भविष्य की महामारियों के खिलाफ मोदी सरकार की नयी पहल

अब भविष्य की महामारियों से निपटने के लिए भारत की 27 अलग-अलग संस्थाएं आएंगी साथ!

साभार: BW

कोरोना वायरस ने दुनिया को इतने व्यापक रूप से प्रभावित किया है कि इसके कारण मानव सभ्यता के हर क्षेत्र में दूरगामी परिवर्तन हो रहे हैं। हम अपने देश की बात करें तो इस महामारी ने भारत की वैश्विक राजनीति के प्रति दृष्टिकोण, आर्थिक नीतियां, शैक्षणिक माहौल, आर्थिक लेन-देन से लेकर लगभग सब कुछ बदल दिया है। भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र इस महामारी के कारण व्यापक रूप से परिवर्तित हो चुका है और लगातार हो रहा है। अब एक नए बदलाव में कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए सरकार ने ‛One Health Consortium’ शुरू किया है।

रिपोर्ट के अनुसार डिपार्टमेंट ऑफ बायो टेक्नोलॉजी ने भविष्य में आने वाली महामारियों से निपटने के लिए एक ऐसे स्वास्थ्य संगठन की शुरुआत की है जिसमें भारत की 27 अलग-अलग संस्थाएं मिलकर काम करेंगी। इन संस्थाओं में National Institute of Animal Biotechnology (हैदराबाद), एम्स दिल्ली, एम्स जोधपुर, इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (बरेली), एनिमल साइंस से जुड़ी गुरु अंगद देव यूनिवर्सिटी (लुधियाना), चेन्नई की एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, असम एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी आदि शामिल हैं।

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One Health संगठन पहले से मौजूद डायग्नोस्टिक पद्धतियों का प्रयोग करके और नई तकनीक का विकास करके संक्रामक रोगों के फैलाव का अध्ययन करेगा। इस संगठन द्वारा बैक्टीरिया, वायरस तथा पैरासाइट से फैलने वाली संक्रामक बीमारियों के अध्ययन और उनके सर्विलांस में मदद मिलेगी।

वर्तमान समय में स्वास्थ्य क्षेत्र में ‛वन हेल्थ प्रिंसिपल’ सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत बन गया है। इस सिद्धांत के अनुसार मनुष्य का स्वास्थ्य उसके आस-पास रहने वाले जानवरों, पक्षियों तथा अन्य जीवों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के स्वास्थ से प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए हम जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां प्रदूषित जल स्त्रोतों की उपस्थिति मनुष्य में संक्रामक बीमारियों को जन्म दे सकती है। इसी प्रकार किसी पशु में फैलने वाली बीमारी मनुष्य को भी प्रभावित कर सकती है। ऐसी बीमारियों को ‛Zoonotic’ बीमारी कहते हैं। इबोला, वेस्ट नाइल वायरस ऐसी ही बीमारियों में से एक हैं।

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जब कोरोना फैल रहा था तब उस समय वैज्ञानिकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि उन्हें इस वायरस के स्वभाव को पहचानने में बहुत समय लग रहा था।इसका बड़ा कारण यह था कि देश के विभिन्न संस्थाओं में कोरोना वायरस के ऊपर स्वतंत्र और अलग-अलग शोध हो रहे थे, जबकि अब नए सिस्टम के आने से इन शोधों को एक मंच पर लाया जा सकेगा।

सरकार की योजना है कि पशुओं व पर्यावरण के कारण फैलने वाली बीमारियों को पहले ही पहचान लिया जाए। इसके साथ ही उनके निवारण और रोकथाम के लिए तैयारी शुरू कर दी जाए जिससे भविष्य में कोरोना जैसी विभीषिका का सामना और बेहतर ढंग से किया जा सके। यह कदम निश्चित रूप से भारत के स्वास्थ्य ढांचे में बड़े बदलाव लाएगा और रिसर्च के क्षेत्र में भारत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाएगा।

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