श्री केरल वर्मा कॉलेज- हिंदू मंदिरों से इसे फंड मिलता है, पर ये कॉलेज अब नैतिक भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है

श्री केरल वर्मा कॉलेज

केरल के Thrissur जिले में स्थित श्री केरल वर्मा कॉलेज SFI प्रोपेगेंडा का गढ़ बन चुका है। SFI, CPIM की स्टूडेंट विंग है जो छात्र राजनीति में सक्रिय है। कम्युनिस्ट सरकार के समर्थन से SFI ने केरल के लगभग हर छोटे-बड़े कॉलेज पर कब्जा जमा रखा है। इन कॉलेजों में पढ़ाई के स्थान पर वह सब कुछ होता है जो कम्युनिस्ट प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक है। सबसे आसान काम है हिंदू धर्म की मान्यताओं का मजाक उड़ाना, राष्ट्रवाद की विचारधारा का विरोध करना, सामाजिक मान्यताओं को तोड़ने की बातें करके स्वयं को आधुनिक दिखाना।

हाल ही में श्री केरल वर्मा कॉलेज में SFI द्वारा ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं जिनमें हिंदू देवताओं और साधुओं का परिहास किया गया है और उनका भद्दा चित्रण किया गया है। इसके अतिरिक्त एक पोस्टर पर F*ck your Nationalism लिखा है। वहीं, एक दूसरे पोस्टर पर The planet needs sexual liberation लिखा है।

कम्युनिस्टों की राष्ट्र विरोधी विचारधारा से सभी परिचित हैं, किंतु इसे उनकी नीचता की पराकाष्ठा समझा जाना चाहिए कि जिस केरल वर्मा कॉलेज में हिंदू देवी देवताओं का उपहास उड़ाया  जा रहा है वह स्वयं हिंदू मंदिरों के चंदे से संचालित है। केरल वर्मा कॉलेज को कोच्चि देवस्वाम बोर्ड  फंड देता है। कोच्चि देवस्वाम बोर्ड हिंदू मंदिरों को मिलने वाले चंदे को नियंत्रित करता है।

दक्षिण भारतीय राज्यों में हिंदू मंदिरों की स्वतंत्रता और सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के लिए लंबे समय से आंदोलन चल रहा है। इस आंदोलन की प्रासंगिकता केरल वर्मा कॉलेज में SFI द्वारा लगाए गए पोस्टरों से ही सिद्ध होती है। हिंदू, विश्व का एकमात्र ऐसा समुदाय है जो अपनी ही धार्मिक मान्यताओं का मजाक बनाने के लिए, अपनी संस्कृति को नष्ट करने के लिए मशहूर है और अपने ही धार्मिक सांस्कृतिक संस्थानों से धन आवंटित भी कर रहा है। SFI का देवस्वाम बोर्ड पर कब्जा बहुत पहले से है और अपने एकाधिकार का लाभ उठाकर वह मनमाने ढंग से इन पैसे को खर्च करते हैं।

रही बात sexual liberation की तो वामपंथियों के सानिध्य में थोड़ा समय व्यतीत करके भी उनकी कामुक भावनाओं के बारे में कोई भी व्यक्ति जान सकता है। वामपंथियों के लिए स्त्री पुरुष संबंध केवल लैंगिक है जहां पर भावना का कोई स्थान ही नहीं है। ऐसे में उनके लिए सेक्स केवल शारीरिक जरूरत ही है जिसमें भावना का कोई स्थान ही नहीं। भारतीय संस्कृति में इन्द्रिय सुख को चार पुरूषार्थों में से एक माना गया है और उसकी सीमाओं को केवल सेक्स तक सीमित नहीं किया गया है, लेकिन वामपंथियों का sexual liberation बहुत ओछी मानसिकता की उपज है।

SFI केरल वर्मा कॉलेज में जो कार्य कर रहा है, वह काम पूरे देश में लगभग हर शैक्षणिक संस्थान में हो रहा है। ऐसे में भारतीय युवा पीढ़ी के नैतिक पतन को बचाने के लिए इस संदर्भ में महत्वपूर्ण परिवर्तन पर विचार विमर्श शुरू होना चाहिए।

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