किसी भी मुद्दे को मानवाधिकार से जोड़कर उसे बेवजह हवा देने में और उस पर राजनीतिक नौटंकी करने का चलन बन गया है। स्थिति तो ये हैं कि आज इस देश में आतंकियों तक के मानवाधिकार की बात उठती रहती है, जिसने अनेकों लोगों के जीवन के अधिकारों की ही धज्जियां उड़ाई हैं। ऐसे में मोदी सरकार के अलग-अलग मंत्री इस विषय पर समय-समय पर हमला बोलते रहते हैं, लेकिन मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस के मौके पर ये मोर्चा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाला। पीएम ने उन सभी को लताड़ा है जो कि मानवाधिकार के नाम पर राजनीतिक चालें चलते हैं, और इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि की धज्जियां उड़ाते हैं। पीएम मोदी ने अपने एक संबोधन के जरिए ही उन सभी को आईना दिखाया है, जिन्होंने मानवधिकार आयोग को एक राजनीतिक अड्डा बना रखा है।
मानवाधिकारों का पक्ष धर भारत
तारीख 12 अक्टूबर 1993, को भारत में मानवधिकार आयोग का गठन हुआ था, ऐसे में 23 वर्ष बाद जब आयोग के स्थापना दिवस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधन किया तो भारत की मानवाधिकारों के प्रति कटीबद्धता तो दरशाई ही, साथ ही उन लोगों को भी लपेटे में लिया, जिनके चलते मानवधिकार आयोग एक मजाक बन कर रह गया है। पीएम मोदी ने कहा, “भारत ने लगातार विश्व को समानता और मानव अधिकारों से जुड़े विषयों पर नया विजन दिया है। बीते दशकों में ऐसे कितने ही अवसर विश्व के सामने आए हैं, जब दुनिया भ्रमित हुई है, भटकी है; लेकिन भारत मानवाधिकारों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहा है, संवेदनशील रहा है।” पीएम मोदी ने अपनी सरकार के मूल नारे को दोहराते हुए कहा, “आज देश ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मूल मंत्र पर चल रहा है। ये एक तरह से मानवाधिकार को सुनिश्चित करने की ही मूल भावना है।”
राजनीतिक रंग देने से नुकसान
इसमें किसी भी प्रकार का संदेह नहीं है कि राजनीति से जुड़ने वाला प्रत्येक विषय विवादों में आ जाता है। मानवाधिकारों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। पीएम मोदी ने इस परिप्रेक्ष्य में कहा, “मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है। राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है। राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है। इस तरह का सलेक्टिव व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है।”
नज़रिए का दोष
ये तो सभी ने देखा है कि कई मुद्दों को अलग-अलग राजनीतिक रंग से देखने के कारण ही भारत की छवि को अंतराराष्ट्रीय स्तर अनेकों बार मानवाधिकार के नाम पर धूमिल किया गया है। इस पर पीएम मोदी ने कहा, “हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं। एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता। इस प्रकार की मानसिकता भी मानवाधिकार को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।”
अधिकार और अहिंसा
भारतीय सभ्यता को खत्म करने के उद्देश्य से भारत पर हुए हमलों के दौरान भारत ने जो संघर्ष किए, उसकी कहानी किसी से छिपी नहीं है। इसमें मानवाधिकारों को पाने के प्रयास तो थे ही, साथ ही अहिंसा का मूल मंत्र भी था। पीएम मोदी ने कहा, “हमने सदियों तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में अन्याय-अत्याचार का प्रतिरोध किया। एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया विश्व युद्ध की हिंसा में झुलस रही थी, भारत ने पूरे विश्व को ‘अधिकार और अहिंसा’ का मार्ग सुझाया।” पीएम मोदी ने समानता की अवधारणा के संबंध में कहा, “भारत आत्मवत सर्वभूतेषु के महान आदर्शों, संस्कारों और विचारों को लेकर चलने वाला देश है। आत्मवत सर्वभूतेषु यानि जैसा मैं हूं वैसे ही सब मनुष्य हैं। मानव-मानव में, जीव-जीव में भेद नहीं है।”
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अन्याय खत्म करने के प्रयास
पीएम मोदी ने अपनी सरकार में मानवाधिकार के लिए किये गये कार्यों का उल्लेख किया है, जिसमें तीन तलाक अहम है। उन्होंने कहा, “बीते वर्षों में देश ने अलग-अलग वर्गों में, अलग-अलग स्तर पर हो रहे अन्याय को भी दूर करने का प्रयास किया है। दशकों से मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ कानून की मांग कर रही थीं। हमने ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाकर, मुस्लिम महिलाओं को नया अधिकार दिया है।” कोरोनावायरस के दौर में मोदी सरकार की अंत्योदय की नीति को मानवधिकार की प्रेरणा से जोड़ते हुए पीएम ने कहा, “वैश्विक महामारी के ऐसे कठिन समय में भी भारत ने इस बात का प्रयास किया कि एक भी गरीब को भूखा न रहना पड़े। दुनिया के बड़े-बड़े देश ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन आज भी भारत 80 करोड़ लागों को मुफ्त अनाज मुहैया करा रहा है।”
महिला सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के संबंध में पीएम मोदी ने कहा, “बेटियों की सुरक्षा से जुड़े अनेक कानूनी कदम बीते वर्षों में उठाए गए हैं। देश के 700 से अधिक जिलों में वन स्टाप सेंटर चल रहे हैं। जहां एक ही जगह पर महिलाओं को मेडिकल सहायता, पुलिस सुरक्षा, कानूनी मदद और अस्थाई आश्रय दिया जाता है।”
बिना नाम लिए लताड़ा
स्पष्ट है कि 23वें मानवाधिकार आयोग स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार की मानवाधिकार की रक्षा के लिए उससे जुड़ी नीतियों का उल्लेख किया है। साथ ही बिना नाम लिए उन लोगों को आईना दिखाया है, जो कि प्रत्येक मुद्दे पर भारत की छवि धूमिल करने के प्रयास करते रहते हैं। एमनेस्टी से लेकर क्रिश्चियन मिशनरीज जिनका एजेंडा तो लोगों को न्याय दिलाने का होता है, किन्तु इनके कर्म अधिकतर भारत विरोधी ही रहे हैं।