जैसी करनी वैसी भरनी, हम सभी ये कहावत आम बोलचाल की भाषा में प्रयोग करते हैं, लेकिन अगर ये कहावत कहीं सर्वाधिक सार्थक होती हुई दिखती है, तो वो निश्चित ही पड़ोसी देश पाकिस्तान है; जो कि आतंक को पालने के बाद अब उसके दुष्प्रभावों से बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है। स्वयं को इस्लामिक देशों का पुरोधा मानने वाला पाकिस्तान ही असल में तालिबान का जनक माना जाता है, और इसके चलते ही आईएसआईएस मानता है कि तालिबान और पाकिस्तान ने मिलकर अफगानिस्तान को बर्बाद किया है। ऐसे में अब आईएसआईएस ने पाकिस्तान को अपना पहला टारगेट मानते हुए उसे बर्बाद करने की प्लानिंग कर ली है।
ISIS के निशाने पर पाकिस्तान
अफगानिस्तान आज जिस तालिबानी शासन की जद में है, उसकी मुख्य वजह पाकिस्तान ही है, जिसने तालिबान को पनपने में सर्वाधिक सहयोग दिया है। ऐसे में अब तालिबान एक तरफ अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों के लिए मुसीबतें खड़ी कर रहा है, तो दूसरी ओर आईएसआईएस ने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। खबरों के मुताबिक, आईएसआईएस खुरासान संगठन ने चेतावनी दी है कि पूरे विश्व में जो इस्लाम या कुरान के खिलाफ जाएगा, उसे आईएसआईएस का सामना करना पड़ेगा, इसके विपरीत दिलचस्प बात ये है कि आतंकी संगठन का कहना है कि उसका पहला टारगेट पाकिस्तान है।
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पाकिस्तान को बर्बाद करने का उद्देश्य
तालिबान को पनाह देने वाले पाकिस्तान के लिए आईएसआईएस के आतंकियों के मन में विशेष घृणा है। इन आतंकियों की सोच है कि वो किसी भी कीमत पर पाकिस्तान को बर्बाद कर देंगे। इसके पीछे कारण दिया गया है कि जब अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन था, तब पाकिस्तान कहता था कि देश के 80 प्रतिशत हिस्से पर उसका राज है। इसके बावजूद पाकिस्तान अफगानिस्तान के अंदर इस्लाम को लागू नहीं कर पाया, इसलिए अब उसे अंजाम भुगतने होंगे।
कम संसाधन फिर करेगें मुकाबला
इस आक्रामकता को लेकर आईएसआईएक-के में शामिल हुए नजीफुल्लआ नामक आतंकी ने कहा, “हम पूरे विश्व में शरिया कानून लागू करना चाहते हैं। हम चाहते हैं लोग उसी तरह से रहें जैसे हमारे पैगंबर रहते थे। वे जैसे कपड़े पहनते थे, जैसे हिजाब पहनते थे। सब कुछ वैसा ही हो। हम जानते हैं कि अभी हमारे पास लड़ने के लिए बहुत कुछ नहीं है, लेकिन हमें कुछ भी मिलता है तो हम पाकिस्तान जाकर लड़ना चाहते हैं।” संभवत यही कारण है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान पर आईएसआईएक-के के हमले बढ़ गए हैं। इस आतंकी ने कहा, “हमारा पहला लक्ष्य पाकिस्तान को नष्ट करना है क्योंकि अफगानिस्तान में हर चीज का मुख्य कारण पाकिस्तान है। जब तालिबान यहां थे वे यही कह रहे थे कि हम देश के 80 प्रतिशत हिस्से को नियंत्रित करते हैं, लेकिन वे इस्लामिक शासनों को लागू नहीं कर रहे थे।”
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चीन की बढ़ेंगी मुसीबत
एक तरफ पाकिस्तान में तालिबान पाकिस्तान से इसलिए नाराज हो कि वहां अभी तक शरीया लागू नहीं हुआ, दूसरी ओर अब पाकिस्तान में बलोचिस्तान की बलोच लिबरेशन आर्मी भी पकिस्तान के लिए मुसीबत का पर्याय बन गई है। यही कारण है कि चीन का सीपैक का निवेश ग्वादर के बजाए कराची शिफ्ट हो गया है। ऐसे में अब यदि आईएसआईएस भी पाकिस्तान पर आतंक का तांडव करता है, तो ये पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी मुसीबत लेकर आएगा। इसका परिणाम ये भी हो सकता है कि पाकिस्तान से चीन अपना निवेश खींच ले, और पाकिस्तान बर्बादी का मुंह देखने पर मजबूर हो जाए।