वैश्विक स्तर पर सतत विकास और स्वच्छ ऊर्जा के प्रयास शुरू हो गए हैं, तो विश्व के देशों में नए ऊर्जा के क्षेत्र में खुद को सबसे ऊपर दिखाने की होड़ भी लग गई है। चीन आने वाले समय में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र पर हावी होने की योजना बना रहा है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी लिथियम स्टॉक चीन में है लेकिन इस देश का इलेक्ट्रिक कार उद्योग अपनी 80% जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाली ली-आयन बैटरी के लिए लिथियम सबसे महत्वपूर्ण धातु है लेकिन समस्या यह है कि वह एक सीमित संसाधन है और उसकी मांग अब आसमान छूने को तैयार है, क्योंकि आने वाले कुछ ही सालों में इलेक्ट्रिक व्हीकल, फॉसिल फ्यूल यानी जीवाश्म ईंधन से चलने वाली गाड़ियों की जगह लेने को तैयार है। लेकिन इसी बीच भारतीय कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के एक फैसले ने चीन के मंसूबों पर ग्रहण लगाने का काम किया है।
रिलायंस ने किया चीनी कंपनी का अधिग्रहण
दरअसल, चीन के पास लिथियम का भंडार है जो आने वाले समय में दुनिया के लिए काफी उपयोगी साबित होने वाला है। फिलहाल भौगोलिक कठिनाइयों का हवाला देकर चीन इसका इस्तेमाल करने से कतरा रहा है, जबकि वास्तविक कारण कुछ और है। चीन की प्लानिंग है कि दुनिया के वैसे देश जिनके पास लिथियम का भंडार है वो जब अपनी लिथियम स्टॉक को समाप्त कर देंगे, तब चीन इसे प्रयोग में लाएगा और आर्थिक लाभ कमाएगा। इस तरीके से चीन आने वाले समय में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र पर हावी होने की योजना बना रहा है। हालांकि, भारत ने ऐसे कदम उठाने शुरू कर दिए हैं जो इस तरह की चीनी योजनाओं पर पानी फेरने के लिए काफी है। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने REC सोलर होल्डिंग्स AS (REC समूह) और स्टर्लिंग एंड विल्सन सोलर के अधिग्रहण सहित स्वच्छ ऊर्जा सौदों को अपनाने की घोषणा कर दी है।
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रिलायंस इंडस्ट्रीज की इकाई रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर लिमिटेड की ओर से कहा गया कि कंपनी ने चीन नेशनल ब्लूस्टार (ग्रुप) कंपनी लिमिटेड से $771 मिलियन में REC समूह का अधिग्रहण किया है। RIL के एक बयान के अनुसार, इस अधिग्रहण से रिलायंस को संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और एशिया सहित वैश्विक स्तर पर प्रमुख स्वच्छ ऊर्जा बाजारों में मदद मिलेगी। REC समूह को भी सिंगापुर, फ्रांस और अमेरिका में विस्तार करने के लिए आसानी होगी।
अंबानी द्वारा जून में ही कहा गया था कि तीन वर्षों में स्वच्छ ऊर्जा के लिए RIL 75,000 करोड़ रुपये बाजार में निवेश करेगा। उसके बाद इस चीनी कम्पनी का अधिग्रहण रिलायंस इंडस्ट्रीज का स्वच्छ ऊर्जा के प्रति समर्पण को दर्शाता है। यह पहला और आखिरी कदम नहीं है, RIL चार गीगा फैक्ट्रियों पर 60,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना भी बना चुका है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज और ग्रीन फर्म
टेलीकॉम और रिटेल सेक्टर में झंडे गाड़ने के बाद अब मुकेश अंबानी ने दुनिया भर में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज के उदय को तय कर दिया है। रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर लिमिटेड ने रविवार को स्टर्लिंग एंड विल्सन सोलर में लगभग 2,845 करोड़ रुपये के कुल भुगतान से 40% हिस्सेदारी हासिल की है। स्टर्लिंग एंड विल्सन दुनिया के अग्रणी EPC (इंजीनियरिंग, खरीद, निर्माण) कंपनियों में से एक है और इस कंपनी ने दुनिया भर में अबतक 11 गीगावॉट की परियोजनाओं को सफल किया है।
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रिलायंस इंडस्ट्रीज का हाइड्रोजन पुश
दुनिया स्वच्छ ऊर्जा और कम प्रदूषण के समाधान की तलाश में है। मौजूदा समय में, हम ईंधन के रुप में तेल या प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती है। इससे कई तरह के विषाक्त पदार्थ निकलते हैं जो जलवायु परिवर्तन अभियान को नुकसान पहुंचाते हैं।
ऐसे में दुनिया अब इसके विकल्पों पर ध्यान देना शुरु कर चुकी है। हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियां और इलेक्ट्रिक व्हीकल इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है। जीवाश्म ईंधन से चलने वाली गाड़ियों की जगह पर अब लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं लेकिन इसके साथ समस्या यह है कि EV को चलाने के लिए भी थर्मल पावर की जरूरत है। इसलिए यदि आप ईवी चलाने के लिए कोयले से चलने वाले थर्मल प्लांट का उपयोग करते हैं तो आप वास्तव में पर्यावरण को नहीं बचा रहे।
दूसरी ओर, हाइड्रोजन ईंधन वाले वाहन, यात्रा के लिए अधिक न्यायसंगत और पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। इसलिए इलेक्ट्रिक कार भविष्य नहीं है बल्कि हाइड्रोजन कारें वास्तविक भविष्य हैं। एक सच यह भी है कि हाइड्रोजन कारें अभी विकास के शुरुआती चरण में हैं, जबकि इलेक्ट्रिक वाहन हमारे दरवाजे पर दस्तक दे चुकी है। लेकिन एक बार पूरी तरह से विकसित हो जाने के बाद, हाइड्रोजन कारों को बेहतर विकल्प के रूप में स्वीकार किया जा सकेगा।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की योजना हाइड्रोजन, इंटीग्रेटेड सोलर PV और ग्रिड बैटरी के क्षेत्रों में सपोर्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने की है। मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाइड्रोजन पर ध्यान केंद्रित करने पर ऊर्जा संचालन को डीकार्बोनाइज करने, बैटरी के साथ ऊर्जा भंडारण करने और हरी अमोनिया का निर्यात करने के महत्वपूर्ण अवसर मिलते हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज वास्तव में, भारत को वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा वर्चस्व के नक्शे पर लाने के लिए एक ऊर्जायुद्ध का नेतृत्व कर रही है। रिलायंस इंडस्ट्रीज उस क्षेत्र में चीनी हितों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रही है, जिसका 2030 तक 5 ट्रिलियन डॉलर का मूल्यांकन होगा।