जहां से आयुर्वेद जैसी चिकित्सा की नई विधा निकली, सुश्रुत जैसे शल्य के जनक और सिद्धा जैसी औषधियां मिली, उत्तर प्रदेश की वो पावन धरती आज स्वास्थ्य और बुनियादी चिकित्साओं के ढहते अट्टालिकाओं से अपने गौरवशाली अतीत को देख बस द्रवित और व्यथित है। लाचार भी इतनी की कुछ पाने में असमर्थ। आखिर असमर्थ हो भी क्यों ना? कांग्रेस के अंतहीन भ्रष्टाचार और उत्तर प्रदेश के परिवारवाद ने तो जैसे इसकी कमर है तोड़ दी। अस्पतालों और बिना अस्पतालों के मरते अपने माटी के लालों को देख सुश्रुत की भी नयन धारा नहीं रुक पाती होगी। खैर, अंधेरा चाहे कितना भी घना हो लेकिन दिया जलाना कहा मना है। उत्तर प्रदेश की जनता ने अलख जगाई और अपने दो लालों को पुनरुत्थान हेतु चुना। यह चुनाव उत्कृष्ट रहा। मोदी योगी की जोड़ी अब उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य ठीक कर रही है। मोदी ने उत्तर प्रदेश की अपनी यात्रा के दौरान 9 नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना की घोषणा की है।
भ्रष्ट पूर्ववर्ती सरकारें और चरमराती चिकित्सीय सुविधा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल क्षेत्र के लोगों की बुनियादी चिकित्सा आवश्यकताओं की अनदेखी करने और फिर वंशवाद तथा जातिवाद आधारित राजनीति कर अपने परिवार के राजनीतिक तथा आर्थिक महत्वाकाक्षाओं की पूर्ति के लिए उत्तर प्रदेश के पूर्ववर्ती सरकारों को आड़े हाथों लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह क्षेत्र अब भाजपा शासन के तहत एक चिकित्सा केंद्र के रूप में उभरेगा। उत्तर प्रदेश में 9 मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा की प्राथमिकता गरीबों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना है।
2017 में भाजपा के सत्ता में आने से पहले राज्य पर शासन करने वाली समाजवादी पार्टी सरकार पर एक स्पष्ट हमले में पीएम मोदी ने कहा- ” उनके भ्रष्टाचार का चक्र 24 घंटे चला। उनकी प्राथमिकता निजी कमाई और अपने परिवार के खजाने को भरना था, जबकि हमारी प्राथमिकता गरीबों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना है।” उन्होंने कहा कि “पहले दवाओं, एम्बुलेंस, नियुक्तियों, स्थानांतरण और पोस्टिंग तक में भ्रष्टाचार था और इस पूरे खेल में उत्तर प्रदेश के सारे ‘परिवारवादी’ (वंशवादी) दल फले-फूले। भ्रष्टाचार के इस चक्र में पूर्वांचल और उत्तर प्रदेश के आम परिवार कुचले गए।” आपको बता दें उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल क्षेत्र राज्य के पूर्वी भाग को संदर्भित करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी से पहले और बाद में भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं को कोई महत्व नहीं दिया गया। कस्बों और गांवों के लोगों को चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए शहरों में जाना पड़ता था। दिमागी बुखार अर्थात “(एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) हर साल इस क्षेत्र में अपना कहर बरपाता है लेकिन फिर भी इस क्षेत्र में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं का अभाव ही रहा।
सात साल पहले दिल्ली की कांग्रेस शासित केंद्र सरकार और चार साल पहले समाजवादी शासित अखिलेश सरकार ने उत्तर प्रदेश में गरीबों पर ध्यान नहीं दिया। यहां तक की छोटे औषधालयों की घोषणा भी मात्र एक कपू कल्पना बन कर रह गई, लेकिन अब स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति और उनकी सरकार द्वारा दी गई प्राथमिकता स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी।
