वैक्सीनेशन में सौ करोड़ का आंकड़ा पार होते ही वामपंथियों को लगी मिर्ची, किया विधवा विलाप

100 करोड़ वैक्सीनेशन

भारत और कोरोना की वैक्सीन, वामपंथियों ने इन दोनों शब्दों का एक साथ होना विरोधाभासी माना था। लोगों को उम्मीद नहीं थी कि भारत कोरोनावायरस की वैक्सीन बना लेगा। भारत ने जब वैक्सीन बना ली तो लिबरलों ने वैक्सीन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए। बाद में जब उसमें भी कुछ नहीं मिला, तो नई नौटंकी ये की कि भारत में इतनी बड़ी जनसंख्या को वैक्सीन कैसे लगेगी। एक तरफ ये लोग  स्वयं स्वीकारते रहे कि 140 करोड़ के करीब की जनता को वैक्सीन लगाना असाधारण हैं, तो दूसरी ओर सरकार को धीमे वैक्सीनेशन का जिम्मेदार बताकर रफ्तार बढ़ाने का आरोप भी लगाते रहे। इसके विपरीत अब इन सभी वामपंथियों के लिए दातों तले उंगुलियां दबाने वाली स्थिति आ गई है, क्योंकि पिछले 9 महीनों में भारत में 100 करोड़ से ज्यादा कोरोना वैक्सीन की खुराक लगाई जा चुकी है, जो कि एक कीर्तिमान है। ऐसे में इस वक्त पूरे विश्व में मोदी सरकार के वैक्सीनेशन अभियान की तारीफ हो रही है।

100 करोड़ वैक्सीनेशन का कीर्तिमान

16 जनवरी 2021 को जब देश में वैक्सीनेशन अभियान शुरु हुआ था तो देश की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते ये माना जा रहा था कि भारत को अपनी जनता के वैक्सीनेशन में अनेकों समस्याएं आने वाली हैं। इसको लेकर वामपंथियों एवं विपक्षियों ने प्रत्येक कदम पर मोदी सरकार का न केवल मखौल उड़ाया, अपितु उन्होंने अनेकों अड़ंगे लगाने के प्रयास भी किए। वहीं, वामपंथियों की अनेकों अड़चनों के विपरीत मोदी सरकार के नेतृत्व में आज देश का वैक्सीनेशन 100 करोड़ खुराक के आंकड़े को पार कर गया है। देश के 75 प्रतिशत वयस्कों को टीके की कम से कम एक डोज दी जा चुकी है। इतना ही नहीं, इस मौके पर दिल्ली के एक अस्पताल में उत्सव का आयोजन किया गया था, जिसमें पीएम मोदी समेत केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडाविया भी शामिल हुए थे।

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देश ने रचा इतिहास

बनारस का एक दिव्यांग 100 वां करोड़ व्यक्ति था जब उसने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में वैक्सीन की डोज लगवाई, तो उस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी वहीं मौजूद थे। उन्होंने इस मौके पर ट्वीट किया, “भारत ने इतिहास रच दिया, यह भारतीय विज्ञान, उद्यम, भारतीयों की सामूहिक भावना की जीत है।” दूसरी ओर आज इस मौके पर वैक्सीनेशन थीम से संबंधित गायक कैलाश खेर द्वारा गाया गीत भी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडाविया लॉन्च करेंगे।। एक तरफ जहां इस मुद्दे पर देश में सकारात्मकता है, तो दूसरी ओर विपक्षी एवं वामपंथी बौखलाएं हुए हैं, और नकारात्मक ढूंढ लिए हैं।

