भारत में प्रोटेस्ट के नाम पर सार्वजनिक स्थलों को नुकसान पहुंचाना एक फैशन बन चुका है। पिछले कुछ समय में ऐसे अनेकों उदाहरण देखने को मिले हैं। चाहे वो CAA विरोधी आंदोलन हो या कृषि कानून के विरोध में चल रहा आंदोलन, सभी में सार्वजनिक स्थलों का खूब नुकसान किया गया। अब रिपोर्ट सामने आई है कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर जाम लगा कर बैठे आंदोलनजीवियों के कारण एक्सप्रेसवे का रख रखाव नहीं हो पाया है जिससे कई स्थान पर रोड क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। यही नहीं कुछ दिनों पहले रिपोर्ट आई थी कि इन आंदोलनजीवियों के कारण NHAI को 2000 करोड़ का नुकसान हुआ है। आखिर इन सभी नुक़सानों की भरपाई कौन करेगा? राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को अब योगी मॉडल अपनाते हुए इन्हीं आंदोलनजीवियों से NHAI को हुए नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।
दरअसल, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि (डीएमई) पर आने-जाने की अनुमति केवल एक्सप्रेसवे की स्थिति का आंकलन करने के बाद ही दी जाएगी, जो वर्तमान में दिल्ली पुलिस के कब्जे में है। बता दें कि यूपी-गेट विरोध स्थल डीएमई के चरण 2 के अंतर्गत आता है और ये लगभग 19.8 किलोमीटर की दूरी पर डासना से जोड़ता है। जब हिंदुस्तान टाइम्स की टीम ने एक्सप्रेस-वे का दौरा किया, तो उन्हें यूपी-गेट फ्लाईओवर की सतह पर दरारें मिलीं। NHAI के अधिकारियों ने कहा कि वे यूपी-गेट पर सड़कों और बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान का आंकलन करेंगे।
NHAI के परियोजना निदेशक मुदित गर्ग ने कहा, “नुकसान का आंकलन करने और सड़क की मरम्मत तथा रखरखाव का काम करने के बाद ही सड़क यात्रियों के लिए खोली जाएगी। एक्सप्रेस-वे पर किसानों के विरोध के कारण रखरखाव की कमी के बारे में हम पहले ही गाजियाबाद के अधिकारियों को लिखित रूप से अवगत करा चुके हैं। मुदित गर्ग ने कहा कि किसानों द्वारा सड़कों को खाली करने के बाद मूल्यांकन किया जाएगा।”
उन्होंने बताया कि, “बिजली के तारों को नुकसान हुआ है; चल रहे विरोध के कारण यूपी-गेट फ्लाईओवर का कोई रखरखाव और निरीक्षण नहीं किया गया है। बरसात के दिनों में ड्रेनेज सिस्टम बंद होने से सड़कों पर पानी भर गया। अब लगभग 11 महीने हो गए हैं जब से हम ऐसे मुद्दों का सामना कर रहे हैं।”
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इससे पहले सितंबर में, NHAI ने किसानों के विरोध के परिणामस्वरूप एक्सप्रेसवे से संबंधित रखरखाव के मुद्दों के बारे में चिंता जताई थी। सिर्फ इतना ही नहीं टोल प्लाज़ा बंद होने की वजह से केंद्र का राजस्व घाटा बढ़ रहा है। जुलाई महीने में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने News18 से बात करते हुए बताटा था कि अब तक लगभग 2,000 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है, जिसमें पंजाब और हरियाणा में लगभग 50 टोल प्लाजा छह से आठ महीने से बंद हैं। रोजाना पांच करोड़ रुपये से अधिक का घाटा हो रहा है। वहीं, केंद्रीय सड़क, परिवहन, राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में बताया था कि तीन राज्यों में किसानों के आंदोलन के परिणामस्वरूप 16 मार्च तक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को 814.4 करोड़ रुपये का टोल राजस्व का नुकसान हुआ। आखिर इसकी भरपाई तो होनी चाहिए और इसके लिए नितिन गडकरी को योगी मॉडल अपनाना चाहिए और इसकी भरपाई इन्हीं आंदोलनजीवी से करवानी चाहिए।
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ध्यान रहे कि जब सीएए के नाम पर उत्तर प्रदेश में दंगाइयों ने उत्पात मचाया था और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था तब योगी सरकार ने सीएए विरोधी दंगाइयों पर नकेल कसने हेतु एक नायाब युक्ति निकाली थी। जिन-जिन लोगों ने सीएए विरोध के नाम पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, उन सभी के नाम और उनकी पहचान के साथ उनकी फोटो के पोस्टर्स लखनऊ के चौराहों पर लगाए गए थे। सिर्फ इतना ही नहीं उन्हीं दंगाइयों से नुकसान किए गए सार्वजनिक संपत्ति की क्षतिपूर्ति का मूल्य भी वसूला गया था। प्रशासन ने ढूंढ-ढूंढ कर न देवल दंगाइयों को पकड़वाया, बल्कि उन्हीं से सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करवाई। यदि दंगाइयों के पास पैसे नहीं होते, तो उनके परिवार वालों से, नहीं तो उनकी संपत्तियाँ कुर्क कर यह रकम वसूली जा रही थी। ये तो कुछ भी नहीं था, योगी सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपराधियों के नाम, पता और उनके फोटो सहित उनके पोस्टर्स शहर भर में लगा दिये थे और उनका पता बताने वालों को पुरस्कार भी दिया गया था। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के आंकलन के दावों को निपटाने के लिए दो ट्राइब्यूनलों का गठन किया था।
इसी तरह अब नितिन गडकरी को भी इन आंदोलनजीवी से NHAI को हुए नुकसान की भरपाई करवानी चाहिए जिससे इनके होश ठिकाने लग जाएं।