IAS मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन को SIT ने पाया इस्लामिक धर्मांतरण का दोषी और अब होगी तगड़ी कार्रवाई

सशंकित करती है संविधान से ज्यादा इस्लाम के प्रति प्रशासनिक अधिकारी की निष्ठा!

इफ्तिखारुद्दीन

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देश ने कलेक्टर बनाया लेकिन उनका उद्देश्य तो कट्टरपंथी मौलाना बनना था। देश ने उन्हें प्रशासन का बागडोर सौंपा ताकि वह कल्याणकारी राज्य की सरकार संकल्पना को सुनिश्चित कर सकें, परंतु उनका उद्देश्य तो छलपूर्वक धर्मांतरण करा ‘दारुल-इस्लाम’ की संकल्पना को साकार करना था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो सामने आई थी, जिसमें वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन धर्मांध लोगों को पूरी दुनिया में इस्लाम के विस्तार का उपदेश देते दिख रहे थे।

यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई, क्योंकि एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में एक प्रशासनिक अधिकारी का संविधान से ज्यादा इस्लाम के प्रति निष्ठा सशंकित करती है। ऊपर से मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत है।

सोशल मीडिया पर तीन वीडियो की एक सीरीज वायरल हुई है, जिसमें इफ्तिखारुद्दीन लोगों को इस्लाम कबूल करने के फायदे बताते नजर आ रहे हैं। तीनों वीडियो एक सुसज्जित सरकारी आवास में रिकॉर्ड किए गए हैं। इफ्तिखारुद्दीन फर्श पर बैठे लोगों को संबोधित करते हुए कहते हैं- “दुनिया के लोगों के लिए घोषणा करें कि अल्लाह की संप्रभुता और अधिकार ही एक दिन पूरी दुनिया में स्थापित होना है।” वीडियो वायरल होने के बाद राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक बयान में इसे गंभीर मामला बताया था। उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा कुछ होता है तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा और अब कार्रवाई भी शुरु हो गई है।

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मामले का खुलासा और SIT  का गठन

गौरतलब है कि मठ मंदिर समन्वय समिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भूपेश अवस्थी ने पिछले दिनों आरोप लगाया था कि इफ्तिखारुद्दीन हिंदू विरोधी दुष्प्रचार में लिप्त हैं। उन्होंने पुलिस को यही तीनों वायरल वीडियो साक्ष्य  के रूप में भी दिए थे, जिसमे वह अपने सरकारी आवास पर एक मौलाना के साथ  बैठ कर लोगो को धर्मांतरण और इस्लामी वर्चस्व को अपनाने के लिए प्रेरित करते दिख रहे हैं। अवस्थी तब कानपुर जोन कमिश्नर थे, उन्होंने ही इस अधिकारी के धार्मिक कार्यक्रमों के वीडियो जारी किए हैं।

जब यह वीडियो वायरल  हुआ तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संबंध में पुलिस आयुक्त असीम अरुण को लखनऊ तलब किया था। जिसके बाद में योगी सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन द्वारा हिंदू विरोधी प्रचार के आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। दो सदस्यीय SIT का नेतृत्व डीजी सीबी-सीआईडी जीएल मीणा और एडीजी जोन भानु भास्कर कर रहे हैं।

जब SIT ने उत्तर प्रदेश के आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के खिलाफ जबरन धर्म परिवर्तन के आरोपों की जांच शुरू की, तब कल्याणपुर में राजकीय उन्नयन बस्ती के पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि अधिकारी ने एक बार उसे इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए बहलाया-फुसलाया था।

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गरीबों को देते हैं पैसे का लालच

जैसे जैसे मामला आगे बढ़ते जा रहा है, वैसे ही इफ्तिखारुद्दीन के काले कारनामों भी उभर कर सामने आ रहे हैं। राजकीय उन्नयन बस्ती के पूर्व अध्यक्ष निर्मल कुमार त्यागी ने मीडिया को बताया कि अक्टूबर 2016 में तत्कालीन संभागीय आयुक्त मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन का काफिला कल्याणपुर पहुंचा और बस्ती के लोगों से कहा गया कि उन्हें जगह खाली करनी होगी, क्योंकि इस जमीन का इस्तेमाल मेट्रो परियोजना के लिए होना था।