स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु मोदी सरकार का सराहनीय प्रयास
पहले डॉक्टरों की कमी की समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई रणनीति नहीं थी और चिकित्सा तथा शिक्षा की देखभाल के लिए बनाए गए नियम और संस्थान पुरानी व्यवस्था के अनुसार चल रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र कि यही भ्रष्ट व्यवस्थाएं नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने में भी बाधा साबित हो रहे थे। हालांकि, पिछले सात वर्षों में ऐसी पुरानी व्यवस्थाओं को बदला जा रहा है जो चिकित्सा शिक्षा में बाधा साबित हो रही थीं।
इसी क्रम में मेडिकल सीटों की संख्या में वृद्धि देखी जा सकती है
मोदी ने कहा कि 2014 से पहले देश भर के विभिन्न कॉलेजों में करीब 90,000 मेडिकल सीटें थीं और मात्र सात वर्षों में इसमें 60,000 नई सीटें जोड़ी गई हैं। सोमवार को उद्घाटन किए गए मेडिकल कॉलेज सिद्धार्थनगर, एटा, हरदोई, प्रतापगढ़, फतेहपुर, देवरिया, गाजीपुर, मिर्जापुर और जौनपुर जिलों में स्थित हैं और ये सारे संस्थान 2,329 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होंगे। जिला या रेफरल अस्पतालों से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए केंद्र प्रायोजित योजना के तहत आठ मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए हैं जबकि जौनपुर में एक पूर्वस्थापित मेडिकल कॉलेज को राज्य सरकार ने अपने संसाधनों के माध्यम से कार्यात्मक बनाया है।
भारतीय गौरव के आधार पर नामकरण
नए मेडिकल कॉलेजों का नाम क्षेत्र की प्रसिद्ध हस्तियों और कुछ मामलों में प्रमुख राजनेताओं के नाम पर रखा गया है। सिद्धार्थनगर मेडिकल कॉलेज का नाम जनसंघ के नेता माधव प्रसाद त्रिपाठी के नाम पर रखा गया है जिन्होंने 1980 में इसके गठन के बाद राज्य के पहले भाजपा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। देवरिया में मेडिकल कॉलेज का नाम महर्षि देवराहा बाबा (एक प्रसिद्ध संत) के नाम पर रखा गया है। महर्षि विश्वामित्र के नाम पर गाजीपुर मेडिकल कॉलेज, मां विंध्यवासिनी के नाम पर मिर्जापुर मेडिकल कॉलेज, देवी दुर्गा के नाम पर प्रतापगढ़ मेडिकल कॉलेज, वीरांगना अवंती बाई लोधी के नाम पर एटा मेडिकल कॉलेज और जोधा सिंह के बाद अतैया ठाकुर दरियाव सिंह के नाम पर फतेहपुर कॉलेज को खोलने की घोषणा की गई।
केन्द्रीय योजना के अन्तर्गत पिछड़े एवं आकांक्षी जिलों को वरीयता दी जाती है। इस योजना का उद्देश्य चिकित्सकों की उपलब्धता में वृद्धि करना, मेडिकल कॉलेजों के वितरण में मौजूदा भौगोलिक असंतुलन को ठीक करना और जिला अस्पतालों के मौजूदा बुनियादी ढांचे का प्रभावी ढंग से उपयोग करना है। योजना के तीन चरणों के तहत देश भर में 157 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए हैं जिनमें से 63 मेडिकल कॉलेज पहले से ही काम कर रहे हैं। इस अवसर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडाविया उपस्थित थे।
उत्तर प्रदेश जनसंख्या के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है। चाहे शिक्षा की बात हो, चिकित्सा की बात हो या फिर प्रधानमंत्री बनने के सफर की बात। उत्तर प्रदेश भारत के सामर्थ्य की आधारशिला है परन्तु, जातिवाद और वंशवाद आधारित राजनीति के कारण इसकी दुर्गति ने इसे बीमारू राज्य की श्रेणी में खड़ा कर दिया। हालांकि, मोदी-योगी की जोड़ी इसे सुधारने हेतु अथक प्रयास कर रही है। सरकार के प्रयास सराहनीय है। जनता को जल्द ही इसके परिणाम दिखेंगे।