UK स्टॉक एक्सचेंज को पछाड़ने जा रहा है भारतीय स्टॉक एक्सचेंज

मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां ला रही हैं बदलाव

टॉप-5 स्टॉक एक्सचेंज

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एक ऐसे समय में जब दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं निवेशकों का भरोसा कायम रखने में कठिनाई महसूस कर रही हैं, ऐसे में भारतीय स्टॉक मार्केट नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। भारतीय स्टॉक एक्सचेंज जल्द ही एक नया कीर्तिमान स्थापित कर यूके स्टॉक एक्सचेंज को पीछे छोड़ने वाला है। आर्थिक क्षेत्र में अपनी औपनिवेशिक पहचान को पीछे छोड़ते हुए भारत विश्व के टॉप-5 स्टॉक एक्सचेंज में अपनी जगह बनाने वाला है। यदि भारत टॉप-5 में अपनी जगह बनाता है तो देश यूके स्टॉक एक्सचेंज को पीछे छोड़ देगा।

ब्लूमबर्ग में छपी इंडेक्स में हर देश में कार्य कर रही सभी कंपनियों की संयुक्त वैल्यू के आधार पर स्टॉक एक्सचेंज के प्रदर्शन को मापा जाता है। इस इंडेक्स में भारतीय स्टॉक एक्सचेंज का कुल मूल्य 3.46 ट्रिलियन डॉलर मापा गया है, जिसमें पिछले वर्ष 2020 की तुलना में 37 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं, UK स्टॉक एक्सचेंज की बात करें तो इस वर्ष 9 फीसदी की वृद्धि के साथ यह 3.59 ट्रिलियन डॉलर के मूल्य के साथ विश्व के टॉप-5 स्टॉक एक्सचेंज में पांचवें स्थान पर है। इन्वेस्टमेंट बैंक Goldman Sachs ने साल 2024 तक भारतीय स्टॉक एक्सचेंज का मूल्य 5 ट्रिलियन डॉलर हो जाने का दावा किया है और साथ ही विश्व के टॉप-5 स्टॉक एक्सचेंज में स्थान बनाने वाला है।

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मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां ला रही हैं बदलाव

ब्लूमबर्ग ने भविष्यवाणी की है कि जल्द दोनों देशों के स्टॉक एक्सचेंज के बीच का अंतर समाप्त हो जाएगा और भारतीय स्टॉक एक्सचेंज आगे निकल जाएगा, क्योंकि भारतीय स्टॉक एक्सचेंज के पास वृद्धि करने की अधिक क्षमता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में समिष्ट आर्थिक नीतियां ‛मैक्रो इकोनॉमिक पॉलिसी’ ब्रिटेन की अपेक्षा काफी अच्छी है। साथ ही भारत में एक बहु विकसित और बहुआयामी तकनीकी क्षेत्र का विकास हो रहा है जिससे स्टार्टअप को सहयोग मिल रहा है। लंदन में कैपिटल एसेसमेंट मैनेजमेंट के इक्विटी प्रमुख रोजर जोंस ने कहा कि “भारत को अब अपरिपक्व अर्थव्यवस्था के स्थान पर एक आकर्षक घरेलू बाजार के रूप में देखा जाता है जिसके पास दीर्घकालिक विकास के लिए पर्याप्त क्षमता मौजूद है और एक स्थाई तथा सुधारक राजनीतिक नेतृत्व की उपस्थिति, भारत को उसकी वास्तविक क्षमता का प्रयोग करने में सहयोग कर रही है। वहीं दूसरी ओर, ब्रेक्सिट जनमत संग्रह के परिणाम के बाद से यूके पक्ष से बाहर हो गया है।“

ब्रिटेन पर पड़ा है ब्रेक्जिट का सीधा प्रभाव

अगर हम ब्रिटेन की बात करें तो यूरोपीय यूनियन से अलगाव के बाद ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को लेकर जो शंका के बादल गिरे हैं, उसका सीधा प्रभाव ब्रिटिश स्टॉक एक्सचेंज पर देखने को मिल रहा है। भारत के स्टॉक एक्सचेंज के शानदार प्रदर्शन के पीछे के कारणों की पड़ताल करते हुए रिपोर्ट बताती है कि भारत में कम ब्याज दर और रिटेल इन्वेस्टमेंट में व्यापक उछाल दो महत्वपूर्ण कारण है, जिससे स्टॉक मार्केट अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।

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वामपंथी अर्थशास्त्रियों की भविष्यवाणी हुई गलत

पिछले वर्ष जब लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई थी और अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई थी, तब वामपंथी अर्थशास्त्रियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर तमाम तरह की नकारात्मक टिप्पणियां की, जिस पर विरोधाभास देखने को मिला था। क्योंकि उस समय भी भारतीय स्टॉक एक्सचेंज का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा था। ऐसे में वामपंथी अर्थशास्त्रियों को समझना चाहिए कि विश्व के अधिकांश निवेशक सरकार की आर्थिक नीतियों को देखते हैं ना कि वामपंथी आर्थिक जनरल पढ़ते हुए अपना समय काटते हैं! सरकार के पूर्ववर्ती नीतियों से ही स्पष्ट हो गया था कि भारत में उद्योग प्रिय वातावरण बनाने के लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध है। आत्मनिर्भर भारत योजना, PLI योजना, रेस्ट्रो स्पेक्टर टैक्स की समाप्ति आदि ऐसे कदम है जिसने अर्थव्यवस्था को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाया है।

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