वैश्विक स्तर पर इस्लामिक कट्टरपंथ के बढ़ते प्रभाव से विश्व के सभी देश त्रस्त है। तालिबान हो या ISIS, इन आतंकी संगठनों ने विश्व में आतंक को इतना बढ़ा दिया है कि इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ घरेलू स्तर पर भी एक्शन लेना आवश्यक हो गया है। पिछले कुछ वर्षों में फ्रांस एक ऐसा देश रहा है जो इस तरह के कट्टरपंथ के खिलाफ मजबूती से लड़ा है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले एक वर्ष में फ्रांस ने कट्टरपंथ की विचारधारा को जन्म देने वाले 30 से अधिक मस्जिदों को बंद किया है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि कट्टरपंथी इस्लाम का मुख्य उद्देस्य ही दारुल हर्ब की स्थापना है अर्थात इस्लामिक शासन जो शरिया संचालित हो। यह भयावह प्रयास वैश्विक स्तर पर चल रहें है लेकिन, इस प्रयास के प्रतिकार का प्रथम पर्याय फ्रांस बना है। फ्रांस की राजनीतिक व्यवस्था ने दूरदृष्टि का परिचय देते हुए इस षडयंत्र पर दोतरफा और करारा प्रहार किया है। पहला मस्जिदों पर और दूसरा कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों पर।
मस्जिदों पर कार्रवाई
इस्लाम में मस्जिद धार्मिक स्थल से अधिक एक राजनीतिक मुख्यालय के समतुल्य हैसियत रखते हैं। यहीं से सृजित होते है धर्मानुशंसित कट्टरपंथी विचार। अतः बीते एक साल में फ्रांस नें 89 संदिग्ध मस्जिदों का निरीक्षण किया और इसमें से एक तिहाई यानी करीब 30 को बंद कर दिया है। आपको बता दें कि फ्रांस ने इन विवादित मस्जिदों को बंद करने का अभियान नवंबर 2020 में शुरू किया था। फ्रांस की संसद ने इसी साल जुलाई में एक विधेयक पारित किया था जिसका मकसद मस्जिदों और अन्य धार्मिक संगठनों के ऊपर सरकारी निगरानी को मजबूत करना और इस्लामिक चरमपंथियों के आंदोलनों के प्रभाव खत्म करने के साथ साथ आवश्यकता अनुसार उन्हें प्रतिबंधित करना भी है। विभिन्न इलाकों में स्थित 6 और मस्जिदें बंद करने पर विचार हो रहा है। इतना ही नहीं फ्रांस ने मस्जिदों के अलावा 650 अन्य इस्लामिक धार्मिक स्थलों को भी प्रतिबंधित कर दिया है।
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इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों पर कार्रवाई
गृह मंत्री गेराल्ड डार्मानिन के आधिकारिक बयान के अनुसार ‘राजनीतिक इस्लाम’ को बढ़ावा देने वाले 5 मुस्लिम संघों को बंद कर दिया गया है। अलगाववाद रोधी कानून के तहत देश में ऐसे 10 विवादास्पद संगठनों को बंद करने पर विचार चल रहा है। फ्रांस पुलिस ने देश में 24,000 जगहों की जांच भी की है। गृह मंत्री के मुताबिक अभी तक हुई कार्रवाई में 205 संघों के बैंक खातों को बंद किया गया है और दो इमामों को देश से बाहर निकाला गया है। गेराल्ड ने कहा- विदेशी धार्मिक अधिकारी वर्ष 2023 से फ्रांस में नहीं आ सकेंगे। वहीं जो विदेशी धर्माधिकारी यहां आ चुके हैं, उनका निवास परमिट को बढ़ाया नहीं जाएगा।’ 57 लाख की आबादी के साथ फ्रांस सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला यूरोपियन देश है। फ्रांस अथॉरिटी इस्लामिक प्रकाशक नवा (NAWA) को भी खत्म करने के बारे में सोच रहा है। इस संगठन ने पिछले साल जून, 2020 में पेरिस में अमेरिकी दूतावास के बाहर पुलिस हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन किया था। नवा दक्षिणी कस्बे एरिज में प्रभुत्व रखता है। यहां उस पर यहूदियों को डराकर भगाने और समलैंगिकों के खिलाफ पत्थरबाजी को वैध बताने का आरोप है।
इस लेख और फ्रांसीसी प्रतिरोध के निष्कर्ष को फ्रांस के गृहमंत्री के एक ही वाक्य में समाहित किया जा सकता है। गृह मंत्री गेराल्ड डार्मानिन नें कहा हम उन लोगों में आतंक भरना चाहते हैं जो हमारे खिलाफ आतंक फैलाना चाहते हैं। आप इतिहास से सीख सकते है। वैश्विक घटनाओं से सीख सकतें है। फ्रांस इस्लामिक कट्टरता के विरुद्ध जिस प्रकार से संघर्ष कर रहा है, जैसे कड़े कानून बना रहा है, वह एक आदर्श है। आज आवश्यकता है कि सभी परिपक्व समाज, जो इस्लामिक कट्टरपंथ से त्रस्त हैं, ऐसे ही कड़े कदम उठाएं। लोकतांत्रिक सरकारें जब तक इस्लामिक कट्टरपंथ को सामान्य सामाजिक समस्याओं जैसा समझेंगी तब तक वे इसके विरुद्ध कारगर कार्रवाई नहीं कर पाएंगी। भारत को फ्रांस के प्रतिकार से सीखना चाहिए।