कोरोना के बाद से चीन की अर्थव्यवस्था का निचले स्तर पर जाना लगातार जारी है। पहले कोरोना के कारण कई देशों का चीन से निर्भरता कम करना और फिर अब चीन में ऊर्जा संकट, इस कम्युनिस्ट देश के लिए नई समस्याएं लेकर आया है। इन्हीं समस्याओं के कारण चीन सप्लाई चेन से बाहर होता जा रहा है और इसका सीधा प्रभाव चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ता दिख रहा है। दूसरी ओर सप्लाई चेन से चीन के बाहर होने का फायदा सीधे तौर पर भारत को हो रहा है और खास तौर पर भारत की छोटी टेक कंपनियां इसका जबरदस्त फायदा उठाते दिख रही हैं।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार चीन की आपूर्ति-श्रृंखला से बाहर होने से कुछ छोटी भारतीय कंपनियों के शेयरों को नई तेजी मिली है। इनमें विशेष रूप से वैसी कंपनियों के शेयर में वृद्धि देखी गई है, जो वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी पहचान बना रहे हैं तथा दुनिया भर में भारत का नाम ऊंचा कर रहे हैं।
इन कंपनियों में सबसे अधिक वृद्धि इलेक्ट्रॉनिक-पुर्ज़े की निर्माता डिक्सन टेक्नोलॉजीज इंडिया लिमिटेड के शेयर में देखने को मिला है। डिक्सन टेक्नोलॉजीज ने इस वर्ष 80% से अधिक की छलांग लगाई है तथा आगे नई ऊंचाई पर जाने की उम्मीद भी है। इस सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के आपूर्तिकर्ता को उम्मीद है कि सैमसंग के उत्पादों की बिक्री में वृद्धि होगी, जिससे उनके शेयर में भी और वृद्धि देखने को मिलेगी।
वहीं, एयर कंडीशनर पार्ट्स सप्लायर कंपनी एम्बर एंटरप्राइजेज इंडिया लिमिटेड भी इस रेस में आगे है। यह कंपनी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक के लिए एयर कंडीशनर पार्ट्स की सप्लाई करती है। पिछले कुछ दिनों में इस कंपनी का शेयर 40% से अधिक ऊपर रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार को भी डिक्सन और एम्बर दोनों के शेयर में कम से कम 3% की वृद्धि हुई है।
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ब्लूमबर्ग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, हाल के दिनों में गिरावट के बावजूद, डिक्सन का शेयर अनुमान से 75 गुना से अधिक पर कारोबार कर रहा है, जबकि एम्बर एंटरप्राइजेज का शेयर लगभग 48 गुना पर कारोबार कर रहा है।
चीन से कारोबार समेट चुकी है कई कंपनियां
बता दें कि Dixon Technologies ने कुछ दिनों पहले ही ऐलान किया था कि वो ताईवानी कंपनी ACER के लैपटॉप की मैन्युफैक्चरिंग भारत में करेगी, जिसके लिए कंपनी ने ACER से कॉन्ट्रैक्ट भी कर लिया है। इन कंपनियों के बेहतरीन परफॉर्मेंस से पता चलता है कि निवेशक भारत से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्हें पता है कि चीन में शी जिंपिंग ने किस तरह से निजी कंपनियों के खिलाफ Crackdown किया हुआ है। यही नहीं चीन में कंपनियों को Zero-Covid policy, ऊर्जा संकट, निजी उद्यमों पर नियामक कार्रवाई और वाशिंगटन के साथ व्यापार तनाव के कारण बने दबाव का भी सामना करना पड़ रहा है। ऊर्जा संकट के कारण तो कई कंपनियां ठप हो चुकी हैं और कई वैश्विक कंपनियां चीन से अपना बोरिया-बिस्तर समेट चुकी हैं।
मोदी सरकार की योजनाओं को दिख रहा प्रभाव
वहीं, भारतीय कंपनियां लगातार वैश्विक सप्लाई चेन में अपना वर्चस्व बढ़ा रही हैं। भारत पहले से ही अमेरिका और यूरोप को फार्मास्यूटिकल्स और सॉफ्टवेयर सेवाओं का निर्यात करने वाली कंपनियों का घर है। अब भारत सरकार ने जिस तरह से Electronic सहित अन्य क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान दिया है, उससे अब भारत विश्व का नया सप्लाई हब बनने जा रहा है। भारत सरकार की कई योजनाएं विशेषकर महत्वाकांक्षी योजना PLI का प्रत्यक्ष प्रभाव इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर देखने को मिल रहा है।
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उदाहरण के लिए ताइवान की आईफोन से संबंधित उपकरण बनाने वाली कंपनी Wistron ने दिल्ली स्थित भारतीय कंपनी ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के साथ 30 बिलियन डॉलर का समझौता किया है। दोनों कंपनियां भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स से संबंधित कई प्रकार के उपकरण बनाएंगी। इसके अंतर्गत भारत में मोबाइल फोन, लैपटॉप, आटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स गाड़ियों से संबंधित उपकरण तथा अन्य आईटी संबंधित उपकरण बनाए जाएंगे। इसी तरह कई भारतीय कंपनियों ने विश्व की बड़ी कंपनियों के साथ समझौता किया है। स्पष्ट रूप से इन्हीं कंपनियों के वजह से भारत भी सप्लाई चेन में अपनी धाक जमा रहा है।
निवेशकों के साथ-साथ भारतीय कंपनियों में अब यह विश्वास जग रहा है कि भारत सरकार की योजनाओं के कारण अब उन्हें भी वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा नाम बनने के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। ऐसा नहीं है कि पूर्व में भारतीय कंपनियों के पास योग्यता की कमी थी, बल्कि भारत अकुशल आर्थिक नीतियों के कारण मल्टीनेशनल कंपनियों का बाजार बनकर रह गया, जबकि भारत के पास सदैव ही ग्लोबल सप्लाई चेन का महत्वपूर्ण अंग बनने की क्षमता थी। अब भारत, चीन के सप्लाई चेन से बाहर होने के बाद इस मौके का बखूबी फायदा उठा रहा है।