भाजपा जब उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदल सकती है, तो हरियाणा में खट्टर को क्यों नहीं ?

मुस्लिम तुष्टिकरण या गठबंधन का दबाव

बिना किसी लाग-लपेट और भारी-भरकम शब्दावली का प्रयोग किए, हम यह दावे से स्पष्ट करना चाहते हैं कि संघ के वैचारिक आधार पर ही भाजपा का जनाधार टिका हुआ है। आखिर यह विचार है क्या? आदि-अनादि से चली आ रही अनंत सनातन संस्कृति ही भारत की जीवन शैली और मानवता का धर्म है। यही भारतीय संस्कृति है। इन्हीं आधारों और सनातन दृष्टिकोण से पल्लवित हो भारत विश्व गुरु और वैश्विक महाशक्ति बनेगा। यह समग्र भूखंड अखंड आर्यावर्त है और इस पर निवास करने वाले सभी लोग अपने-अपने धर्म, जाति, मजहब, पंथ और विश्वास से परे सनातन संतान है। भाजपा जब-जब इसे नकारेगी या जाने-अनजाने इस दृष्टिकोण से विचलित होगी तब-तब एक राजनीतिक दल के तौर पर हारेगी। भारत की जनता का दल होने का दंभ भरने वाली भारतीय जनता पार्टी को यह समझना होगा कि भारतीयता और सनातन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

उत्तराखंड की रावत सरकार के दो बड़े फैसलों और भ्रष्टाचार के एक मामले ने उनकी सरकार के लिए मौत की घंटी बजा दी। राज्य सरकार के नियंत्रण में बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री सहित 51 मंदिरों को लाने वाला चार धाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक उनकी विदाई के प्रमुख कारणों में से एक था। इस विधेयक को जनवरी में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने मंजूरी दी थी। आरएसएस के प्रचारक से मुख्यमंत्री बने श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस मुद्दे पर अपनी वैचारिक मातृ संगठन RSS तक को दरकिनार कर दिया। विश्व हिंदू परिषद ने फैसला वापस नहीं लेने पर आंदोलन की धमकी दी।

एक और प्रशासनिक कार्य जिसने भाजपा की राज्य इकाई को नाराज कर दिया वह था गैरसैंण आयुक्तालय की स्थापना तथा गढ़वाल और कुमाऊं दोनों क्षेत्रों से इस नई प्रशासनिक इकाई में जिलों को जोड़ना।  गढ़वाल परंपरागत रूप से भाजपा के साथ रहा हैं जबकि कुमाऊं पार्टी के लिए मुश्किल रहा है, लेकिन गढ़वाल से बद्रीनाथ और केदारनाथ के उप-मंडल को आयुक्तालय में जोड़ने का मतलब है कि यह गढ़ भी संभवतः फरवरी में आने वाले चुनावों में गिर जाएगा। राज्य के नेताओं ने आरोप लगाया कि इन फैसलों से पहले किसी से सलाह नहीं ली गई थी, जबकि पार्टी के नेताओं को जनता के आक्रोश और राजनीतिक प्रतिक्रिया के लिए छोड़ दिया गया था।  एक वरिष्ठ नेता ने कहा- ‘यहां तक ​​कि जब हमने यह मुद्दा उठाया तो मुख्यमंत्री कार्यालय में कोई सुनवाई तक नहीं हुई।’

केंद्र द्वारा वित्त पोषित चारधाम यात्रा परियोजनाओं की धीमी प्रगति ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के सामूहिक फैसला तक की अनदेखी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को उनके द्वारा नियुक्त मुख्यमंत्रियों का समर्थन करने के लिए जाना जाता है, यहां तक ​​​​कि संबंधित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाइयों द्वारा नाराजगी, जनता की राय और यहां तक ​​​​कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक के दबाव के बावजूद भी, लेकिन उत्तराखंड में सबकी नाराज़गी भरी पड़ी और रावत सरकार को हटा दिया गया l

