीं होने दिया” और उसे अपने TA अंक के लिए “कम ग्रेड” दिया और इस तरह की कार्रवाई शिकायतकर्ता द्वारा प्रोफेसर Quattrini के खिलाफ Title IX complaint दर्ज करने के प्रतिशोध में की गई थी।” उसने यह भी आरोप लगाया कि “प्रतिवादी जयंती ने उसका Advanced Algorithms Class, CS 231 में प्रमोशन से रोका था”

चक्रवर्ती के खिलाफ आरोप दो अलग-अलग प्रकार के ‘प्रतिशोध’ और ‘धर्म के आधार पर भेदभाव’ के तहत लगाए गए थे। अंतिम जांच रिपोर्ट में, प्रोफेसर Quattrini  द्वारा लगाए गए किसी भी आरोप को सही नहीं ठहराया गया। रिपोर्ट में कहा गया है, “हम पाते हैं कि सबूत के लिए अपर्याप्त जानकारी है, कि किसी भी नामित प्रतिवादी ने प्रतिशोध में ऐसा कुछ किया है। हमे यह भी पता चला है कि किसी भी रिपोर्ट का समर्थन करने के लिए अपर्याप्त जानकारी है जिससे यह साबित किया जा सके कि प्रतिवादी जयंती धर्म के आधार पर भेदभाव में लिप्त है।” यानी स्पष्ट है कि यह सभी आरोप इसलिए लगाए गए थे क्योंकि ये सभी प्रोफेसर हिंदू थे।

 

डार्टमाउथ में हिंदू प्रोफेसरों के खिलाफ यह जिहाद का एक नया रूप देखने को मिला है। फिर भी, समस्या गहरी है। अमेरिका में वोक और इस्लामो-वामपंथी लॉबी अक्सर स्पष्ट हिंदूफोबिया में लिप्त पाए जाते हैं। पश्चिम में हिंदुओं के प्रति भय व्याप्त होना एक व्यापक मुद्दा बनता जा रहा है और इससे हिंदू समुदाय के प्रति घृणा और प्रतिशोधपूर्ण रवैये में वृद्धि हो रही है।

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