प्रिय मनोहर लाल खट्टर, हरियाणा के कट्टरपंथियों के विरुद्ध कार्रवाई करो या इस्तीफा दो

सड़क पर नमाज़ का विरोध करने वालो को ही पुलिस ने जेल में डाला!

खुले में नमाज़

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को जल्द ही इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि वह जिस पार्टी से जुड़े हुए हैं, उसके विचारों को एक किनारे फेंककर वह वो काम कर रहे है, जिसके लिए कांग्रेस को देश की राजनीति से बाहर किया गया था और वह चीज है तुष्टिकरण! वह जैसी धर्मनिरपेक्षता दिखा रहे हैं, वह कांग्रेस को भी शर्मसार कर दे! जब राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष होता है, तो सरकारी सम्पतियों पर किसी धर्म का अधिकार नहीं होता। आप सड़क पर बैठकर नमाज़ पढ़ने लगे या फिर पूजा करने लगे तो वो सरासर गलत है। लेकिन कैसा लगे अगर राज्य सरकार खुले में नमाज़ पढ़ने की इजाजत के साथ-साथ सुरक्षा भी प्रदान करने लगे! जी हां, हरियाणा में ऐसा हो रहा है।

कल्पना कीजिये कि आपके घर में कोई बीमार हो जाये और आपको उन्हें लेकर अस्पताल जाना हो लेकिन सड़क पर जाते ही आपको रोड पर लोग नमाज़ करते दिखें। बाद में ऐसा हो कि आपको इंतजार करने के लिए कहा जाए क्योंकि नमाज़ चल रही है। आपको कैसा लगेगा? अगर मरीज मर जाये तो जिम्मेदारी किसकी होगी?

ये कल्पना गुरुग्राम में सच है। वहां वर्तमान स्थिति ऐसी ही है। लोग शुक्रवार को जुमे की नमाज़ पढ़ने के लिए रोड जाम कर दे रहे हैं। इसके बाद जब आपत्ति जताई जाती है तो मीडिया का एक खेमा उसे साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने वाला कदम बताने लगता है और 500 पुलिसवालों की तैनाती हो जाती है। हरियाणा के गुरुग्राम में एक बार फिर खुले में नमाज़ को लेकर कुछ हिंदू संगठनों ने विरोध किया, जिसके बाद 29 अक्टूबर को शुक्रवार के दिन करीब 30 लोगों को हरियाणा पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। गुरुग्राम के सेक्टर 12-ए का ये पूरा मामला है जहां कुछ हिंदू संगठनों के लोग जुमे की नमाज़ के वक्त वहां पहुंच गए और पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर बजघेड़ा थाने भेज दिया है।

500 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में होगी नमाज़-

खुले में सरकारी सम्पति पर हो रही नमाज़ पर पिछले दो हफ्तों से लगातार शुक्रवार को नमाज़ के समय हिंदू निवासी और स्थानीय लोग विरोध में शामिल हो रहे हैं। इस साल की शुरुआत में, एक समूह ने फिर से विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था, जो सितंबर से सेक्टर 47 की एक साइट पर तेज हो गया।

बताया जा रहा है कि 2018 में, जिला प्रशासन ने मुसलमानों के लिए शुक्रवार की नमाज़़ अदा करने के लिए शहर में 37 स्थलों को नामित किया, जिसके बाद हिंदू समूहों के एक संघ द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।

26 अक्टूबर को संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के बैनर तले हिंदू समूहों के एक संघ ने उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपकर कहा कि वे खुले में जुमे की नमाज़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस बीच आर्य समाज की शाखाओं की केंद्रीय संस्था आर्य केंद्रीय सभा ने गुरुवार को जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर खुले में नमाज़ पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की l एक सदस्य लक्ष्मण पाहुजा ने कहा, “हम शहर में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए खुले में नमाज़ पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं।”

जवाब में मुस्लिम समूह ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह बवाल नहीं चाहते हैं। मुस्लिम एकता मंच के अध्यक्ष हाजी शहजाद खान ने कहा, “अगर वे (हिंदू समूह) नारे लगाते हैं, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। हम कानून-व्यवस्था की स्थिति को खराब नहीं करना चाहते हैं, लेकिन अगर वे हमें निशाना बनाते हैं, तो हम चुप नहीं बैठेंगे।” खान ने कहा कि निवासियों के विरोध के बाद, सेक्टर 47 में साइट को सेक्टर 12 ए में दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन विरोध जारी रहा।

पुलिस अधिकारी ने बोला, हम हैं तैयार!

हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि वे किसी भी मुद्दे से निपटने के लिए तैयार हैं और जारी व्यवस्था ऐसे ही रहेगी। पुलिस आयुक्त केके राव ने कहा कि मामले पर मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के बाद, पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि चल रही व्यवस्थाओं में कोई व्यवधान न हो। उन्होंने कहा, ‘सभी पुलिस टीमों को निर्देश दिया गया है कि नमाज़ अदा करने वालों को परेशान करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।’

सहायक पुलिस आयुक्त (सदर) अमन यादव ने कहा कि पांच स्थानों पर 500 से अधिक पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है और नमाज़ को बाधित करने की कोशिश करने वालों को गिरफ्तार किया जाएगा. उन्होंने कहा, हम किसी को भी जुमे की नमाज़ में बाधा डालने की इजाजत नहीं देंगे और हम लोगों को कानून अपने हाथ में नहीं लेने देंगे।

आम लोगों को हो रही है समस्या!

नमाज़ की वजह से आम व्यवसायियों को समस्या हो रही है। इसी तरह की एक घटना में गुरुवार को सेक्टर 12 में एक फर्नीचर दुकान के मालिक ने पुलिस से शिकायत की कि उसकी दुकान के सामने जबरदस्ती नमाज़ अदा की जा रही है।

सेक्टर 12 में फर्नीचर की दुकान चलाने वाले व्यवसायी महमूद खान ने बताया कि, “मुसलमानों का एक समूह पिछले कुछ महीनों से मेरी फ़र्नीचर की दुकान के सामने नमाज़़ अदा कर रहा है। मैंने मौलवी से पूर्व में यहां जुमे की नमाज़ नहीं करने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मेरे अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया कि वे निजी जमीन पर नहीं बल्कि सरकारी जमीन पर नमाज़ अदा कर रहे हैं।”

खट्टर बन रहे कट्टर

16 अक्टूबर को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था, “हर किसी को प्रार्थना करने का अधिकार है। किसी को भी दूसरों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए और न ही किसी को प्रार्थना में बाधा डालनी चाहिए।”

गुरुग्राम में शिकायत निवारण समिति की बैठक के बाद उन्होंने कहा, “प्रशासन स्थिति को संभाल रहा है और मैंने उनसे सभी पक्षों की सहमति से इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए कहा है।”

समझ नहीं आता है कि इस प्रकार की धर्मनिरपेक्षता की सीख उन्हें कहाँ से प्राप्त हो रही है? आपको नमाज़ पढ़नी है तो मस्जिद में जाइये, हनुमान चालीसा पढ़नी है तो मंदिर में जाइये लेकिन मंदिर-मस्जिद ना जाकर आप सड़क पर बैठ जाएंगे, तो इसकी इजाजत कैसे दी जा सकती है।

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कारण यह है कि धर्मनिरपेक्ष जगहों पर आस्तिक तर्क नहीं चल सकता है वरना फिर धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र और धर्मशासित देशों में अंतर क्या रहेगा? सड़क आवागमन के लिए बनी होती है, सड़क गाड़ियों के चलने के लिए होती है। आम लोगों जब टैक्स के पैसे देते है तब हाइवे और एक्सप्रेसवे बनाए जाते हैं और वह इसलिए बनते हैं कि लोगों को सुविधाओं का लाभ मिले।

तुष्टिकरण से राजनीतिक लोभ के मोह-माया में फंस चुके खट्टर को अपना यह कट्टरता छोड़नी होगी l अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो उन्हें  इस्तीफा दे देना चाहिए।

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