कश्मीर सफाई अभियान के बीच अलगाववादी गिलानी के पोते को सरकारी नौकरी से निकाला गया

अपनी नियुक्ति से पहले श्रीनगर का वीडियो बनाकर आईएसआई को साझा करता था गिलानी का पोता!

अनीस-उल-इस्लाम

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जम्मू-कश्मीर में सफाई अभियान जोर-शोर से चल रहा है। वर्षों से बिना कारण जो व्यवस्था के सहारे राष्ट्र पर बोझ बने हुए थे, उनकी सफाई का दौर चालू है। यह हास्यास्पद है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमें ये करना पड़ रहा है, वरना एक ही सीमा के भीतर कोई अधिक महत्वपूर्ण और कोई कम महत्वपूर्ण कैसे हो सकता था? कश्मीर के संदर्भ में यही हुआ, वहां के लोग लंबे समय तक भारत के अन्य क्षेत्रों के लोगों की तुलना में ‘खास’ बने रहे और उन खास लोगों ने फिर क्या किया, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। खैर, समानता के लिए काम करने वाली मोदी सरकार द्वारा लगातार इस मोर्चे पर काम किया जा रहा है। अब इन्हीं प्रयासों के बीच सरकार ने अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के पोते अनीस-उल-इस्लाम को सरकारी नौकरी से निकाल दिया है। डोडा के एक शिक्षक को भी बर्खास्त किया गया है।

पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी के पोते को जम्मू-कश्मीर में एक सरकारी स्वामित्व वाले सम्मेलन केंद्र से अनुसंधान अधिकारी के पद से बर्खास्त कर दिया गया है। दरअसल, अलगाववादी गिलानी ने अपने पोते अनीस-उल-इस्लाम को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए खरीद-फरोख्त किया था, जिस पर अब सरकार ने संज्ञान लेते हुए डंडा चलाया है। इससे पहले पाकिस्तान स्थित हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों के अलावा दागी पुलिस अधीक्षक दविंदर सिंह सेवा से निकाले गए लोगों में शामिल हैं। बता दें कि दागी पुलिस अधीक्षक दविंदर सिंह को एक वांछित आतंकवादी तथा दो अन्य के साथ गिरफ्तार किया गया था

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गिलानी के बेटे अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश के बेटे अनीस को उपराज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 311 (2)(C) में प्राप्त शक्तियों के तहत तथ्यों और परिस्थितियों की जांच  के बाद बर्खास्त किया है। बता दें कि 2017 से तिहाड़ जेल में बंद अनीस के पिता को आतंक के वित्त पोषण के मामले में NIA द्वारा गिरफ्तार किया गया था।

दरअसल, वर्ष 2016 में अनीस-उल-इस्लाम को तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के कार्यकाल में शेर-ए-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र (SKICC) में शोध अधिकारी नियुक्त किया गया था जिसका संचालन जम्मू कश्मीर पर्यटन विभाग द्वारा किया जाता है। SKICC जम्मू कश्मीर प्रशासन की एक शीर्ष सम्मेलन और कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा है, जिसका उपयोग उच्च स्तरीय बैठकों और वीवीआईपी सम्मेलनों के लिए किया जाता है।

यही नहीं, अलगाववादी गिलानी नेता के पोते अनीस-उल-इस्लाम के साथ-साथ जम्मू के डोडा में एक स्कूली शिक्षक फारूक अहमद बट को भी बर्खास्त कर दिया गया है। उसे 2005 में अनुबंध पर नियुक्त किया गया था और 2010 में नियमित कर दिया गया था। खबरों के मुताबिक, “उसका भाई मोहम्मद अमीन बट लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से सक्रिय है।”

नियुक्ति में पाई गई है अनियमितता

अनीस-उल-इस्लाम के साथ भी बहुत सारी समस्याएं हैं, वह देश विरोधी ताकतों से जुड़ा हुआ पाया गया है! पाकिस्तान और UAE से उसे अनोखा प्यार है। बताया तो यह भी जा रहा है कि साल 2016 में सरकारी नौकरी मिलने से ठीक पहले वह पाकिस्तान चला गया था और अब यूएई और सऊदी अरब में तीन संदिग्धों के संपर्क में है। गिलानी के पोते अनीस पर ये भी आरोप है कि वो अपनी नियुक्ति से पहले श्रीनगर में और उसके आस-पास ड्रोन उड़ाता था और कानून व्यवस्था की स्थिति का वीडियो बनाकर उसे सीमा पार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से साझा करता था।

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जम्मू कश्मीर सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि अल्ताफ फंटूश के बेटे अनीस की नियुक्ति के दौरान सभी नियमों को ताक पर रखा गया था। खबरों की मानें तो 2005 के बाद से रिक्त पद को भरने के लिए कोई हड़बड़ी नहीं थी, लेकिन कुछ अधिकारी अचानक से SKICC में किसी भी तरह के रिक्त पद को भरने की जल्दी में थे। कुछ लोग अनीस की नियुक्ति को बुरहान वानी से जोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि 8 जुलाई, 2016 को आतंकवाद के पोस्टर बॉय बुरहान वानी की हत्या के बाद घाटी में अशांति से बनाये रखने के लिए हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश को 5 करोड़ रुपए दिए गए थे। ये पैसे पीडीपी नेता वहीद उर रहमान पारा ने दिए थे जो जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबी माने जाते हैं।

स्वागत योग्य है  सरकार का यह कदम

बतातें चलें कि जम्मू कश्मीर में फिर से दहशतगर्दी का दौर शुरू हो गया है और इस बार वहां आम लोगों को मारा जा रहा है, हिंदुओं को टारगेट किया जा रहा है। हमारे सुरक्षाबल भी आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। दूसरी ओर राज्य के बड़े और सरकारी ओहदे पर बैठे कट्टरपंथी और आतंक समर्थक लोगों के खिलाफ भी सरकार एक्शन ले रही है। इसी कड़ी में अनीस-उल-इस्लाम पर भी सरकार का चाबुक चला है। पिछले दिनों सरकार ने 6 सरकारी मुलाजिमों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था, उन पर आतंकियों की मदद करने और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे थे। अब मोदी सरकार ऐसे लोगों को चुन-चुन कर बाहर निकाल रही और उन पर कार्रवाई कर रही है। जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए सरकार द्वारा उठाया जा रहा यह कदम स्वागत योग्य है।

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