वैक्सीनेशन पर टाइम्स ऑफ इंडिया की घटिया हेडलाइन पर TFI का दो टूक जवाब

TOI TFI Vaccination

गिलास आधा भरा है या आधा खाली, ये आपकी सोच पर निर्भर करता है। कोविड 19 के टीकाकरण को लेकर भारत युद्धस्तर पर कार्रवाई कर रहा है, जिसका सकारात्मक परिणाम कई मायनों में देखने को मिला है, अब तक लगभग 93 करोड़ लोगों तक भारत में वैक्सीन पहुँच चुकी है, जिनमें से कम से कम 67 करोड़ लोग यानि देश की आधी से अधिक आबादी को कम से कम एक डोज़ लगाई जा चुकी है, और वहीं दूसरी ओर 25 करोड़ से अधिक लोग पूरी तरह से टीकाकृत हैं, यानि उन्हें कोविड 19 रोधी वैक्सीन के दोनों डोज़ [कोविशील्ड अथवा कोवैक्सिन] लग चुकी हैं।

परंतु टाइम्स ऑफ इंडिया की कवरेज देखकर तो ऐसा नहीं लगता। टाइम्स ऑफ इंडिया के ट्वीट मात्र से ही आपको ऐसा प्रतीत होगा जैसे भारत में अनेकों नागरिक वैक्सीन की मूलभूत सुविधा से अभी भी वंचित हैं। उनके ट्वीट के अनुसार,इस साल के अंत तक देश के 25 प्रतिशत वयस्क पूर्णतया टीकाकृत नहीं हो पाएंगे”।

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ऐसी नकारात्मकता के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया को जितना निशाने पर लिया जाये, कम ही पड़ेगा। 25 प्रतिशत वयस्कों के टीकाकृत न होने को टाइम्स ऑफ इंडिया ऐसे भी लिख सकता था,वर्ष के अंत तक देश में 75 प्रतिशत वयस्क पूर्णतया टीकाकृत हो जाएंगे’। परंतु नहीं, लोगों को दिग्भ्रमित कर उनमें भय फैलाने का काम टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी इस रेपोर्टिंग से किया है। ऑक्सीजन सिलिन्डर से लेकर कोविड की आवश्यक दवाइयों तक, टाइम्स ऑफ इंडिया ने कई मोर्चों पर इस प्रकार की घटया अफवाहें और भ्रामक रिपोर्टिंग से भारत का नाम खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसी पर TFI ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दर्पण दिखाते हुए स्पष्ट ट्वीट किया,इसी वर्ष के खत्म होते होते 75 प्रतिशत भारतीय वयस्क पूर्णतया टीकाकृत हो जाएंगे”। CoWIN ऐप पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वैक्सीन की 94 करोड़ खुराक पूरी कर दी है। चल रहे अभियान में लगभग 26.51 करोड़ वयस्क भारतीयों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है, अर्थात इसी वर्ष के खत्म होते होते 75 प्रतिशत भारतीय वयस्क पूर्णतया टीकाकृत हो जायेंगे ये कहना गलत नहीं होगा।

 

एक साल से भी कम समय में देश में 75% लोगों का पूरी तरह से टीकाकरण करना कोई छोटी उपलब्धि नहीं होगी, जैसा कि TOI छुपाने  की कोशिश कर रहा है। वास्तव में, यह अभी भी सबसे सफल टीकाकरण अभियानों में से एक होगा।

लेकिन आपको क्या लगता है, यह काम टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले नहीं किया है? टीकाकरण अभियान तो कुछ भी नहीं है, टाइम्स ऑफ इंडिया का इतिहास ऐसे कारनामों से भरा पड़ा है। पुलवामा हमले को अंजाम देने वाले आतंकी आदिल अहमद डार को जो न्यूज पोर्टल ‘स्थानीय युवा’ बता सकता है, उसके लिए तो ये कुछ भी नहीं है।

इसके अलावा अभी कुछ ही हफ्तों पूर्व टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक बेहद भ्रामक रिपोर्ट छापी थी, जिसमें हिंदू धर्म पर खतरा न होने’ की भ्रामक रिपोर्ट को जमकर बढ़ावा दिया गया हालांकि, बाद मे इनकी भ्रामक रेपोर्टिंग का पूरा सच भी सभी के सामने आ गया था।

 ऐसे में भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लज्जित करने का टाइम्स ऑफ इंडिया का घृणात्मक प्रयास एक बार फिर उजागर हुआ है, जहां वह भारत के टीकाकरण अभियान को जानबूझकर कमतर दिखाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन वो कहते हैं न, झूठ के पाँव नहीं होते, इसीलिए टाइम्स ऑफ इंडिया का यह सफेद झूठ भी अधिक नहीं टिक पाया और अंत में उसे मुंह की खानी पड़ी।

 

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