जब देश 100 करोड़ वैक्सीनेशन का जश्न मनाया जा रहा है, तो दूसरी ओर नकारात्मकता लाते हुए टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्विटर पर लिखा, “अभी देश में दस में से मात्र दो लोग ही कोरोनावायरस के विरुद्ध पूर्णतः वैक्सीनेटड हैं।” स्पष्ट है कि वो वैक्सीनेशन पर प्रश्न चिन्ह लगाकर तंज कस रहे थे। इसको लेकर टीएफआई के सीईओ अतुल मिश्रा ने भी इस पोस्ट को रिट्वीट किया और डेरेक ओ ब्रायन पर ही प्रहार कर दिया। उन्होंने लिखा, “10 भारतीयों में 2 टीकाकृत भारतीय हैं, 5 भारतीयों में 1 टीकाकृत भारतीय है, तो जादूई अनुपात अभी के लिए 1/5 है। भारत की जनसंख्या 138 करोड़ है तो हमारे पास 138 करोड़  के सामने 27.6 करोड़ पूरी तरह से टीकाकरण वाले भारतीय हैं। यह 1.1 करोड़ से कम है लेकिन डेरेक ये विश्लेषण कार्य अच्छा है।” सटीक शब्दों में कहें तो अतुल मिश्रा ने डेरेक ओ ब्रायन के विश्लेषण की धज्जियां उड़ाते हुए उनके तंज का जवाब एक तंज से दिया है।

डेरेक ओ ब्रायन तो एक मात्र उदाहरण हैं जो कि वैक्सीनेशन के मुद्दे पर राजनीति से बाज नहीं आ रहे हैं। इसके विपरीत एक वामपंथी धड़ा अभी अपने बिल में छिप के बैठा है, ये वो लोग हैं जो कि या तो आज बधाई में ट्वीट करके अपने ही दोहरे चरित्र का प्रदर्शन कर रहे हैं, या फिर बिना कुछ बोले अपनी बेइज्ज़ती करा रहे हैं। हालाकिं,  इस मुद्दे पर भी एक वर्ग ये कहने से नहीं चूकेगा, कि मोदी सरकार ने इसे भी एक एक इवेंट मे बदलकर रख दिया है। अजीत अंजुम जैसे वामपंथी जो सड़को पर घूमकर लोगों के मुंह में माइक ठूंसकर उनसे आक्रामकता दिखाने के लिए दबाव डालते हैं, उनके ट्विटर हैंडल से अभी तक एक सकारात्मक ट्वीट नहीं निकला है।

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वहीं, राजदीप सरदेसाई ने इस मौके पर ट्वीट करके बधाई तो दी, लेकिन एक अन्य यूजर के ट्वीट को लेकर लिखा कि 30 फीसदी वयस्क लोगों को ही अभी तक दो डोज लगी है। स्पष्ट है कि गिद्ध पत्रकारिता के प्रणेता राजदीप मोदी सरकार की आलोचना करने का एक मौका भी छोड़ना नहीं चाहते हैं।

एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार 100 करोड़ के आंकड़े को पार करने के मौक़े पर भी अपनी कुंठा व्यक्त करने बाज नहीं आए हैं। उन्होंने पैसे देकर टीके लगाने से लेकर वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट समेत अनेकों मुद्दों पर फेसबुक के माध्यम से तंज कसा है। ये रवीश के व्यक्तित्व को सहज दिखाता है क्योंकि सकारात्मकता देखना उनके बस की बात ही नहीं है।

वहीं, एक खास बात ये भी है कि कई ऐसे वामपंथी हैं जिन्होंने आज चुप रहना ही बेहतर समझा है, अभिसार शर्मा जैसे कथित पत्रकार जहां चुप्पी साधे बैठे थे। वहीं, लिबरलों की प्रतिनिधि बरखा दत्त ने इस दौरान देश के स्वास्थ्य कर्मियों का आभार जताया है, लेकिन उन्होंने भी काउंटिंग को लेकर सवाल खड़े करने के संकेत दिए हैं, जो कि धूर्तता की पराकाष्ठा है। ये सभी लिबरल अच्छे से जानते हैं कि इन्होंने किस हद तक मोदी सरकार का ध्यान वैक्सीनेशन से भटकाने के प्रयास किए थे। वैक्सीन की विश्वसनीयता से लेकर धीमी रफ्तार और दूसरी लहर पर जरूरत से अधिक फैलाई गई अराजकता के बावजूद देश का वैक्सीनेशन 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुका है। इस स्थिति को देखकर ये भी कहा जा सकता है कि यदि लिबरलों ने इतनी नौटंकियां न की होतीं तो संभवतः देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार अति तीव्र होती।

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