PayTM का दिवाली Ad धमाकेदार है, इससे अन्य कंपनियों को कुछ सीखना चाहिए

हिंदू विरोधी विज्ञापन देख लिया हो तो अब PayTM का धमाकेदार एड देखिए!

पेटीएम दिवाली विज्ञापन

पिछले कुछ दिनों से विज्ञापनों को लेकर रोज नए-नए बवाल देखने को मिल रहे हैं। खास कर हिन्दू धर्म की मान्यताओं को सवाल करने वाले और मज़ाक उड़ाने वाले विज्ञापनों की भरमार देखने को मिली है। चाहे वो CEAT टायर का दिवाली पर उपदेश देने वाला एड हो, या Nykaa जैसी ई कॉमर्स साइट का जानबूझकर कॉन्डम को बेचने की स्ट्रेटजी हो, सभी ने हिन्दू धर्म का मज़ाक बनाया। हालांकि, अब Paytm (पेटीएम) ने अपने नए विज्ञापन से इन सभी के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा है।

किसी उत्पाद का विज्ञापन करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन पेटीएम ने न केवल दिवाली के लिए एक विज्ञापन बनाया है, बल्कि ‘Say No to Crackers’ का ढोंग करने वालों को भी भयंकर तरीके से ट्रोल भी किया है।

दरअसल, पेटीएम का नया विज्ञापन दिवाली पर्व का उत्साह बिना किसी रोकटोक के मनाने का संदेश देता है, वह भी पटाखों के साथ। #PaytmCashbackDhamaka का यह विज्ञापन दो पटाखों की बातचीत पर आधारित है कि कौन अधिक आवाज करता है। विज्ञापन का अंत कैशबैक जीतने वाले लड़के की ऊंची आवाज के साथ होता है। तभी एटम बम भी ज़ोर से फटता है, पर उसकी आवाज लड़के के आवाज से धीमी रहती है।

यानी स्पष्ट तौर पर इस विज्ञापन में पटाखे फोड़ने का समर्थन किया गया है, वह भी बिना किसी उपदेश के। पेटीएम का नया विज्ञापन आमिर खान और विराट कोहली जैसे दिवाली पर उपदेश देने वालों के साथ-साथ विज्ञापन एजेंसियों के लिए भी एक सीख है कि कैसे बिना हिंदुओं के भावनाओं से खिलवाड़ करते हुए भी विज्ञापन बनाया जा सकता है।

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बता दें कि हाल ही में CEAT टायर्स का एक विज्ञापन विवादों के घेरे में आया था। इस विज्ञापन में अप्रत्यक्ष तौर पर चर्चित अभिनेता आमिर खान आगामी टी20 विश्व कप के लिए भारत को प्रोत्साहित करते हुए दिखाई दे रहे हैं, परंतु उनका निशाना तो कुछ और ही था। इस विज्ञापन के जरिए आमिर खान ये दिखाना चाहते हैं कि सड़के केवल परिवहन के लिए उपयोग में लाई जानी चाहिए, “पटाखे फोड़ने के लिए नहीं”। वहीं तानिष्क ने भी हिंदुओं को निशाना बनाते हुए एकत्वम अभियान के अंतर्गत विज्ञापन की शुरुआत की थी जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं था। यही नहीं नवरात्रि के अवसर पर Nykaa कंपनी ने कंडोम उत्पादों को बेचने के लिए उसे नवरात्रि से जोड़ दिया था जिसके बाद काफी विवाद भी हुआ।

इसके अलावा फैब इंडिया ने दीपावली के आगामी त्योहारी सीजन के दौरान खरीदारों को आकर्षित करने हेतु ‘जश्न-ए-रिवाज’ नामक कपड़ों के नए संस्करण की घोषणा की थी। कंपनी का उद्देश्य दिवाली परंपरा को तथाकथित “गंगा-जामुनी तहज़ीब” के माध्यम से इस्लामीकरण करना था। यही नहीं विराट कोहली द्वारा दिवाली के लिए दिये ज्ञान को सभी ने देखा। एक और उदाहरण में मान्यवर नामक कंपनी ने नए विज्ञापन में विवाह के दौरान होने वाले ‘कन्यादान’ को एक दमनकारी परंपरा के तौर पर दिखाया था और उसकी जगह ‘कन्यामान’ को एक विकल्प के तौर पर सुझाया था।

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उपर्युक्त इन सभी विज्ञापनों में अनेकों समानताएं हैं। यह समानता है प्रभावशाली लोगों के उद्यम और उनके चरित्र के दिवालियापन का जिससे हिंदू दुराग्रह का भाव उपजा। ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार है, यहां का प्रगतिशील समाज स्वयं को धार्मिक वर्गीकरण के आधार पर नहीं देखता परंतु, अगर हम ऐसे उद्यमों और नायकों के ब्रांड वैल्यू की बात करें तो यह सिर्फ और सिर्फ हिन्दू जनमानस द्वारा समर्थित है। बावजूद इसके ये अपनी बिक्री को बढ़ाने के लिए हिन्दू धर्म और त्योहारों को ही निशाना बनाते हैं। पेटीएम ने ऐसे माहौल में भी दिवाली का समर्थन करते हुए विज्ञापन बनाया। किसी भी विज्ञापन में इस तरह से स्पष्ट तौर पर पटाखे फूटते हुए दिखाना उन सभी के मुंह पर तमाचे के समान ही है जो हर वर्ष दिवाली के अवसर हिंदुओं को ज्ञान देते हैं।

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