सच हुई TFI की भविष्यवाणी: Adani Port ने ड्रग्स तस्करी मामले में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान के खिलाफ लिया एक्शन

सत्यता और राष्ट्रहित TFI की पत्रकारिता का आधार है। जिस समय मुन्द्रा पोर्ट पर 21000 करोड़ की हेरोइन पकड़ी गयी सभी वामपंथी और राष्ट्रविरोधी पत्रकारों ने पूर्वाग्रह से ग्रसित हो मोदी और अडानी को बिना किसी तथ्यों के दोषी ठहराने लगे। उस समय TFI ने अपने पाठकों को बताया था कि ये जब्ती सिर्फ ड्रग्स और नशे पर मोदी सरकार का करारा प्रहार नहीं, बल्कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान के ड्रग्स आधारित अर्थव्यवस्था पर सर्जिकल स्ट्राइक है, वरना प्रधानमंत्री पद पर बैठे और गुजरात के मुख्यमंत्री रहे मोदी को कितना समय लगता इस बात को छुपने में?

खैर, कच्छ के मुंद्रा बंदरगाह पर दो कंटेनरों से 3,000 किलोग्राम हेरोइन जब्ती अब तक की सबसे बड़ी सबसे बड़ी हेरोइन ज़ब्ती है। मुन्द्रा बंदरगाह अडानी पोर्ट्स और विशेष आर्थिक क्षेत्र (एपीएसईजेड) द्वारा संचालित है इसीलिए इसे उदारवादियों और मीडिया द्वारा अडानी को एक अनावश्यक विवाद में घसीटा गया। नशीली दवाओं के भंडाफोड़ और हेरोइन कारोबार को गौतम अडानी के ड्रग साम्राज्य के एक प्रमुख अंग के रूप में पेश करने की कोशिश की गयी थी। इतना ही नहीं TRP के भूखी और राष्ट्र के उत्थान से द्रवित वामपंथी मीडिया ने अडानी के इस काल्पनिक हेरोइन तस्करी व्यापार को देश के प्रधानमंत्री तक से जोड़ दिया। मोदी सरकार पर अपारदर्शिता का आरोप लगाने वाली “विरोधी मीडिया” ने तनिक भर नहीं सोचा कि अगर पीएम मोदी और अडानी सच में इसमे लिप्त होते तो इसकी जांच इतनी पारदर्शी तरीके से कैसे होती? सरकार को हमने सराहना के बदले आरोपित बना दिया। खैर,उदार और वामपंथी चेहरों पर एक करारा तमाचा मारते हुए अडानी समूह ने एक बड़ा कदम उठाया है जो सभी कपोल काल्पनिक कहानीकार पत्रकारों की बोलती बंद कर देगा।

सोमवार को, अडानी पोर्ट्स ने कहा  कि 15 नवंबर से उसके द्वारा संचालित टर्मिनल ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से कार्गो को संभाल नहीं पाएगा। एपीएसईजेड (पोर्ट्स) के सीईओ सुब्रत त्रिपाठी द्वारा हस्ताक्षरित सलाह में कहा गया है कि यह व्यापारिक सलाह ऐपसेज़ द्वारा संचालित सभी टर्मिनलों और तीसरे पक्ष के टर्मिनलों सहित किसी भी ऐपसेज़ बंदरगाह पर अगली सूचना तक लागू होगी।

पाकिस्तानतालिबानईरान ड्रग नेक्सस की कार्रवाई

अफगानिस्तान में तालिबान के पुनरुत्थान ने नशीली दवाओं के व्यापार को एक नए खतरे के रूप सृजित किया है। आर्थिक संस्थानों और अमेरीकी प्रतिबंध ने अफगान, ईरान और पाकिस्तान को पूर्णतः तस्करी पर आश्रित कर दिया है। ये तीनों देश आपस में सीमा भी साझा करते है। अतः ड्रग्स के व्यापार और तस्करी के संदर्भ में ये एक सिंडीकेट के रूप में उभरे है। मुंद्रा बंदरगाह पर जब्त की गई हेरोइन अफगानिस्तान में उत्पन्न हुई और ईरान के अब्बास बंदरगाह से गुजरात के कच्छ के मुंद्रा पोर्ट पर भेज दी गई (उदाहरण)। अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा अवैध अफीम आपूर्तिकर्ता है और नशीली दवाओं का व्यापार तालिबान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।

