डिजाइनर सब्यसाची के लिए पवित्र मंगलसूत्र केवल लैंगिकता का प्रतीक है

तनिष्‍क से लेकर फैब इंडि‍या और अब सब्‍यसाची, इन ब्रांडस के लिए सनातन धर्म के प्रतीक केवल कामुकता और पितृसत्ता का प्रतीक है

सब्यसाची

कभी हिन्दू संस्कृति के प्रति घृणा, तो कभी प्रतीक चिन्हों का अपमान… वामपंथियों ने हिन्दुत्व के खिलाफ जहर घोलने की एक नीति सी बना ली है। इसका नमूना आज-कल ब्रांड्स के माध्यमों से भी दिखाई दे रहा है, जिनके हर दूसरे विज्ञापन में सांकेतिक रूप से हिंदू धर्म के प्रतीकों के अपमान का संकेत मिलता है। मंगलसूत्र जिसे हिंदू धर्म में एक पवित्र आभूषण माना जाता है, उसका विज्ञापन यदि महिला मॉडल्स द्वारा भद्दे कपड़ों में किया जाए, तो निश्चित ही ये अपमान की श्रेणी में आएगा, और फैशन ब्रांड सब्यसाची ने कुछ ऐसा ही किया, जिसके बाद लोगों ने ब्रांड की सोशल मीडिया पर धज्जियां ही उड़ा दी हैं।

नकारात्मक प्रचार भी प्रचार का एक माध्यम है, और ब्रांड्स आजकल इसे ही फ़ॉलो करने में जुट गए हैं। अभी कुछ दिन पहले ही दिवाली संबंधी एक कैंपेन  का नाम FabIndia ब्रांड ने जश्न ए रिवाज रखकर हिन्दू संस्कृति को चोट पहुंचाने की कोशिश की थी, नतीजा ये कि विरोध के बाद कंपनी को अपना कैंपेन वापस लेना पड़ा। इसके विपरीत एक ब्रांड सुधरा तो दूसरा बिगड़ गया। फैशन ब्रांड सब्यसाची ने हाल ही में एक विज्ञापन प्रचारित-प्रसारित किया है, जिसमें मॉडल्स अंडरगारमेंट्स पहने हुए मंगलसूत्र का प्रचार कर रही है। इनको देखते हुए सोशल मीडिया पर  लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।

सब्यसाची ने बनाया विज्ञापन

सब्यसाची देश की मशहूर डिजाइनर कंपनियों में से एक है, जो कि यूनीक फैशन और डिजाइनिंग के साथ सामने आती रही है, लेकिन कुछ अलग करने के चक्कर में इस ब्रांड ने अपनी ही भद्द पिटवा ली है। दरअसल, हाल ही में सब्यसाची ने अपना नया ज्वेलरी कलेक्शन लॉन्च किया है। इसमें उन्होंने मंगलसूत्र की कुछ तस्वीरें शेयर की हैं। इन तस्वीरों में महिला मॉडल्स काले रंग के अंडरगारमेंट, एक छोटी सी बिंदी और मंगलसूत्र पहने नजर आ रही है। वहीं, दो मॉडल काले रंग के कपड़ों में काले रंग का मंगलसूत्र पहने दिख रही हैं। यह महिलाएं बिना शर्ट पहने पुरुषों के साथ नजर आ रही हैं। इन तस्वीरों को देखकर कोई भी पहली नजर में इसे भद्दा कह सकता है।

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मंगलसूत्र को हिन्दू संस्कृति में महिलाओं के सुहाग के सामान से जोड़कर देखा जाता है, जिसे सबसे पवित्र माना गया है। इसके विपरीत जब कोई इसका अपमान करने का प्रयास करेगा तो लोगों का भड़कना स्वाभाविक है।

