हिंदुओं को नीचा दिखाने के लिए कैसे न्यू यॉर्क टाइम्स ने बनाया हिटलर के ‘Hooked Cross’ को ‘Swastika’!

सोची समझी साजिश के तहत किया गया था 'सनातन स्वास्तिक' को बदनाम

नाजी स्वास्तिका

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न्यू यॉर्क टाइम्स और हिन्दू विरोध के बीच वैसा ही नाता है, जैसा पाकिस्तान और आतंकवाद के बीच, चीन और तानाशाही के बीच, अमेरिका और हिपोक्रेसी के बीच एवं यूके और कायरता के बीच! भारत और विशेषकर सनातन संस्कृति के प्रति न्यू यॉर्क टाइम्स की घृणा कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह घृणा इतनी गहरी है कि इसके लिए न्यू यॉर्क टाइम्स इतिहास को भी पलटने में सक्षम है। ब्रेवहार्ट नामक प्रसिद्ध हॉलीवुड मूवी में एक बड़ा ही सटीक संवाद कहा गया है कि ‘इतिहास अक्सर उन्होंने ही लिखा है, जो नायकों को सूली पर चढ़ाते हों’। न्यू यॉर्क टाइम्स के वास्तविक इतिहास को यदि देखें, तो ये संवाद उनपर बिल्कुल सटीक बैठता है। दुर्दांत जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर का कुख्यात ‘Hooked Cross’ कैसे ‘Nazi Swastika’ (नाजी स्वास्तिका) में परिवर्तित हुआ, इसके पीछे न्यू यॉर्क टाइम्स ने बहुत बड़ा खेल किया है, जिस पर आज तक किसी ने चर्चा तक नहीं की।

एक सोची समझी साजिश के तहत बदनाम हुई सनातन स्वस्तिक

दरअसल, इस विषय पर एक महत्वपूर्ण थ्रेड निकालते हुए Coalition of Hindus of North America (CoHNA) ने न्यू यॉर्क टाइम्स की धज्जियां उड़ाई हैं, थ्रेड में लिखा गया है कि “ऍशले रिंडसबर्ग ने अपने विश्लेषण ने हम सबकी आंखें खोल दी थी, जब उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे न्यू यॉर्क टाइम्स ने कभी Holocaust जैसे वीभत्स अपराध की कवरेज ही नहीं की और छद्म रूप से नाज़ी विचारधारा का समर्थन किया। परंतु लोगों को ये नहीं पता कि कैसे इसी पत्रिका के orientialist चश्मे के माध्यम से Hakenkrauz [Hooked Cross] को Swastika में परिवर्तित कर दिया गया”!

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इस संगठन ने थ्रेड में प्रमाण सहित यह भी बताया कि कैसे न्यू यॉर्क टाइम्स ने हिंदुओं को बदनाम करने हेतु बड़ी ही सफाई से अपने ही लेख को झुठलाते हुए हिटलर के ‘Hooked Cross’ को ‘Nazi Swastika’ (नाजी स्वास्तिका) में परिवर्तित कर दिया, जिसके बल पर आज भी पाश्चात्य बुद्धिजीवी और भारतीय कम्युनिस्ट सनातन संस्कृति को बदनाम करते आए हैं।

इसी थ्रेड के अन्य ट्वीट्स के अनुसार, “अपने पुस्तक में डॉक्टर टी के नाकागाकी बताते हैं कि कैसे 2 दिसंबर 1923 के संस्करण में न्यू यॉर्क टाइम्स ने हिटलर के पार्टी के प्रतीक चिन्ह को पहली बार Hakenkrauz (Hooked Cross) के नाम से संबोधित किया था। लेकिन 19 मार्च 1933 को इसी पत्रिका ने बड़ी ही सफाई से अमेरिकी जनमानस के लिए इस प्रतीक चिन्ह का नया शब्द खोज निकाला – ‘स्वास्तिका’!” –

