मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के संबंध में एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है

निजीकरण के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों के मुद्रीकरण पर भी है सरकार का ध्यान!

मुद्रीकरण

किसी भी राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने ऊपर बोझ बन चुके संसाधनों को अलग करे और जनता के कर का इस्तेमाल जनता के हितों को साधने के लिए करे। भारत सरकार ने अब राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना के तहत बोझ बन चुकी चीजों को किराये पर देकर, या बेचकर 6 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। देश को शासन संचालित पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में बदलने की दिशा में एक और कदम उठाते हुए वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (CPSEs) के पास पड़ी भूमि के मुद्रीकरण की योजना बना चुकी है। मंत्रालय ने इस उद्देश्य को पूरा करने हेतु एक कंपनी स्थापित करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी मांगी है।

CPSEs के पास बड़ी संख्या में जमीन बेकार पड़ी है

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि वित्त मंत्रालय जल्द ही निजीकरण से बंधे CPSE की भूमि और गैर-मूल संपत्ति (Non-core assets) के हस्तांतरण, और बाद में मुद्रीकरण के लिए एक कंपनी स्थापित करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेने के लिए रुख करेगा। वहीं, निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव तुहिन कांता पांडे ने कहा कि इन संपत्तियों को अपने नियंत्रण में रखने के लिए कंपनी के रूप में एक विशेष प्रयोजन वाहन यानी special purpose vehicle (SPV) स्थापित किया जाएगा, जिससे मुद्रीकरण किया जाएगा।

कई CPSEs के पास बड़ी संख्या में जमीन बेकार पड़ी है और मोदी सरकार इस जमीन को निजी कंपनियों को पट्टे पर देने की योजना बना रही है ताकि उनसे राजस्व अर्जित किया जा सके।

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पांडे ने पीटीआई से कहा, “जो कई सालों तक अधिशेष भूमि और गैर-मूल संपत्ति मुद्रीकरण को संभालेगी। इसके साथ ही यह कंपनी इस तरह के कार्यों में निपुण होगी। जैसे ही हमें कैबिनेट की मंजूरी मिलती है, हम जल्द ही इस कंपनी के स्थापित होने की उम्मीद कर सकते हैं।”

बता दें कि वित्तीय वर्ष 2017 के अंत तक 12,50,373 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 331 CPSEs थे। इनमें से अधिकतर कंपनियां विनिर्माण और उत्पादन (96), सेवाओं (119), और निर्माण (76) क्षेत्रों में हैं। ऊर्जा क्षेत्र की CPSEs ने 2016-17 के दौरान 1,52,647 करोड़ रुपये के मुनाफे का दो-तिहाई हिस्सा कमाया था। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में भारत संचार निगम लिमिटेड, एयर इंडिया लिमिटेड और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड जैसी कंपनियां सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली कंपनियों में से शामिल हैं। वहीं, 82 CPSEs को 25,045 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और घाटे में चल रहे CPSEs की संख्या 2007-08 में 54 से बढ़कर 2016-17 में 82 हो गई थी।

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निजीकरण के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों के मुद्रीकरण पर भी है ध्यान

निजीकरण अभियान के अलावा, सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति के मुद्रीकरण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है और प्रमुख अचल संपत्ति क्षेत्रों में CPSEs और सरकारी विभागों द्वारा आयोजित अत्यधिक मूल्यवान भूमि का मुद्रीकरण करने के लिए कैबिनेट की अनुमति मांगी जा रही है। यह मुद्रीकरण एक कंपनी द्वारा किया जाएगा जिसे एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के रूप में स्थापित किया जाएगा।

केंद्र सरकार भारत में सबसे बड़ी भूमिधारक है जिसके पास रक्षा, रेलवे जैसे विभिन्न मंत्रालय के लाखों एकड़ की भूमि है। बीएसएनएल, पावर ग्रिड, Oil Marketing Companies जैसे कई सार्वजनिक उपक्रमों के पास भी देश भर में बड़े पैमाने पर जमीन है।

यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि के कई आर्थिक लाभ हैं जिससे भविष्य में राजस्व कमाया जा सकता है, लेकिन बहुत सी ऐसी भूमि हैं जिसको बेचने या किराये पर देने में ही भलाई है। पांडे ने इससे जुड़े विषय पर कहा, रणनीतिक विनिवेश के लिए कुछ CPSEs हैं और हमें लगता है कि जमीन का कुछ हिस्सा वास्तव में कंपनी के पास जाने लायक नहीं है तथा उन संपत्तियों का मुद्रीकरण किया जा सकता है।” कैबिनेट की मंजूरी के बाद, सार्वजनिक उद्यम विभाग (DPE), जो अब वित्त मंत्रालय के अधीन है, उसको संपत्ति मुद्रीकरण करने का काम सौंपा जाएगा।

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सरकार इस वित्त वर्ष में बीपीसीएल, Shipping Corporation of India, IDBI बैंक, बीईएमएल (BEML), पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड ( (NINL) की रणनीतिक बिक्री करने का लक्ष्य बना रही है। आपको बताते चलें कि 2021-22 के बजट में, सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण नीति की घोषणा की थी। अब अगर भूमि मुद्रीकरण अभियान सफल होता है तो यह अभियान बुनियादी ढांचा निर्माण के लिए पूंजी जुटाने में बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा।

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