त्यागी ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने आयुक्त से उनके घरों को नष्ट न करने की गुहार लगाई तो उनकी खराब वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए आयुक्त ने उन्हें पैसे देकर इस्लाम में परिवर्तित करने का लालच देना शुरू कर दिया। त्यागी ने कहा, “जब आयुक्त यह सुझाव दे रहे थे तो वहां मौजूद एक व्यक्ति ने लोगों को इस्लाम से संबंधित साहित्य देना शुरू कर दिया।”

उन्होंने आगे कहा, “बस्ती में धर्मांतरण के कई प्रयास किए गए। हालांकि, स्थानीय लोगों ने फैसला किया कि वे इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे। जब उन्होंने बस्ती खाली करने के मुद्दे को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया तब कहीं जाकर संकट का समाधान हुआ।” त्यागी ने स्पष्ट रुप से कहा है कि अगर SIT बुलाएगी तो मैं आईएएस अधिकारी के खिलाफ गवाही  देने अवश्य जाऊंगा।

IAS  के बिगड़े बोल

इस मसले को लेकर एसआईटी ने पूर्व आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन से 7 घंटे तक पूछताछ की है। पूछताछ में इफ्तिखारुद्दीन ने स्वीकार किया है कि जो वीडियो सामने आए हैं, वह उसी के हैं। पूछताछ के दौरान उन्होंने एसआईटी को कुरान की आयतें सुनाईं और कहा कि वीडियो में उन्होंने जो कहा उसमें गलत क्या है। उन्होंने तो वही कहा है जो कुरान में लिखा है, अर्थात इस्लाम में धर्मपरिवर्तन जायज़ है। वो यह मानने को तैयार नहीं थे कि उन्होंने कुछ गलत कहा है। वह एसआईटी के समक्ष अपने द्वारा लिखी गई 3 पुस्तकों के साथ पेश हुए थे।

वहीं, एसआईटी को लगता है कि इफ्तिखारुद्दीन ने अपनी किताबों में वीडियो से ज्यादा आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया है। इसलिए एसआईटी अब उनकी किताबों की गहराई से जांच करेगी। दरअसल, एसआईटी ने बयान दर्ज करने के लिए इफ्तिखारुद्दीन को तलब किया था, लेकिन वह नहीं आएं। फिर एसआईटी ने उन्हें 5 अक्टूबर, 2021 को बुलाया, पर वह बुधवार दोपहर करीब दो बजे सीबी-सीआईडी ​​कार्यालय पहुंचें, जहां एसआईटी प्रमुख और सदस्यों ने उनसे पूछताछ की। SIT  अभी मामले की जांच कर रही है और जल्द ही पूरे गिरोह का पर्दाफाश करने वाली है।

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बताते चलें कि हाल के दिनों में पूरे देश में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा भीषण स्तर पर वैचारिक और उन्मादी गोरिल्ला युद्ध छेड़ दिया गया है! जम्मू-कश्मीर से लेकर केरल तक और बंगाल से लेकर बिहार तक सभी जगह इनके कुत्सित प्रयास दिख रहे हैं।  कभी ये शाहीन बाग़ पर कब्ज़ा करते है तो कभी घुसपैठियों को शरण देते है! व्यक्तिगत स्तर पर कम  से कम इफ्तिखारुद्दीन जैसे दरिंदे ने ये स्वीकार करने का साहस तो किया कि जबरन धर्मांतरण की सीख उसे इस्लाम ने दी और वो इसे लेकर क्षमाप्रार्थी नहीं बल्कि गौरवान्वित है। बस आवश्यकता है तो हिंदुओं में शर्म और सीख के जागृति की। आखिरकार योगी जी और मोदी जी देश और राज्य को संभालेंगे, आपके घर में आकर पहरा तो देंगे नहीं और ना ही इससे देश चलेगा! ऐसे में पहले खुद का सम्मान करना सीखिए, सामर्थ्य बनिए, सनातन की रक्षा कीजिए, तभी देश और समाज सुरक्षित रह पाएगा।

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