अमिताभ बच्चन एक ऐसे अभिनेता हैं, जो बॉलीवुड के संरक्षक की भूमिका निभाने का प्रयास करते हैं, लेकिन वो असल में एक ढोंगी व्यक्ति का पर्याय बन गए हैं। अमिताभ के इस ढोंग का नया संकेत उनके द्वारा कमला पसंद के विज्ञापन से खुद को अलग करने के दौरान दिखा है। उन्होंने करार तोड़ते हुए कंपनी के पैसे वापस कर दिए हैं। अमिताभ ये दिखाने का ढोंग कर रहे हैं, कि उन्हें कमला पसंद विज्ञापन के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था, लेकिन असल में उनका ये रवैया उनके कपट को दर्शाता है, जो कि उनके पूरे करियर में सदैव दिखा है।
अमिताभ ने छोड़ा कमला पसंद
अमिताभ बच्चन ने अपने जन्मदिन पर एक ब्लॉग लिखकर कमला पंसद के विज्ञापनों से खुद के हटने और कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि उन्हें इस बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं था। उन्होंने लिखा, “मैंने पान मसाला ब्रांड कमला पसंद के साथ अनुबंध समाप्त कर दिया है। फीस वापस लौटा दी है।” अमिताभ बच्चन ने ये भी बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह सरोगेट विज्ञापन के अंतर्गत आता है।
इतने अनभिज्ञ कबसे हो गए बच्चन साहब
बच्चन ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने समाज में बदलाव लाने के लिए ये फैसला लिया है। इसके विपरीत अमिताभ का ये तर्क फुटेज खाने का एक प्रयास प्रतीत होता है। उनका कहना है कि उन्हें कॉन्ट्रैक्ट के बारे में पता नहीं था, जो कि हास्यासपद है। अमिताभ ने कोई पहली बार किसी विज्ञापन का कॉन्ट्रैक्ट नहीं साइन किया था, अपितु बॉलीवुड के कथित सुपरस्टार होने के कारण उनके पास एक समय अनेकों ब्रांड्स थे। ऐसे में यदि अमिताभ ये कहें कि उन्होंने या उनकी टीम ने बिना कॉन्ट्रैक्ट पढें ही साइन किए हैं, तो ये हास्यासपद ही है। उनके इस फैसले का बड़ा बिन्दु ये भी है कि उन्हें इस विज्ञापन के लिए तीखी आलोचनाओं का समाना करना पड़ा है।
आलोचकों ने की थी धुलाई
अमिताभ के कमला पसंद के साथ कॉन्ट्रैक्ट होने के कारण उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाने लगा था। लोगों ने तो उन्हें एक दो-मुहा इन्सान तक कहना शुरु किया था, जो दोहरी जिन्दगी जीते हुए पैसे के लिए तंबाकू और पान मसाले का विज्ञापन तक करने को तैयार हैं। हाल ही में नेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर इराडिकेशन ऑफ टोबैको के अध्यक्ष डॉ. शेखर साल्कर ने ओपन लेटर लिखकर ये मांग की थी कि वो इस ब्रांड से खुद को अलग करें। ऐसे में ये माना जा रहा है कि महान बनने का दिखावा करके अमिताभ ने कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल किया है, क्योंकि पहले एक ट्रोलर को जवाब देते हुए अमिताभ अपने इस करार को सही ठहराने के प्रयास भी कर चुके हैं।
पैसे के लिए किया था बचाव
दरअसल, जब एक सोशल मीडिया यूजर ने अमिताभ के लिए आलोचनात्मक शब्दों का प्रयोग करते हुए उनके इस करार की आलोचना की थी तो उन्होंने अपने बचाव में बड़े-बड़े तर्क भी दिए थे। उन्होंने लिखा था, “मान्यवर, क्षमा प्रार्थी हूं, किसी भी व्यवसाय में यदि किसी का भला हो रहा है, तो ये नहीं सोचना चाहिए कि हम उसके साथ क्यों जुड़ रहे हैं। हां यदि व्यवसाय है तो उसमें हमें भी अपने व्यवसाय के बारे में सोचना पड़ता है। अब आपको ये लग रहा है कि मुझे ये नहीं करना चाहिए था, लेकिन इसको करने से, हां मुझे भी धनराशि मिलती है, लेकिन हमारे इंडस्ट्री में जो बहुत से लोग काम कर रहे हैं। जो कि कर्मचारी हैं, उनको भी काम मिलता है और धन भी। मान्यवर टटपूंजिया शब्द आपके मुख से शोभा नहीं देता और न ही हमारी इंडस्ट्री के अन्य कलाकारों को भी शोभित करता है। आदर सहित नमस्कार करता हूं।”
पैसा कमाने के बाद त्याग का दिखावा
अमिताभ ने हमेशा ही पैसे को तवज्जो दी है, क्योंकि उनके लिए विचारधारा का कोई विशेष महत्व नहीं है, और कमला पसंद के इस विज्ञापन से ये तर्क पुनः साबित हो गया है। पहले जो अमिताभ पैसे कमाने के लिए कमला पंसद ब्रांड का बचाव कर रहे थे, अब त्यागी बनने की कोशिश में वो उसी कॉन्ट्रैक्ट को अजानक नकार चुके हैं। ये दिखाता है कि पहले उन्होंने अपनी पैसे की अभिलाषा पूरी की और बाद में त्यागी होने का ढोंग किया।
और पढ़े- संसद में जया बच्चन के कारनामों के बाद चारों तरफ़ बच्चन परिवार की थू-थू होने वाली है
तम्बाकू या पान मसाला इस देश में बैन नहीं है, बल्कि एक बड़ी इंडस्ट्री है। ऐसे में लगभग सभी स्टार ऐसे विज्ञापन करते रहते हैं। बॉलीवुड के कुछ कलाकारों के लिए तो ये तक कहा जाता है कि वो पैसों के लिए निजी पार्टियों तक में जाते हैं, जो कि पैसे के लिए निश्चित ही बुरा नहीं है, किन्तु दोगलापन बुरा है। अमिताभ बच्चन वही दोगलापन कर रहे हैं, पैसा भी कमाया और अब पैसा वापस करने की नौटंकी करके त्यागी भी बन गए।
अमिताभ का रवैया कोई पहली बार नहीं सामने आया है। वो हमेशा ही स्वयं को एक उच्च सोच वाला नागरिक बताने की कोशिश करते हैं, लेकिन जब किसी मुद्दे पर एक स्टैंड लेने की बात सामने आती है तो वो चुप्पी साध के कोप भवन में चले जाते हैं। CAA NRC के मुद्दे से लेकर जया बच्चन के संसद के कारनामे के मुद्दे पर भी वो चुप्पी साध लेते हैं, जो कि उनके दोगलेपन के रवैए को प्रतिबिंबित करता है।