मूल स्वास्तिक और नाजी स्वास्तिका में नहीं है समानता

लेकिन मूल स्वास्तिक, नाजी स्वास्तिका से भिन्न कैसे है। मूल स्वास्तिक और नाजी ‘स्वास्तिका’’ में सबसे बड़ा अंतर यही है कि नाजी ‘स्वास्तिका’ सनातन शास्त्र के अनुसार सही पद्वति में और सही आकार में निर्मित नहीं है। ये न केवल अनैतिक है, बल्कि अशुभ भी है। इसके अलावा स्वयं जर्मनी के नागरिकों का मानना था कि नाजी जर्मनी का प्रतीक चिन्ह Hakenkrauz है, उनका हिन्दू संस्कृति से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था। हिटलर आर्यन रेस की बात अवश्य करता था, परंतु भारतीयों को वह हीन दृष्टि से देखता था और उसके अपमानजनक बयानों के विरोध में भारतीयों ने बर्लिन ओलंपिक 1936 में उसे नाज़ी सलाम देने तक से मना कर दिया था।

न्यू यॉर्क टाइम्स का वर्तमान इतिहास

लेकिन न्यू यॉर्क टाइम्स जैसे कुत्सित, घृणित वामपंथी पत्रिका के लिए ये तो कुछ भी नहीं है! अब समझ में आ गया है कि इस पत्रिका को ‘मंगलयान’ के सफल प्रक्षेपण पर घृणित कार्टून निकालने की प्रेरणा कहां से मिली होगी। न्यू यॉर्क टाइम्स की घृणा इस हद तक है कि ‘तांडव’ जैसे हिंदू विरोधी सीरीज पर सरकार की कार्रवाई को लेकर भी वो ऐसे हाय तौबा मचाता है, जैसे प्रलय आ गया हो!

न्यू यॉर्क टाइम्स की कुंठा को आप उनके लेख के इस अंश से ही समझ सकते हैं, जब वेब सीरीज ‘तांडव’ पर सरकार की कार्रवाई को लेकर उन्होंने रिपोर्टिंग की थी। न्यू यॉर्क टाइम्स में लिखा गया, “पुलिस आयोजित हत्याओं के साक्षी उत्तर प्रदेश के प्रशासन को इस सीरीज से विशेष आपत्ति है। इस राज्य की बागडोर मोदी के सबसे करीबी साथियों में से एक, एक हिन्दू बाबा [योगी आदित्यनाथ] के हाथ में है, जिन्होंने इस सीरीज के विरुद्ध मुकदमा करते हुए कहा है कि यह हमारे प्रधानमंत्री को बेहद नकारात्मक छवि में दिखाता है। उन्होंने प्रशासन के कुछ अफसरों ने चेतावनी भी दी कि इस सीरीज के निर्माता की गिरफ़्तारी के लिए तैयार रहे। पिछले कुछ महीनों में मोदी सरकार से जुड़े अफसरों ने कई फिल्म कलाकारों पर अपनी नकेल कसनी शुरू कर दी है। आलोचकों के अनुसार ये दबाव एक तरह से हिन्दू राष्ट्रवाद के विरुद्ध उठने वाली हर आवाज को दबाने के लिए डाला जा रहा है, ताकि भारत हिन्दू राष्ट्र में परिवर्तित हो, जहां अल्पसंख्यकों का शोषण किया जा सके।” 

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TFI के एक ऐसे ही विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के अनुसार, “न्यू यॉर्क टाइम्स ने जिस प्रकार से इस लेख को लिखा और प्रकाशित करवाया है, और जिस प्रकार से हिन्दू विरोधी कॉन्टेन्ट के प्रति जनविरोध को ‘तानाशाही’ से जोड़ने का प्रयास किया है, उससे स्पष्ट है कि न्यू यॉर्क टाइम्स को भी पता चल चुका है कि अब वामपंथियों के जाल में कोई नहीं फंसने वाला, और न ही कोई उनकी दलील सुनने को कोई तैयार होगा।

लेकिन जिस प्रकार से एक ‘Hooked Cross’ को अपने कुत्सित विचारों को लाभ देने के लिए न्यू यॉर्क टाइम्स ने ‘Swastika’ का रूप देकर सनातन धर्म को अपमानित किया, उससे न केवल यह सिद्ध होता है कि भारत के प्रति उसकी घृणा किस हद तक है, अपितु यह भी सिद्ध होता है कि अपनी सांस्कृतिक हीन भावना और कुंठा को छुपाने के लिए ये लोग किस हद तक नीचे गिर सकते हैं।

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