PM मोदी ने पिछले 7 वर्षों में अर्थव्यवस्था का आधार तैयार किया, अब अगले तीन वर्ष फसल काटने के मौसम हैं

साभार: DW

विपक्ष के लिए किसी भी प्रकार की राहत दूर की कौड़ी दिखाई पड़ रही है। एक तरफ एक के बाद एक सफलताओं से सरकार का आत्मविश्वास जहां मजबूत हो रहा है, तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष की नींद उड़ी हुई है। इसी बीच विपक्ष को झटका देने वाली एक और रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट की मानें तो भारत अगले 5 सालों तक 8.5% से 9% की दर से बढ़ने वाला राष्ट्र हो सकता है। भारत सरकार द्वारा 7 सालों में जो खाद-पानी दिया गया था, अब ऐसा लग रहा है कि अगले 3 साल देश में देश को उसका जबरदस्त फायदा मिलने वाला है। जेफरीज (Jefferies) नामक समूह ने अपने रिपोर्ट में बताया है कि भारत 2003-2010 की भांति फिर से आर्थिक वृद्धि देखने के लिए तैयार है। इसका कारण कुछ और नहीं, पिछले सात वर्षों में मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदम हैं।

क्या है जेफरीज और क्या है उसका मानना?

जेफरीज (Jefferies) एक अमेरिकी समूह है जो ब्रोकरेज के क्षेत्र में विशेषज्ञ मानी जाती है। वह किसी भी अर्थव्यवस्था के मूल्यांकन हेतु छः पैमानों को देखती है। यह 6 पैमाने हैं- घर के मांग में बढ़ोतरी, कॉरपोरेट लाभ, नॉन प्रॉफिटेबल एसेट्स में गिरावट, ब्याज दर, कॉरपोरेट लीवरेज और धन का संचार। इस समूह का मानना है कि जैसे अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल में बैंकों में जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ी थी, वैसी ही क्षमता फिर से विकसित हो गई है। जेफरीज ने बताया, “1997 से 2004 के बीच, बैंकों का एनपीए (NPA) 16% से घटकर 8% हो गया था। उसी प्रकार मार्च 2018 से लेकर अब तक, 12% से घटकर 7% NPA हो गया है। इस तरह बैंकों के बेकार पड़े संसाधन 59% कम हो गए हैं।”

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अमेरिकी ब्रोकरेज ने आगे बताया, “प्रावधान लागत में भारी गिरावट आई है, जबकि बैंक अभी भी जोखिम से दूर हैं। हमारा मानना है कि अब जोखिम उठाने की क्षमता में वृद्धि होगी क्योंकि बैंकों की बढ़ती क्षमता और सात साल के उच्च Return on equity इस वृद्धि को और समर्थन देते हैं।” जेफरीज के मुताबिक व्यापक पूंजीगत व्यय चक्र अभी तक नहीं बदला है लेकिन एक अंतराल के बाद यह housing cycle को फॉलो कर सकता है। भारत में कोविड की वजह से भी व्यय चक्र प्रभावित होगा।

क्यों है हाउसिंग सेक्टर से इतनी उम्मीद?

जेफ्रीज ने कहा, “आवास चक्र में सुधार दिखाई दे रहा है। 1996/97 के बाद से ऐतिहासिक विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय आवास क्षेत्र अप-साइकिल और डाउन-साइकिल आमतौर पर 6-8 साल तक चलते हैं। 2012/13 और 2020 के बीच की अवधि एक लंबे समय तक डाउन-साइकिल थी और 2021 अप साइकिल का पहला वर्ष है, जिसमें वॉल्यूम और मूल्य निर्धारण में स्पष्ट वृद्धि हुई है। आवास निर्माण एक बड़ा रोजगार सृजक है और इसके कई आर्थिक संबंध हैं, जो आर्थिक उत्थान को गति देने में सक्षम हैं।” इस रिपोर्ट के अनुसार हाउसिंग सेक्टर में सुस्ती और तेजी एक समय के अंतराल पर आती है। 2003 से 2010 तक तेजी थी फिर 2012 से 2020 तक सुस्ती रही, अब यह वापस से तेजी की ओर जाएगी।

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कॉरपोरेट लाभ को लेकर क्या कहना है?

जेफरीज के अनुसार कॉरपोरेट प्रॉफिटेबिलिटी में जोरदार बढ़त देखने को मिलेगी। FY11 और FY20 के बीच वार्षिक कॉरपोरेट लाभ वृद्धि 0.4% थी लेकिन FY20 और FY22 के बीच यह बढ़कर 51% हो गई है। जेफरीज को वित्तीय और अन्य चक्रीय क्षेत्रों के नेतृत्व में, वित्त वर्ष 22 और वित्त वर्ष 24 के बीच लाभ वृद्धि 15% तक बढ़ने की उम्मीद है। अमेरिकी ब्रोकरेज ने कहा, ‘जैसा कि 2003-2010 के आर्थिक उतार-चढ़ाव में हुआ था, कॉरपोरेट निवेश अभी भी सुस्त है क्योंकि capacity utilisation और जोखिम उठाने की क्षमता कम है। संपत्ति में वृद्धि के जोखिम से बचने में मदद मिलनी चाहिए। कुल मिलाकर, व्यापक पूंजीगत व्यय में वृद्धि अगली 4-6 तिमाहियों में होनी चाहिए।’

मोदी सरकार द्वारा पिछले सात वर्षों में चरणबद्ध तरीकों से बोझ बने NPA को हटाया गया। इसके साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करके लाभ पहुंचाया गया, जिसकी वजह से कनेक्टिविटी के साथ-साथ हाउसिंग सेक्टर भी बढ़ रहा है। महामारी के दौरान MSME और कॉरपोरेट को आर्थिक पैकेज देकर सरकार ने स्थिति को बदतर होने से बचा लिया। इन सबके परिणामस्वरूप अभी कुछ दिन पहले मूडीज का नजरिया बदला था, अब जेफरीज का भी बदल गया है और देश आने वाले 5 सालों तक 8.5% से 9% की दर से बढ़ने वाला राष्ट्र हो सकता है।

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