क्या डीके शिवकुमार को रास्ते से हटाने के लिए ‘माइक कांड’ के पीछे सिद्धारमैया का हाथ है?

एक ही पार्टी के नेता एक दूसरे की पोल खोलने मे लगे हैं!

एमए सलीम

कर्नाटक की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। हाल ही में कर्नाटक कांग्रेस में भ्रष्टाचार को लेकर एक स्टिंग ऑपरेशन संबंधित वीडियो वायरल हुई है। इस वीडियो को जिस मीडिया संयोजक एमए सलीम ने उजागर किया है उसे पार्टी से निकाल दिया गया है, जबकि वी एस उग्रप्पा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जिस प्रकार से ये सारा प्रकरण घटित हुआ है, उससे अब प्रश्न ये उठने लगा है कि कहीं ये सब पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का तो किया कराया नहीं है, ताकि पार्टी के एक अन्य कद्दावर नेता और गांधी वाड्रा परिवार के करीबी माने जाने वाले डीके शिवकुमार को रास्ते से हटाया जा सके?

अब उस वीडियो में ऐसा भी क्या था, जिसके कारण इतना हंगामा हुआ, और ऐसे कयास क्यों लगाए जा रहे हैं कि डीके शिवकुमार को रास्ते से हटाने के लिए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को इतना प्रपंच करना पड़ रहा है?

वीडियो का मूल विषय

असल में कांग्रेस पार्टी के भ्रष्टाचार की पोल खोलता हुआ एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इससे पार्टी के अंदर हड़कंप मच गया है, क्योंकि ये प्रमुख तौर पर कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिव कुमार को निशाने पर ले रहा है। इस वीडियो में कांग्रेस के ही दो नेता आपस में बात कर रहे हैं, जिसमें मीडिया कोऑर्डिनेटर एमए सलीम को यह कहते सुना जा सकता है कि डीके शिवकुमार 10-12 प्रतिशत घूस लेते हैं।

इसी वीडियो में एमए सलीम कहते हैं कि ‘पहले शिवकुमार केवल 6-8 प्रतिशत ही लेते थे, लेकिन अब उन्होंने 10-20 फीसदी लेना शुरू कर दिया है। उन्होंने इसे महाघोटाला करार देते हुए कहा कि जितना खोदोगे उतना ही निकलेगा। डीके शिवकुमार के सहयोगी मुलगुंड ने ही 50-100 करोड़ रुपए कमा लिए हैं।’ इसके बाद सलीम  ने सिद्धारमैया की मजबूत बॉडी लैंग्वेज के लिए उनकी तारीफ की। जिस तरह से सार्वजनिक मंच से ये दोनों ने डीके शिवकुमार के बारे में बाते कर रहे हैं और सिद्धारमैया की तारिफ कर रहे हैं उससे दाल में कुछ काला अवश्य दिखाई दे रहा है। कांग्रेस नेता एमए सलीम और वीएस उग्रप्पा दोनों को ही सिद्धारमैया का करीबी माना जाता है। भाजपा प्रवक्ता चलवाडी एन स्वामी ने तो आरोप तक लगाया कि वीडियो नाटक के पीछे सिद्धारमैया का हाथ है, क्योंकि वह उग्रप्पा के जरिये उनकी पोल-पट्टी खोल रहे थे। इससे डीके शिवकुमार अवश्य सिद्धारमैया के रास्ते से असानी से हट जायेंगे।

इस वीडियो के वायरल होने के पश्चात कर्नाटक कांग्रेस कमेटी ने जहां वीएस उग्रप्पा को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है तो वहीं, आश्चर्यजनक रूप से एमए सलीम को डीके शिवकुमार की पोल खोलने के लिए 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।  काफी समय से दोनों के बीच सीएम चेहरे को लेकर तनातनी चल रही है।

जिस प्रकार से पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच की तनातनी कांग्रेस के पतन का कारण बनी है, वैसे ही सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की बीच की खींचातानी कर्नाटक कांग्रेस को ले डूबेगी। इस पर प्रकाश डालते हुए TFI ने अपने एक विश्लेषणात्मक पोस्ट में भी बताया था, “कांग्रेस की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही। पंजाब में अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तकरार के बाद अब कर्नाटका कांग्रेस में भी दो गुट आमने सामने हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटका कांग्रेस में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के गुटों के बीच दरार आ गई है। कारण है वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनना। यानी चुनाव अभी दो वर्ष दूर हैं परंतु अभी से कांग्रेस के इन दो दिग्गज नेताओं के बीच शीत युद्ध शुरू हो चुका है।

दरअसल, जब से कर्नाटका कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में डीके शिवकुमार का चुनाव हुआ है उसके बाद से ही पार्टी के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा, इस पर एक लड़ाई छिड़ी हुई है। दोनों दिग्गज यानी डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के विधायक समर्थक और कैडर आपस में ही विभाजित हो गए हैं”।

ऐसे में जो वर्तमान घटना सामने आई है, उससे एक बात तो स्पष्ट होती है, सिद्धारमैया अपने तरीके से डीके शिवकुमार को हटाने पर तुले हुए हैं। संभव है कि वर्तमान स्टिंग ऑपरेशन के पश्चात जो कार्रवाई हुई है, वो भी इसी का हिस्सा है, क्योंकि यहाँ निशाना भी डीके शिवकुमार ही हैं। एक ही तीर से दो निशाने साधकर सिद्धारमैया अपने लिए 2023 का मैदान एकदम साफ और सपाट चाहते हैं।

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