कोयले की आपूर्ति में कमी के कारण चीन बिजली संकट का सामना कर रहा है। निर्माताओं, उद्योगों और घरेलू उपयोगकर्ताओं से ऊर्जा की मांग में वृद्धि ने कोयले की कीमतों को रिकॉर्ड ऊंचाई पर धकेल दिया है, जिससे मामला और भी खराब हो गया है। कोयले की इस असामान्य मांग ने सरकार को उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रेरित किया है। ऊपर से चीन के आधे से अधिक प्रांत पिछले कुछ हफ्तों से भारी बिजली कटौती कर रहे हैं, जिससे लाखों लोगों का दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है। लिफ्टों को बंद कर दिया गया है, दुकानों के खुलने का समय छोटा हो गया है और कारखानों को परिचालन समय और बिजली की खपत को कम करना पड़ा है। कुछ प्रांतों ने तो एक साथ ब्लैकआउट का अनुभव किया है। इस बीच, सितंबर में पहली बार औद्योगिक उत्पादन में गिरावट देखी गई जब से चीन ने COVID-19 लॉकडाउन से उबरना शुरू किया।
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चीन एक दशक के सबसे खराब बिजली संकट का सामना कर रहा है। इसका तत्कालिक कारण यह है कि चीन अभी भी कोयले पर अत्यधिक निर्भर है, जो देश की बिजली उत्पादन का 70 प्रतिशत प्रदान करता है। पहले तो चीनी अधिकारियों ने कहा कि वे समस्या को हल करने के लिए काम करेंगे, लेकिन यह नहीं बताया कि क्या कदम उठाए जाएंगे। प्राकृतिक गैस की वैश्विक कमी और ऑस्ट्रेलिया के साथ बीजिंग के चल रहे व्यापार विवाद ने चीन में ऊर्जा संकट को और बढ़ा दिया है।
राज्य के मीडिया ने शुक्रवार को बताया कि चीनी अधिकारियों ने देश भर में ऊर्जा संकट के बीच दर्जनों कोयला खदानों को उत्पादन बढ़ाने का आदेश दिया है। Securities Times की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने इनर मंगोलिया के प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्रों में दर्जनों खदानों को एक आधिकारिक नोटिस जारी कर अपनी क्षमता 98 मिलियन टन से अधिक बढ़ाने का निर्देश दिया था। ऊर्जा की भूखी चीनी अर्थव्यवस्था का लगभग 60 प्रतिशत आर्थिक व्यवस्था कोयले से संचालित होता है।
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चीन की अधिकांश घरेलू आपूर्ति शांक्सी, शानक्सी प्रांतों और इनर मंगोलिया से होती है। इनर मंगोलिया में कोयला उद्योग में तथाकथित भ्रष्टाचार विरोधी अभियान ने आपूर्ति बाधित कर दी है। ऊपर से भारी बारिश के कारण शांक्सी को 27 कोयला खदानों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे देश के कुछ हिस्सों में बिजली की कमी के बीच कोयले की आपूर्ति पर चिंता और बढ़ गई है। शांक्सी ने 99 अन्य खदानों और सात रासायनिक कारखानों को भी बंद कर दिया है। वैश्विक कोयले की आपूर्ति में गिरावट आई है क्योंकि प्रमुख उत्पादक कोलंबिया और इंडोनेशिया भी भारी बारिश से जूझ रहे हैं, जबकि कुछ अन्य खदानें महामारी के कारण बंद हो गई हैं। इन परिस्थितियों ने मामले को और भी बदतर बना दिया है। हाल के वर्षों में नई खनन परियोजनाओं में निवेश लगभग रुक गया है। बैंकों ने कोयला कंपनियों को ऋण देने में कटौती की है क्योंकि दुनिया जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों को टालना चाहती है।
चीन का क्षेत्रफल अत्यंत विशाल और प्रकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। इसके बावजूद कोयले की आपूर्ति में कमी साम्यवादी सरकार की कोयला आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ बर्बर नीति, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों और कूटनीति में गिरावट को दर्शाती है। चीनी सरकार सिर्फ दोहन और शोषण का अर्थ समझती है चाहे वो इंसान का हो या फिर प्रकृति का परंतु, यह संकट चीन के लिए सीख है कि परस्पर सहयोग और प्रकृति संरक्षण ही चीनी उद्योग के अस्तित्व को आधार देगी।
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