हॉकी इंडिया ने UK को vaccine नस्ल-भेद के लिए जमकर लताड़ा

शानदार!

ब्रिटेन क्वारंटाइन

भारत 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी राष्ट्रीय हॉकी टीम को नहीं भेजेगा। टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने वाली भारत की पुरुष और महिला हॉकी टीमें 2022 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए बर्मिंघम नहीं जाएंगी। यह निर्णय कोविड -19 चिंताओं और यूनाइटेड किंगडम में अनिवार्य 10 दिवसीय क्वारंटाइन नियम से भी प्रभावित बताया जा रहा है। ब्रिटेन ने हाल ही में भारत के COVID-19 टीकाकरण प्रमाणपत्रों को मान्यता देने से इनकार कर दिया और देश से आने वाले यात्रियों पर 10-दिवसीय कठोर क्वारंटाइन लगाया, भले ही उन्हें पूरी तरह से भारतीय टीका लगाया गया हो।

दरअसल, अगले वर्ष 2022 में कॉमनवेल्थ गेम्स जुलाई में होंगे और इस मल्टी-स्पोर्ट इवेंट के बाद अगस्त में एशियन गेम्स होंगे। हॉकी इंडिया के प्रेसिडेंट ज्ञानेंद्रो निंगोबम (Gyanandro Ningombam) हॉकी इंडिया के इस फैसले से सभी को पत्र लिख कर अवगत करा दिया है। निंगोबम ने अपने पत्र में ब्रिटेन द्वारा अपनाए जा रहे भारतीयों के साथ भेदभाव का प्रमुखता से उजागर किया है। Zee News की रिपोर्ट के अनुसार ज्ञानेंद्रो निंगोबम ने लिखा, ‘इस तरह की भेदभावपूर्ण पाबंदियां भारतीय खिलाड़ियों और अधिकारियों पर हाल में हुए टोक्यो ओलंपिक खेलों के दौरान भी लागू नहीं थी और टीकाकरण करवाने वाले खिलाड़ियों के लिए भी 10 दिन के पृथकवास से उनका प्रदर्शन प्रभावित होगा. हमें लगता है कि ये पाबंदियां भारत के खिलाफ भेदभावपूर्ण हैं और काफी दुर्भाग्यशाली हैं।’

भारतीय हॉकी के चीफ निंगोमबम ने बताया, “आप इस बात की सराहना करेंगे कि एशियाई खेल, 2024 के पेरिस ओलंपिक खेलों के लिए महाद्वीपीय योग्यता कार्यक्रम है और एशियाई खेलों की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए, हॉकी इंडिया राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान COVID-19 अनुबंधित भारतीय टीमों के किसी भी सदस्य को जोखिम में नहीं डाल सकता है।”

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ज्ञानेंद्रो निंगोबम ने कहा कि ब्रिटेन पहुंचने वाले भारतीयों के लिए क्वारंटाइन उपाय, भले ही उन्हें COVID ​​-19 के खिलाफ पूरी तरह से टीका लगाया गया हो, “बहुत दुर्भाग्यपूर्ण” था और वह एथलीटों के प्रदर्शन को प्रभावित करेगा।

भारत का यह निर्णय इंग्लैंड द्वारा “COVID-संबंधित चिंताओं” का हवाला देते हुए, पुरुषों के हॉकी जूनियर विश्व कप से हटने के एक दिन बाद आया, जो भारतीय शहर भुवनेश्वर में 24-दिसंबर से आयोजित किया जाएगा।

हॉकी इंडिया द्वारा लिया गया निर्णय न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि भारत की ओर से एक साहसिक संदेश भी भेजता है। यह राष्ट्रमंडल खेलों के रूप में बेकार औपनिवेशिक बोझ को छोड़ने का समय है और यह खेल वास्तव में अपनी ग़ुलामी का जश्न मनाने के अलावा कुछ भी नहीं है। आप वैसे भी इस खेल में जाकर बताते थे कि हम भी कभी आपके ग़ुलाम थे।

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