‘Take the Knee’ से मना करने पर डी कॉक को दक्षिण अफ्रीकी बोर्ड ने टी20 विश्व कप से बाहर कर दिया

डी कॉक ने नहीं की घुटने टेकने वाली नौटंकी!

Take The Knee डी कॉक

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ये तो सत्य है कि जिस काम के लिए आपको देश की राष्ट्रीय टीम में चुना गया है, वो काम आप नहीं करोगे तो क्रिकेट बोर्ड बाहर का रास्ता दिखा देगा, चाहे आपका फॉर्म अच्छा हो या खराब। वहीं, बोर्ड के कहे अनुसार अगर आप पीआर वाली नौटंकी करते रहें, तो कहीं कोई दिक्कत ही नहीं है। हाल ही में टी20 वर्ल्ड कप में कुछ ऐसी ही घटना देखने को मिली है। निश्चिंत रहिए, हम विराट कोहली द्वारा केएल राहुल, हार्दिक पांड्या और वरुण चक्रवर्ती के सेलेक्शन की बात नहीं कर रहे, वो तो विवादित है ही, लेकिन आज हमारा विषय दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर और विकेटकीपर क्विंटन डी कॉक हैं, जो एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं। उन्हें दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड ने टी-20 विश्व कप से बाहर कर दिया, क्योंकि उन्होंने Take The Knee और Black lives Matter वाली नौटंकी नहीं की।

दक्षिण अफ्रीका भले ही रंगभेद और नस्लवाद के लिए कुख्यात रहा हो, लेकिन असलियत ये है कि अफ्रीका को इसकी काफी सजा भी मिल चुकी है। 21 साल तक दक्षिण अफ्रीका, वर्ल्ड क्रिकेट से कटा रहा था, कोई भी देश उसके साथ खेलना नहीं चाहता था। दक्षिण अफ्रीका को दोबारा क्रिकेट में वापस लाने में भारत की अहम भूमिका थी, क्योंकि 21 साल बाद दक्षिण अफ्रीका की टीम ने पहला अंतरराष्ट्रीय मैच भारत की सरजमीं पर ही खेला था। स्पष्ट है कि नस्लवाद के कारण हुए नुकसान का दंश दक्षिण अफ्रीका की टीम झेल चुकी है। अब इस राष्ट्र से छोटी-मोटी घटनाओं के अलावा नस्लवाद का कोई मुद्दा सामने नहीं आता है, इसके विपरीत किसी दूसरे देश से जुड़े मुद्दे पर भी जब पीआर की नौटंकी करनी पड़े तो खिलाड़ी भड़क सकता है और क्विंटन डी कॉक के साथ कुछ वैसा ही हुआ।

क्विंटन डी कॉक ने नकारा Take The Knee

Take the Knee…टी-20 वर्ल्ड कप में प्रत्येक टीम ये पीआर की नौटंकी कर रही है। अमेरिका में पिछले वर्ष चले नस्लवाद के आंदोलन के समर्थन में अब, जब अमेरिका में भी कोई नौटंकी नहीं हो रही, तो वो मुद्दा विश्व कप में अहम क्यों बना हुआ है, ये एक बड़ा सवाल है? भारतीय टीम ने भी पाकिस्तान के साथ मैच से पहले कुछ ऐसा ही किया, जबकि पाकिस्तान ने नकार दिया और भारत के हारने पर टीम की खूब फजीहत हुई। वहीं, वेस्टइंडीज बनाम दक्षिण अफ्रीका के मैच में भी ये Taking The Knee का ढोंग हुआ, लेकिन क्विंटन डी कॉक ने इस नौटंकी से मना कर दिया, नतीजा ये कि उन्हें मैच से बाहर कर विश्व कप से ही हटा दिया गया है।

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विरोधी रहे हैं डी कॉक

ऐसा नहीं है कि क्विंटन डी कॉक ने पहली बार Take The Knee ढोंग को नकारा है, अपितु आस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले मैच में भी उन्होंने इस नौटंकी से स्वयं को दूर रखा था। खबरें ये हैं कि डी कॉक ने स्वयं ही विश्व कप से अलग होने का फैसला लिया है, लेकिन ये निश्चित तौर पर एक लीपा-पोती है। दरअसल, उनके इनकार के बाद उन्हें टीम से हटाया गया और उनकी जगह रीजा हैंड्रिक्स को टीम में शामिल किया गया है। बोर्ड का कहना है कि उन्होंने निजी कारणों से विश्व कप से स्वयं को अलग किया है, लेकिन ये हास्यास्पद है।