मंगलसूत्र को स्त्री का सौभाग्य अलंकार माना जाता है। मंगलसूत्र लगातार एक महिला को उसके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। ये वैवाहिक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करत है। मंगलसूत्र का उद्देश्य एक महिला को शादी के बंधन की याद दिलाना और व्यभिचार से बचना है। पुरुषों को भी पत्नी के प्रति निष्ठा का व्रत याद रखने में ये महत्वपूर्ण होता है और मंगलसूत्र पुरुषों और महिलाओं दोनों को विवाह संस्कार को अपवित्र न करने के लिए एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है।

लोगों का दिखा आक्रोश

गौरतलब है कि ये पूरा खेल सब्यसाची ब्रांड के इन्स्टाग्राम अकाउंट पर हुआ था, जिसका अर्थ है कि इन्स्टाग्राम यूज करने वाली जनरेशन को टारगेट कर उनके मन में हिन्दू प्रतीकों के प्रति घृणा का विस्तार हो। ऐसे में लोग भड़क गए हैं। इसको लेकर ट्विटर पर लोग ब्रांड की धज्जियां उड़ा रहे हैं। ऐसे में कॉलमनिस्‍ट शेफाली वैद्य ने लिखा, “इस ‘विज्ञापन’ के बारे में आप केवल इतना कर सकते हैं कि ‘नग्नता और यौन गतिविधि’ के लिए इसकी रिपोर्ट करें। जैसे ही आप मॉडल के बारे में कोई टिप्पणी करें तो सब्यसाची प्लेटिनम विक्टिम कार्ड दिखाते हैं और ‘बॉडी शेमिंग’ ‘नस्लवाद’, ‘भारतीयों को सांवली त्वचा से नफरत क्यों है’ आदि चिल्ला सकते हैं। जाल में मत पड़ो!”

एक यूजर ने लिखा, “जाने माने डिजाइनर सब्यसाची मंगलसूत्र बेच रहे हैं। मेरी टाइमलाइन के सभी इंस्टा यूजर्स से अपील करती हूं कि उनके इंस्टा हैंडल पर जाकर इस न्यूडिटी को रिपोर्ट करें। यह स्वीकार्य नहीं है। उन्हें दिखाना जरूरी है कि ऐसे एड उन पर उलटे पड़ सकते हैं। ब्रैंड को अपनी नई ऐड स्ट्रैटजी वापस लेनी चाहिए।”

वहीं, एक महिला यूजर ने भी इस विज्ञापन को लेकर आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने लिखा, “एक सेंसर बोर्ड या रेग्युलेटरी बॉडी की जरूरत है, पहले ही तो ऐसे ऐड बंद होने चाहिए, जो बिल्कुल ब्लू फिल्म जैसे हैं। लग रहा है ये लोग पवित्र मंगलसूत्र की जगह पोर्न मूवी प्रमोट कर रहे हैं।”

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फूहड़ता का प्रदर्शन

इस विज्ञापन के माध्यम से सब्यसाची ने फूहड़ता परोसने के प्रयास किए हैं, जिसमें वो सफल‌ भी रहा, लेकिन अब सोशल मीडिया पर बॉयकॉट कैंपेन चलाया जा रहा है। संभवत: कुछ दिनों में ब्रांड इस विज्ञापन को वापस लेने की नौटंकी करेगा, और सारा मामला ठंडा पड़ जाएगा। करवा चौथ के विज्ञापन में FabIndia ने कुछ ऐसा ही किया था फिर बाद में कैंपेन को वापस लेने की नौटंकी की थी। ये नकारात्मक प्रचार भी कंपनी के लिए फायदेमंद होता है।

इसके विपरीत अब आवश्यकता है कि सरकार द्वारा ही इन विज्ञापनों को लेकर कुछ नए नियम जारी किए जाएं, जिसके जरिए विज्ञापनों को स्वीकृति मिलने के बाद ही उन्हें प्रकाशित या प्रसारित किया जा सके, क्योंकि अभी यह ब्रांड नकारात्मक प्रचार का फायदा उठाकर अपना ही विस्तार करने में सफल होते हैं।

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