मनोहर लाल खट्टर और उनका मुस्लिम तुष्टीकरण

अगर बीजेपी हिंदू समर्थकों के लिए रावत की कुर्बानी दे सकती है, तो उसे हरियाणा में ऐसा करने से कौन रोक रहा है जबकि उसके मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एक पूर्णकालिक धर्मनिरपेक्ष नेता बन गए हैं।

खट्टर मुसलमानों को खुश करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। कथित तौर पर, जब से मुसलमानों द्वारा नमाज़ अदा करने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर “भूमि जिहाद” के विवाद ने जोर पकड़ा है तब से खट्टर हिंदुओं को अपनी आवाज़ उठाने के लिए प्रताड़ित कर रहे हैं और उन्हें दंडित कर रहे हैं। देश में अपनी चमक बिखेर रहे ‘तथाकथित ढोंगी धर्मनिरपेक्षता’ को अगर कोई समझना चाहता है, तो मुख्यमंत्री खट्टर के नेतृत्व में प्रभावी ढंग से काम कर रही गुरुग्राम पुलिस उसका एक मानद उदाहरण है।

समाचार रिपोर्टों के अनुसार, शुक्रवार को गुरुग्राम में 500 पुलिसकर्मियों ने नमाज स्थलों पर पहरा दिया। इस बीच सार्वजनिक रूप से नमाज अदा करने का विरोध कर रहे हिंदू कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। गुरुग्राम पुलिस आयुक्त केके राव ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों का पालन करते हुए पुलिस ने सुनिश्चित किया कि मौजूदा व्यवस्थाओं में कोई व्यवधान न हो। पुलिस आयुक्त राव ने कहा, ‘सभी पुलिस टीमों को निर्देश दिया गया है कि नमाज अदा करने वालों को परेशान करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।’

 गुड़गांव पुलिस और उसका चौंकाने वाला व्यवहार

यह सब सितंबर में शुरू हुआ जब एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गया, जहां गुरुग्राम के स्थानीय निवासियों को गुरुग्राम पुलिस से मुसलमानों के एक समूह को हटाने, सार्वजनिक सड़क पर जगह घेरने और नमाज अदा करने वालों के विरुद्ध गुहार लगाते हुए देखा गया। हालांकि, पुलिस ने उनकी दलीलों पर ध्यान नहीं दिया और गुड़गांव पुलिस ने मात्र मामले कि लीपापोती की। बाद में उसने विवाद से हाथ धोने के लिए एक ट्वीट किया जिसके झूठ साबित होने के कारण बाद में उसे हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

गुड़गांव पुलिस का झूठा अपडेट यह था- “सार्वजनिक स्थानों पर ‘नमाज’ स्पॉट हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों द्वारा आपसी समझ के बाद तय किए गए हैं और यह जगह उनमें से एक है।  सांप्रदायिक सद्भाव और शांति बनाए रखना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है और हम इसे सुनिश्चित करेंगे।”

मनोहर लाल खट्टर भाजपा के वैचारिक आधार हिंदुत्व के मुद्दे पर अक्षम साबित हुए है।  उनकी अक्षमता का प्रमाण हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान भी देखा गया जब विधायकों के समर्थन के लिए सीधे अमित शाह को हस्तक्षेप करना पड़ा। खट्टर किसान आंदोलन को नियंत्रित करने में भी विफल रहे और हरियाणा में इस आंदोलन ने और जोर पकड़ा।  हिंदुत्व ही भाजपा की आधारशिला है। यही उसके कैडर और मतों का निर्माणकर्ता भी है। मोदी को भी हिन्नदुत्वा ने ही बनाया है। राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का अगर मखौल उड़ा या उसे क्षति पहुंची तो  भाजपा-ए-किला उखड़ते डर नहीं लगेगी। मोदी शाह को यह बात समझते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत की तरह खट्टर को भी तत्काल पदच्युत कर देना चाहिए, इससे पहले कि देर हो जाए।

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