इस नौटंकी को लेकर बोर्ड की ओर से कहा गया कि सभी संबंधित मसलों पर गौर करने के बाद बोर्ड का यह मानना है कि दक्षिण अफ्रीका के इतिहास को देखते हुए नस्लवाद के खिलाफ एकजुट और लगातार विरोध प्रदर्शन जरूरी है।

वहीं, ट्वीट करके डी कॉक के न खेलने की जानकारी देना, बोर्ड के बयान को स्पष्ट करता है कि डी कॉक को केवल और केवल Taking the Knee और Black lives Matter की नौटंकी के विरोध के कारण बाहर किया गया है। इस मसले को लेकर अब दक्षिण अफ्रीकी बोर्ड की जमकर आलोचना हो रही है। इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी माइकल वॉगन ने कहा, निश्चित रूप से यह तय करना व्यक्ति पर निर्भर है कि वह किसी आंदोलन में शामिल होना चाहता है या नहींक्रिकेट बोर्ड को खिलाड़ियों से ऐसा करने का अनुरोध करना चाहिए, लेकिन अगर वह व्यक्ति फैसला करता है कि वह इसमें शामिल होना नहीं चाहता, तो भी उसे क्रिकेट खेलना बंद नहीं करना चाहिए। पूर्व इंग्लिश खिलाड़ी का यह ट्वीट सीधे तौर पर दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड और डी कॉक को इंगित करता है।

बोर्ड का फरमान

दक्षिण अफ्रीकी बोर्ड इस मुद्दे को लेकर ज्यादा ही जज़्बाती हो चला है‌। बोर्ड द्वारा आदेश जारी किया गया था कि सोमवार की सुबह, सभी खिलाड़ियों को नस्लवाद पर एकजुट और लगातार स्टैंड लेने के लिए घुटने पर बैठना है। ये नस्लवाद के खिलाफ ग्लोबल एक्शन है। ये सभी स्पोर्ट्स पर्सन द्वारा अपनाया गया है, क्योंकि वो स्पोर्ट्स द्वारा लोगों को एकजुट करने की ताक़त को जानते है। वहीं, बोर्ड द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करने के बाद, खिलाड़ियों की फ्रीडम ऑफ चाइस पर भी, बोर्ड ने यह स्पष्ट कर दिया था कि दक्षिण अफ्रीका का इतिहास देखते हुए टीम के लिए नस्लवाद के खिलाफ स्टैंड लेना जरूरी है।

दूसरी ओर डी कॉक को लेकर कहा गया कि क्विंटन डी कॉक पर कोई फैसला लेने से पहले बोर्ड, टीम प्रबंधन की रिपोर्ट का इंतजार करेगा। विश्व कप के बचे हुए मैचों के लिए सभी खिलाड़ियों से इस निर्देश का पालन करने की उम्मीद की जाती है। ऐसा हो सकता है कि डी कॉक ने अपनी ओर विश्व कप छोड़ा, लेकिन ये भी निश्चित है कि Take The Knee की नौटंकी न करने के कारण उन्हें बोर्ड ने टूर्नामेंट से हटने के लिए दबाव में डाला हो।

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खेल से मतलब या नौटकी से

क्रिकेटर का काम खेल भावना से अपने देश के लिए क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन करना है, उसे इस बात से मतलब नहीं होना चाहिए कि दुनियाभर में राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर क्या नौटंकी हो रही है। इसकी वजह ये भी है कि अधिकतर आंदोलन अराजकता की बुनियाद पर खड़े होते हैं। इसके विपरीत डी कॉक ने अपने कर्तव्य और निर्णय लेने की स्वतंत्रता का फायदा उठाया, तो उन्हें ही निशाने पर ले लिया गया। भले ही वो एक दिग्गज खिलाड़ी हों या उनके न खेलने पर टीम को क्षति हो, लेकिन दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड ने PR की नौटंकी के लिए एक ऐसा फैसला किया जो कि टीम के लिए ही आलोचनात्मक है।

क्विंटन डी कॉक का कदम सराहनीय है कि उन्होंने इस नौटंकी को लात मारकर निकलना ही उचित समझा। हम भारतीय टीम के सभी खिलाड़ियों से भी ऐसी ही उम्मीद करते हैं, लेकिन अफसोस टीम का सेनापति ही वामपंथी नौटंकियों में व्यस्त रहता है!

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