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पाकिस्तान भी पंजाब,राजस्थान और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में सीमा पार ड्रग्स की आपूर्ति में गहराई से शामिल है। यह पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की ‘हजारों घाव के माध्यम से भारत का खून बहाने’ की रणनीति का एक हिस्सा है। इसलिए, अडानी पोर्ट्स और विशेष आर्थिक क्षेत्र के लिए अब केवल तीन इस्लामी देशों से आने वाले सभी कार्गो को रोकना या इन तीन कुख्यात देशों से जुड़े किसी भी प्रकार के कंटेनरों को रोकना समझ में आता है।

 मुंद्रा ड्रग भंडाफोड़ क्या था?

13 सितंबर को गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर अडानी समूह द्वारा संचालित दो कंटेनरों से करीब 3,000 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई थी। हेरोइन को जंबो बैग में यह कहकर छुपाया गया था कि इसमें असंसाधित सौंदर्य पाउडर है। दवा को बैग की निचली परतों में रखा गया था और फिर पता लगाने से बचने के लिए सौंदर्य पाउडर को शीर्ष पर रखा गया था। सीमा शुल्क विभाग और राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा संयुक्त अभियान के दौरान की इसकी जब्ती की गयी। इसका मूल्य लगभग 20,000 करोड़ रुपये था।

हालांकि, अडानी समूह को जल्द ही सामान्य कॉर्पोरेट विरोधी लॉबी की आलोचना का शिकार होना पड़ा। आरोप लगाया गया कि ड्रग के भंडाफोड़ मोदी सरकार और उसके पसंदीदा कॉर्पोरेट समूहों के बीच मिलीभगत है। ड्रग्स की बरामदगी को लेकर सोशल मीडिया पर इस तरह की हास्यास्पद आलोचना के बाद, अडानी समूह ने कहा था कि उसके पास पुलिस और कंटेनरों की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है।

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इसके तुरंत बाद जारी एक बयान में अडानी समूह ने कहा– “देश भर में कोई भी बंदरगाह ऑपरेटर कंटेनर की जांच नहीं कर सकता है। उनकी भूमिका पोर्ट को चलाने तक सीमित है… APSEZ एक पोर्ट ऑपरेटर है जो शिपिंग लाइनों को सेवाएं प्रदान करता है। मुंद्रा या हमारे किसी भी बंदरगाह में टर्मिनलों से गुजरने वाले कंटेनरों या लाखों टन कार्गो पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। हमें पूरी उम्मीद है कि यह बयान अडानी समूह के खिलाफ सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे प्रेरित, दुर्भावनापूर्ण और झूठे प्रचार पर विराम लगा देगा।”

मुंद्रा बंदरगाह भारत का सबसे बड़ा वाणिज्यिक बंदरगाह है और कंटेनरीकृत कार्गो के सबसे बड़े संचालकों में से एक है। अडानी समूह की कंपनी के भारत में करीब 13 बंदरगाह और टर्मिनल हैं। यह गुजरात में मुंद्रा,विझिंजम पोर्ट, केरल (Vizhinjam Port, Kerala),तमिलनाडु में कट्टुपल्ली और एन्नोर टर्मिनल, तमिलनाडु (Ennore Terminal, Tamil Nadu) , महाराष्ट्र में दिघी, आंध्र में कृष्णापट्टनमऔर हजीरा में कंटेनर कार्गो को संभालता है । इसलिए, कुछ भारत विरोधी ताकतों के लिए अडानी समूह पर कीचड़ उछालने की कोशिश करना स्वाभाविक है ताकि सामान्य तौर पर भारत का व्यापार संचालन किसी तरह प्रभावित हो। हालांकि, अडानी समूह ने पाकिस्तानी, ईरानी और अफगानी कार्गो की खेप पर रोक लगाकर भारत के हितों को हर कीमत पर सुरक्षित करने की अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति व्यक्त की है।

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