अफगानिस्तान में तालिबानी राज के साथ ही शरीयत का बोलबाला होना अब पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लिए मुसीबत बन गया है, क्योंकि तालिबानी पाकिस्तान को तब-तक स्वीकार नहीं करेंगे, जब तक पाकिस्तान में शरीयत नहीं लागू होती। ऐसे में पाकिस्तान आर्थिक तंगी के चलते भुखमरी और महंगाई जैसी मुसीबतों का सामना कर रहा है, लोगों को दो जून की रोटी तक के लिए तड़पना पड़ रहा है, जो कि पाकिस्तान की दयनीय स्थिति को दर्शाता है। इसके विपरीत इमरान खान की कैबिनेट के मंत्री जनता को कम भोजन करके देश हित में सहयोग देने के बात कर रहे हैं। एक तरफ जहां पाकिस्तानी आवाम सरकार से राशन की गुहार लगा रही है, तो दूसरी ओर सरकार जनता को शरीयत की ओर ले जाने की तैयारी कर रही है, जो कि हास्यासपद और दयनीय दोनों स्थिति को दर्शाता है।
भुखमरी की ओर बढ़ता पाकिस्तान
पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है, जो भारत के साथ जंग लड़ने और कश्मीर को हथियाने के दम तो भरता रहता है, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति अपने देश के आम लोगों को संभालने की भी नहीं है। वर्तमान स्थिति की बात करें तो लोग भूख से तड़प रहे हैं, और सरकार से आर्थिक स्थिति को सुधारने के साथ ही महंगाई को कंट्रोल में लाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में इमरान खान सरकार का कर्तव्य बनता है कि वो देश में जनता की मुश्किलों को हल करे, लेकिन उनके मंत्री तो जनता की इस गरीबी का ही मजाक बनाने पर तुल गए हैं। कश्मीर मामलों के मंत्री का कहना है कि पाकिस्तानी जनता को खाने की मात्रा को ही कम करना चाहिए।
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गरीबी का उड़ाया मजाक
पाकिस्तान के कश्मीर संघीय मंत्री अली अमीन गंडापुर ने पाकिस्तानी आवाम की गरीबी का मजाक उड़ाया है। उन्होंने महंगाई पर चल रही एक बहस के दौरान कहा, “अगर मैं चाय में चीनी के सौ दाने डालता हूँ और नौ दाने कम डाल दूं, तो क्या वह कम मीठी हो जाएगी।” उन्होंने कहा, “क्या हम अपने देश के लिए, अपनी आत्मनिर्भरता के लिए इतनी सी क़ुर्बानी भी नहीं दे सकते? अगर मैं रोटी के सौ निवाले खाता हूँ तो उसमे नौ निवाले कम नहीं कर सकता हूँ?” ऐसा भी नहीं है कि अली अमीन गरीबों का मजाक उड़ाने वाले अकेले नेता है। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान तहरीक ए इन्साफ पार्टी के रियाज़ फ़तयाना ने गरीबों का कुछ इसी भांति मजाक उड़ाया था, जो कि पाकिस्तान के नेताओं की मानसिकता को दर्शाता है।
शरीयत को महत्वता देने के प्रयास
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने एक नया संगठन बनाया है, जिसका मकसद दुनियाभर में इस्लाम की सही तस्वीर पेश करने का है। इस अथॉरिटी का काम पाकिस्तान की शिक्षा व्यवस्था को शरीयत के मुताबिक बदलना है। अपने इस फैसले के जरिए इमरान खान ने पाकिस्तान में शरीयत के विस्तार के संकेत दे दिए हैं। उन्होंने कहा, “मशहूर विद्वान इस अथॉरिटी का हिस्सा होंगे, और ये संगठन स्कूलों के पाठ्यक्रम की निगरानी करेगा। वे हमें बताएंगे कि क्या पाठ्यक्रम को बदलने की जरूरत है।” स्पष्ट है कि इस कदम के जरिए इमरान खान पाकिस्तान में शरीयत का चरमपंथी राज लाने का मन बना चुके हैं। खाना पाकिस्तानी जनता को मिले न मिले परंतु, शरियत का पूरा इंतजाम अवश्य किया जा रहा है।
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स्पष्ट हुई सरकार की प्राथमिकता
पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति में जहां जनता को खान-पान की प्राथमिक चीजों की आवश्यकता है, और उनके मंत्री देश के लोगों से राष्ट्रहित में कम खाने का बयान देकर जनता की भूख का मजाक उड़ा रहे हैं। वहीं प्रधानमंत्री इमरान खान के फैसले संकेत हैं, कि जनता की भोजन की मांग के बदले वो उन्हें शरीयत का शिगूफा दे रहे हैं जो कि देश के लिए हास्यासपद स्थिति है, हालांकि इमरान खान ऐसे ही फैसलों के लिए प्रसिद्ध हैं।